दिल्ली में फर्जी पलूशन सर्टिफिकेट पर दौड़ते रहे लाखों वाहन, अनफिट को किया पास; CAG रिपोर्ट ने गिनाईं खामियां
दिल्ली में वाहनों के चलते होने वाले प्रदूषण की रोकथाम पर आई कैग रिपोर्ट ने प्रदूषण जांच में गंभीर खामियों का खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, एक लाख से ज्यादा वाहनों को तय सीमा से ज्यादा मात्रा में उत्सर्जन के बावजूद प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए।

दिल्ली में वाहनों के चलते होने वाले प्रदूषण की रोकथाम पर आई कैग रिपोर्ट ने प्रदूषण जांच में गंभीर खामियों का खुलासा किया है। रिपोर्ट के मुताबिक, एक लाख से ज्यादा वाहनों को तय सीमा से ज्यादा मात्रा में कार्बन मोनोआक्साइड और हाईड्रोकार्बन उत्सर्जित करने के बावजूद प्रदूषण सर्टिफिकेट जारी कर दिए गए।
वहीं, चार हजार से ज्यादा अनफिट डीजल वाहनों को प्रदूषण जांच में पास घोषित किया गया। दिल्ली विधानसभा बजट सत्र के छठवें दिन मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने 31 मार्च को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए दिल्ली में वायु प्रदूषण रोकथाम और शमन पर कैग रिपोर्ट सदन पटल पर रखी। इसमें प्रदूषण की रोकथाम में सरकारी तंत्र की गंभीर खामियों का उल्लेख किया गया है।
22 लाख वाहनों की जांच
कैग रिपोर्ट बताती है कि वाहनों को प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र जारी करने में गंभीर अनियमितताएं मिलीं। 10 अगस्त 2015 से 31 अगस्त 2020 के दौरान प्रदूषण जांच केंद्रों पर 22.14 लाख डीजल वाहनों की जांच की गई। मगर 24 फीसदी वाहनों के संबंध में जांच का मूल्यांकन नहीं किया गया। 4007 मामलों में उत्सर्जन तय सीमा से ज्यादा होने के बावजूद पीयूसी जारी कर दिया। उपरोक्त समयावधि में 65.36 लाख पेट्रोल, सीएनजी, एलपीजी वाहनों को प्रदूषण सर्टिफिकेट दिए गए। इनमें से 1.08 लाख वाहनों में ज्यादा प्रदूषण के बाद भी सर्टिफिकेट दिए गए।
जांच में केवल एक मिनट का ही समय लगा
कैग रिपोर्ट के मुताबिक, सात हजार 643 मामलों में एक से अधिक वाहनों को एक ही केन्द्र पर एक ही समय में उत्सर्जन सीमा के लिए जांच होता हुआ दिखाया गया था। वहीं, 76 हजार 865 मामले ऐसे पाए गए जहां पर एक ही जांच केन्द्र पर वाहनों की जांच में केवल एक मिनट का समय लगा जो कि व्यावहारिक रूप से संभव नहीं हो सकता।
बसें घटने, निजी वाहन बढ़ने से प्रदूषण बढ़ा
● रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में नौ हजार बसों की जरूरत के मुकाबले छह हजार 750 बसें ही उपलब्ध थीं।
● वर्ष 2021-22 में 95 फीसदी वाहनों की जांच मैनुअल तरीके से हुई जो कि पूरी तरह से निरीक्षण अधिकारी के विवेक पर निर्भर थी।
● दूसरे राज्यों से आने वाली बसों को सीमा पर रोकने के लिए आईएसबीटी बनाए जाने का प्रस्ताव था। लेकिन, इसके लिए ठोस प्रयास नहीं किए गए।
● दिल्ली में सड़कों पर खराब होने वाली बसों को हटाने में भी देरी हुई। जिसके चलते ज्यादा प्रदूषण हुआ।