नए चिकित्सा अधीक्षकों ने पद संभालने में अनिच्छा जताई
- वरिष्ठ डॉक्टरों ने अलग-अलग वजह का हवाला देकर चिट्ठी लिखी, कई जूनियर डॉक्टरों के चिकित्सा अधीक्षक बनाने पर भी सवा

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता। दिल्ली सरकार के 26 अस्पतालों में नए चिकित्सा अधीक्षक बनाने के फैसले पर कई डॉक्टरों ने असंतुष्टि जाहिर की है। सरकार ने राजधानी के 26 अस्पतालों में नए चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) नियुक्त किए थे, लेकिन इनमें से दो प्रमुख अस्पताल, इंदिरा गांधी और गुरु तेग बहादुर (जीटीबी) अस्पताल के नए अधीक्षकों ने पदभार ग्रहण करने में असमर्थ जताते हुए स्वास्थ्य विभाग को चिट्ठी लिखी है। सूत्रों के अनुसार, इंदिरा गांधी अस्पताल में तकनीकी कारणों के चलते नए चिकित्सा अधीक्षक कार्यभार नहीं संभाल रहे हैं। वहीं, जीटीबी अस्पताल में नियुक्त डॉक्टर ने निजी कारणों का हवाला देते हुए पद ग्रहण से मना कर दिया है।
इन दोनों अस्पतालों में कार्यभार को लेकर अनिश्चितता का माहौल बन गया है। लोकनायक अस्पताल में रेडियोलॉजी विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर डॉक्टर गौरव प्रधान को इंदिरा गांधी अस्पताल का चिकित्सा अधीक्षक बनाया गया है। वहीं इसी अस्पताल के हड्डी रोग विभाग के प्रोफेसर डॉक्टर विनोद कुमार को जीटीबी अस्पताल का चिकित्सा अधीक्षक बनाया गया था। स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि दोनों डॉक्टरों ने लिखित रूप में अपना निर्णय विभाग को सूचित कर दिया है। फिलहाल इन दोनों संस्थानों में कार्यरत पुराने चिकित्सा अधीक्षक ही जिम्मेदारी संभाले हुए हैं। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब वरिष्ठ डॉक्टर पहले से ही इन नियुक्तियों को लेकर नाराजगी जता रहे हैं। उनका कहना है कि वरिष्ठता और नियमों की अनदेखी कर जूनियर डॉक्टरों को जिम्मेदार पदों पर बैठाया गया, जिससे प्रशासनिक व्यवस्था में असंतुलन उत्पन्न हो रहा है। सरकार की ओर से इस मसले पर अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि स्वास्थ्य मंत्रालय स्थिति की समीक्षा कर रहा है और विकल्पों पर विचार किया जा रहा है।
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