सड़कों पर दिखे आवारा पशु तो लगेगा भारी जुर्माना, सीएम सैनी के अधिकारियों को निर्देश
दूसरी बार पकड़े जाने पर 11 हजार और तीसरी बार पकड़े जाने पर 21 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश दिए हैं। यह निर्देश बीते माह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिए गए हैं।

जिले में सड़कों पर घूमने वाले पशुओं पर पर अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी अधिकारियों को सख्त हिदायत दी है। मुख्यमंत्री ने नगर निगम अधिकारियों को आदेश दिए हैं कि पशुओं को सड़कों पर खुला छोड़ने वाले डेयरी संचालकों और अन्य पशु मालिकों पर अब 500 नहीं बल्कि पांच हजार रुपये का जुर्माना लगाएं।
दूसरी बार पकड़े जाने पर 11 हजार और तीसरी बार पकड़े जाने पर 21 हजार रुपये का जुर्माना लगाने के आदेश दिए हैं। यह निर्देश बीते माह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में दिए गए हैं। आदेशों की पर कार्रवाई करने और अमलीजाम पहनाने के लिए निगम आयुक्त को पत्र लिखा गया है। बता दें कि शहर में हजारों की संख्या में अवारा मवेशी सड़कों पर घूम रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने शहरी स्थानीय निकाय विभाग को हरियाणा भर में लावारिस पशुओं को गोशालाओं में स्थानांतरित करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने का निर्देश दिया। एसओपी में लावारिस पशुओं की पहचान और टैगिंग, स्थानांतरण के लिए उपयुक्त स्थानों की पहचान, स्थानांतरण प्रक्रिया के दौरान लावारिस पशुओं की देखभाल, समयसीमा और स्थानांतरण सुनिश्चित करने के लिए गौशाला मालिकों की जिम्मेदारी तय करने के निर्देश दिए हैं।
जीपीएस टैंगिंग प्रणाली होगी लागू
लावारिस पशुओं की रोकथाम के लिए मुख्यमंत्री ने सभी निगम आयुक्त को निर्देश दिया कि राज्य भर में पंचायत व ग्राम पंचायत की भूमि को गोशालाओं, नंदी शालाओं और गौ अभियान के लिए सुविधाओं की स्थापना के लिए चिह्नित किया जाए, ताकि खाली भूमि पर यह बनाकर लावारिस पशुओं को रोका जा सके। उन्होंने कहा कि गौ संरक्षण अभियान के तहत नए गोशालाओं या नंदी शालाओं में स्थानांतरित किए गए पशुओं पर नज़र रखने के लिए जीपीएस आधारित मवेशी टैगिंग प्रणाली विकसित की जाए।
पकड़े गए पशुओं को जीपीएस टैगिंग से निगरानी करने की योजना को भी शामिल करने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि डेयरी संचालकों द्वारा बार-बार खुले में पशुओं को छोड़ने पर रोक लग सके। शहर में 630 डेयरियां गंदगी फैला रही हैं और इनको शहर से बाहर शिफ्ट करने की योजना करीब 10 साल से अटकी हुई है। ज्यादातर डेयरियां पुराने शहर की कॉलोनियों के बीच हैं और इनसे आसपास के लोग भी परेशान हैं। वर्ष 2008 में नगर निगम के गठन के बाद डेयरियों को शहर से बाहर शिफ्ट करने की योजना बनाई गई थी।
जिला उपयायुक्त की निगरानी में समिति गठित होगी
शहर की सड़कों पर डेयरी संचालकों द्वारा ही इन पशुओं को खुला छोड़ा जा रहा है। अब तक निगम द्वारा इनको पशुओं को पकड़े जाने पर 500 रुपये तक ही जुर्माना लगाया जा रहा था, लेकिन अब इन डेयरी संचालकों के पशुओं पर लगाम लगाने के लिए मुख्यमंत्री ने जुर्माना राशि बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। बैठक में मुख्यमंत्री ने शहर को लावारिस पशुओं से मुक्त बनाने के लिए जिला उपायुक्त की निगरानी में एक समिति का गठन करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि इस योजना पर निरंतर निगरानी के लिए जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में जिला म्यूनिसिपल कमिश्नर, निगम आयुक्त, कार्यकारी अधिकारियों (ईओएस), सचिवों से मिलकर एक समिति बनाई जानी चाहिए। समिति यह निश्चित करेगी कि शहर में कितने पशुओं को पकड़ा गया है और कितने शहर की सड़कों पर घूम रहे हैं।