LNJP अस्पताल में अब जेनेटिक बीमारियों का भी इलाज, नवजात बच्चों के लिए ब्रेस्ट मिल्क यूनिट बनेगा
दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में अब जेनेटिक बीमिरियों का भी इलाज हो सकेगा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को अस्पताल में जेनेटिक्स वार्ड सहित तीन इकाइयों का उद्घाटन किया। कहा कि यहां बनाई गई मेडिकल जेनेटिक्स लैब देश की चौथी और दिल्ली की पहली ऐसी इकाई है।

दिल्ली के एलएनजेपी अस्पताल में अब जेनेटिक बीमिरियों का भी इलाज हो सकेगा। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को अस्पताल में जेनेटिक्स वार्ड सहित तीन इकाइयों का उद्घाटन किया। उन्होंने बताया कि यहां बनाई गई मेडिकल जेनेटिक्स लैब देश की चौथी और दिल्ली की पहली ऐसी इकाई है।
दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने गुरुवार को एलएनजेपी अस्पताल में तीन इकाइयों का उद्घाटन किया। सीएम ने कहा कि अब इस अस्पताल में जेनेटिक (आनुवंशिक) बीमारियों का इलाज संभव हो सकेगा क्योंकि मेडिकल जेनेटिक्स वार्ड बन गया है। जेनेटिक्स वार्ड के अलावा सीएम ने लैक्टेशन मैनेजमेंट यूनिट और न्यूक्लिक एसिड एम्प्लीफिकेशन टेस्टिंग (एनएटी) लैब का भी उद्घाटन किया।
सीएम गुप्ता ने कहा कि यहां स्थापित की गई मेडिकल जेनेटिक्स लैब देश की चौथी और दिल्ली की पहली ऐसी इकाई है। ऐसे कई माता-पिता हैं, जिनके बच्चे आनुवंशिक विकारों से पीड़ित होते हैं। इस अस्पताल में उनका इलाज संभव हो सकेगा। गुप्ता ने कहा कि इकाई में कई मशीनें हैं जो रिसर्च में सहायता करेंगी। उन्होंने कहा, "मुझे खुशी है कि यह विभाग न केवल आनुवंशिक रोगों का इलाज करेगा, बल्कि उन पर शोध भी करेगा।
स्तनपान प्रबंधन इकाई के बारे में बात करते हुए सीएम ने नवजात शिशु के लिए स्तन के दूध के महत्व पर प्रकाश डाला। सीएम ने कहा कि कई समय से पहले जन्मे बच्चे हैं जिनकी माताएं दूध पिलाने की स्थिति में नहीं हैं। स्तनपान कराने वाली माताएं इस इकाई को अपना दूध दान कर सकती हैं। हम एक दूध इकाई (ब्रेस्ट मिल्क यूनिट) बनाएंगे। अब समय से पहले जन्मे बच्चों को स्तन का दूध मिलना संभव होगा। एक बच्चे के लिए मां का दूध बहुत महत्वपूर्ण होता है।
मुख्यमंत्री गुप्ता ने चिकित्सा क्षेत्र में बुनियादी ढांचे की कमी को लेकर पिछली सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार अपने स्वास्थ्य ढांचे के बारे में बहुत शोर मचाती थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश है कि 1000 लोगों पर कम से कम अस्पताल में दो बिस्तर होने चाहिए। लेकिन, दिल्ली में 1000 लोगों पर 0.42 बिस्तर हैं। अगर हम निजी क्षेत्र को भी जोड़ लें तो भी 1000 लोगों पर 1.5 बिस्तर हैं। कोविड काल को याद करते हुए उन्होंने कहा कि बेड और मेडिकल ऑक्सीजन की कमी के कारण कई लोगों की मौत हो गई।