डॉक्टर ने बिना ऑपरेशन थियेटर दी सर्जरी की डेट, कोर्ट ने दिए जांच के आदेश; क्या है पूरा माजरा
दिल्ली के आजादपुर में क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर ने एक महिला मरीज को किडनी से पथरी निकालने के लिए ऑपरेशन की डेट दे दी। उसने महिला को ऑपरेशन के लिए एक दिन पहले भर्ती होने को कहा। इन दस्तावेज का इस्तेमाल महिला ने जेल में बंद अपने पति की जमानत के लिए अदालत में किया।

दिल्ली के आजादपुर में क्लीनिक चलाने वाले डॉक्टर ने एक महिला मरीज को किडनी से पथरी निकालने के लिए ऑपरेशन की डेट दे दी। उसने महिला को ऑपरेशन के लिए एक दिन पहले भर्ती होने को कहा। इन दस्तावेज का इस्तेमाल महिला ने जेल में बंद अपने पति की जमानत के लिए अदालत में किया।
अदालत ने जब डॉक्टर से पूछा तो पता चला कि उनके पास न तो ऑपरेशन थियेटर है और ना ही उन्होंने पिछले एक साल में कोई ऑपरेशन किया है। अदालत ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल को डॉक्टर के दस्तावेज और डिग्री की जांच करने के निर्देश दिए हैं।
जानकारी के अनुसार, जहांगीरपुरी इलाके में 20 जुलाई 2023 को एक शख्स को बेरहमी से पीटा गया था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में पुलिस ने राशिद उर्फ साहिल को गिरफ्तार किया था।
फिलहाल, वह जेल में बंद है। उसकी पत्नी सोनम ने अदालत में अपने पति की जमानत याचिका दायर की थी। याचिका बताया गया है कि उसकी किडनी में पथरी है। इसका ऑपरेशन कराने की आवश्यकता है। डॉक्टर ने उसे 19 फरवरी को भर्ती होने और 20 फरवरी को ऑपरेशन कराने के लिए कहा है। इसके लिए उसके पति को जमानत दी जाए ताकि उसकी देखभाल हो सके।
इस मामले में ऑपरेशन की तारीख देने वाले डॉ. आनंद शुक्ला को अदालत ने बुलाया था। बीते शनिवार को रोहिणी कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरेन्द्र राणा ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत के सवाल पर जवाब देते हुए डॉ. आनंद ने कहा कि उनके पास कोई ऑपरेशन थियेटर नहीं है। उन्होंने बीते एक साल में कोई ऑपरेशन भी नहीं किया है। यह ऑपरेशन महिला को अपनी पसंद के किसी सरकारी अस्पताल में कराना था। डॉक्टर यह नहीं बता पाया कि इस महिला का ऑपरेशन कहां करने वाले थे।
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि डॉक्टर की ओर से किया जा रहा यह कार्य बेहद संदेहजनक है। उनके द्वारा जमानत कराने के लिए ऐसी रिपोर्ट दी जा रही है, जो फर्जी लग रही है। इसलिए अदालत ने दिल्ली मेडिकल काउंसिल को डॉक्टर की सभी डिग्रियों की जांच करने के निर्देश दिए हैं। छह सप्ताह में इसकी रिपोर्ट मांगी गई है। उधर, इस मामले में जमानत याचिका को वकील ने वापस ले लिया है।
अदालत ने पहले भी दी थी हिदायत
अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि रोहिणी कोर्ट की कई अदालतों में डॉ. आनंद की ओर से दी गई रिपोर्ट का इस्तेमाल जमानत के लिए किया जाता है। अदालत के समक्ष पहले भी ऐसा मामला आया था। उन्होंने डॉ. आनंद को भविष्य में ऐसा नहीं करने की हिदायत दी थी। अदालत ने विशेष तौर पर उसे ऑपरेशन थियेटर नहीं होने के चलते किसी मरीज को ऑपरेशन की सलाह नहीं लिखने के लिए कहा था। बिना ऑपरेशन थियेटर के कोई डॉक्टर कैसे मरीज को ऑपरेशन की तारीख दे सकता है।
अल्ट्रासाउंड से पहले बता दी बीमारी
अदालत ने अपने आदेश में इस बात पर भी हैरानी जताई है कि बिना अल्ट्रासाउंड के डॉक्टर ने महिला की बीमारी बता दी। वह 23 दिसंबर को पहली बार पेट में दर्द की शिकायत लेकर डॉक्टर के पास गई। डॉ. आनंद ने उसे अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह के साथ दवा देकर भेज दिया। तीन जनवरी को महिला दोबारा गई तो डॉक्टर ने बताया कि उसकी दाईं किडनी में पत्थरी है, जबकि अल्ट्रासाउंड की रिपोर्ट 3 फरवरी को आई है। डॉक्टर आनंद ने 7 फरवरी को उसे ऑपरेशन के लिए 20 फरवरी की डेट दी थी। महिला को 19 फरवरी को अस्पताल में भर्ती होने के लिए कहा था।