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एनजीटी के नियमों को ताक पर रख खोले जा रहे शराब ठेके

फरीदाबाद में ग्रीन बेल्ट में शराब के ठेके खोले जा रहे हैं, जो एनजीटी के नियमों का उल्लंघन है। इससे पर्यावरण को नुकसान हो रहा है। प्रशासनिक मंजूरी के साथ, ये ठेके मुख्य मार्गों और रिहायशी इलाकों में...

Newswrap हिन्दुस्तान, फरीदाबादSun, 15 June 2025 11:41 PM
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एनजीटी के नियमों को ताक पर रख खोले जा रहे शराब ठेके

फरीदाबाद, वरिष्ठ संवाददाता। स्मार्ट सिटी में एनजीटी के नियमों को ताक पर रखकर ग्रीन बैल्ट में शराब ठेके खोले जा रहे हैं, वो भी प्रशासनिक मंजूरी के साथ। इससे न सिर्फ एनजीटी के नियमों का उल्लंघन हो रहा है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण को भी नुकसान पहुंच रहा है। शहर के प्रमुख मार्ग जैसे हार्डवेयर चौक से प्याली रोड, राष्ट्रीय राजमार्ग-2 पर स्थित सेक्टर 58, ग्रेटर फरीदाबाद के रिहायशी इलाके और ग्रीन बेल्ट क्षेत्र शराब के ठेकों से पट गए हैं। नए टेंडर प्रक्रिया में कई स्थानों पर ठेके खोल दिए गए हैं तो कई जगह पर ग्रीन बैल्ट में खुले ठेकों को रिन्यू कर दिया गया है।

ग्रीन बेल्ट का मतलब होता है ऐसी हरित भूमि जो वनों, पर्यावरण संतुलन और स्वच्छ वायु के लिए संरक्षित होती है, न कि व्यावसायिक गतिविधियों और शराब बिक्री जैसे धंधों के लिए। सूत्रों ने कहा कि यह स्थिति तब है जब शराब ठेकों के आवंटन की पूरी प्रक्रिया स्वयं उपायुक्त (डीसी) की अध्यक्षता में गठित आबकारी टेंडर प्रक्रिया समिति के अधीन होती है। समिति के पास ठेके खोलने वाले सभी स्थानों की जानकारी पहले से होती है, फिर भी नियमों की अवहेलना कर ग्रीन बेल्ट जैसी संवेदनशील जगहों को व्यापारिक रूप से प्रयोग करने की अनुमति दी जा रही है। सूत्रों के अनुसार, ग्रीन बेल्ट में शराब ठेका खोलने के लिए अलग-अलग विभागों से कई तरह की मंजूरियां ली जाती हैं, जिनमें से प्रत्येक की अपनी फीस होती है। नगर निगम से नक्शा पास करवाना, पुलिस से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी), फायर डिपार्टमेंट से मंजूरी, और अंत में आबकारी विभाग से लाइसेंस इन सब प्रक्रियाओं में करोड़ों का कारोबार जुड़ा होता है। पर्यावरण प्रेमियों ने इस पर गहरी आपत्ति जताई है। ग्रेटर फरीदाबाद की रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों ने कहा कि शराब ठेके केवल अपराध और नशाखोरी को बढ़ावा देंगे। खासकर स्कूलों, कॉलोनियों और पार्कों के आसपास इनकी मौजूदगी से महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा पर सीधा प्रभाव पड़ता है। पर्यावरणविदों का कहना है कि जहां एक ओर शहर को प्रदूषण मुक्त बनाने और हरियाली बढ़ाने के लिए करोड़ों रुपये की सरकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रीन बेल्ट में ठेके खोलकर उसी हरियाली को नष्ट किया जा रहा है। यह सीधा प्रशासनिक दोहरापन है। इस बार ग्रीन बैल्ट में ठेकेदार खाेलने की कोई अनुमति नहीं दी जाएगी। इसके लिए आबकारी विभाग को सूचित किया कर दिया गया है। - नवीन कुमार, संपदा अधिकारी, एचएसवीपी

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