बिना रजिस्ट्री 10 हजार फ्लैट्स पर दे दिया कब्जा, गाजियाबाद में बिल्डर्स की करामात
गाजियाबाद के कई बिल्डरों ने बिना रजिस्ट्री करीब दस हजार फ्लैटों पर खरीदारों को कब्जा दे दिया। इस तरह के बिल्डर और सोसाइटियों के खिलाफ प्रशासन की ओर से सख्ती की तैयारी की जा रही है।

गाजियाबाद के कई बिल्डरों ने बिना रजिस्ट्री करीब दस हजार फ्लैटों पर खरीदारों को कब्जा दे दिया। इस तरह के 20 के ज्यादा बिल्डर और सोसाइटियों के खिलाफ प्रशासन की ओर से सख्ती की तैयारी की जा रही है। पिछले दिनों शासन ने 10 और 25 हजार के स्टांप पेपर चलन से बाहर कर दिए थे। ऐसे में बड़ी संख्या में लोगों के पास इस तरह के स्टांप हैं। लोगों ने प्रशासन से शिकायत की थी कि उनके बिल्डर ने फ्लैट पर कब्जा तो दे दिए लेकिन रजिस्ट्री नहीं कराई। वह घर में तो रह रहे हैं, लेकिन वह आज तक अपना नहीं हुआ है। इन्हीं शिकायतों के आधार पर स्टांप विभाग ने सब-रजिस्ट्रार के माध्यम से ऐसे हाउसिंग प्रोजेक्ट का सर्वे कराया, जिनमें फ्लैट तो ज्यादा हैं लेकिन रजिस्ट्री कम हुई है।
भौतिक सर्वे में पाया गया कि बिल्डर की इन रिहायशी इमारतों में बिना रजिस्ट्री कराए लोगों को कब्जा देकर फ्लैटों में रहने की अनुमति दी गई। बिल्डर ने खरीदारों से रजिस्ट्री और स्टांप शुल्क की राशि ले ली है,लेकिन स्टांप विभाग को नहीं चुकाई गई है। सर्वे में करीब दस हजार से ज्यादा फ्लैट ऐसे बताए गए हैं जिनकी रजिस्ट्री कराए बिना कब्जा दिया गया है। फिलहाल सर्वे में चिह्नित किए गए इन फ्लैटों की रजिस्ट्री से करीब 100 करोड़ का निबंधन शुल्क प्रशासन को मिल सकता है। अब विभाग इन बिल्डरों और सोसाइटी को नोटिस भेजने की तैयार कर रहा है।
विभाग पहले भी कर चुका है कार्रवाई
निबंधन विभाग ने 2019 में कई बिल्डरों को नोटिस जारी किए थे। नोटिस के बाद किसी भी बिल्डर ने इस पर ध्यान नहीं दिया। इसके बाद विभाग ने कई बड़े बिल्डरों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी थी। इस प्रकरण के बाद बड़ी संख्या में बिल्डरों से रजिस्ट्री करानी शुरू कर दी थी। अब लंबे समय के बाद एक बार फिर यह प्रकरण सामने आया है।
आवास विकास की 15 से अधिक सोसाइटियों में दिक्कत
आवास विकास की ओर से सहकारी समितियां बनाई गई हैं। प्रत्येक समिति में 100 से 150 फ्लैट हैं। इन सोसाटियों ने प्लैट बना दिए और इनके आवंटियों को कब्जा भी दे दिया,लेकिन रजिस्ट्री आज तक नहीं कराई गई। शिक्षा सहकारिया समिति के निवासी अजीत वर्मा ने बताया कि वह रजिस्ट्री कराने के लिए लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। आवास विकास सुनने को तैयार नहीं है।
इन प्रोजेक्ट में रजिस्ट्री न होने से आवंटी परेशान
वेव सिटी, आदित्य वर्ल्ड सिटी, दिल्ली-99, पंचशील सिद्धार्थ विहार, हर्षा ग्रुप इंदिरारापुरम, एसपीवी राजनगर एक्सटेंशन, शालीमार सिटी वजीराबाद , विडशोर पेराडाइज, आवास विकास लोनी, आवास विकास वसुंधरा, शिक्षा सहकारी समिति वसुंधरा।
वित्त एवं राजस्व के एडीएम सौरभ भट्ट ने कहा, ‘फ्लैटों पर कब्जा देने के बाद भी रजिस्ट्री नहीं कराने वाले बिल्डरों और सोसाइटियों को चिह्नित किया जा रहा है। इन्हें नोटिस भेजे जा रहे हैं। नोटिस के बाद भी रजिस्ट्री नहीं कराने वालों के खिलाफ मुकदमा (वाद) दर्ज कराया जाएगा।’