जंग में जवानों को गोली लगने पर तुरंत मिलेगा इलाज
नई दिल्ली। जवानों को जंग के दौरान घावों का तत्काल इलाज मिल सकेगा। डीआरडीओ ने एक पोर्टेबल डिवाइस विकसित की है, जो घायल जवानों को तुरंत चिकित्सा प्रदान करेगी। इससे गोल्डन ऑवर में इलाज मिलने से जान बचाई...

नई दिल्ली। जंग में संघर्ष के दौरान गोली लगने, बारूदी सुरंगों के फटने या किसी अन्य कारण से घाव होने पर जवानों को तत्काल इलाज मिल सकेगा। उन्हें नजदीकी अस्पताल में ले जाने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी। साथ ही दुर्घटना के पहले चार घंटे में इलाज मिलने से अनमोल जिंदगी बचाई जा सकेगी। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के वैज्ञानिकों ने ऐसी स्थिति में घावों को तत्काल भरने वाली एक नई तकनीक एवं दवा विकसित की है, जिससे मौके पर ही जवानों का इलाज किया जा सकेगा। डीआरडीओ के सूत्रों के अनुसार, यह एक पोर्टेबल डिवाइस है जिसे जवान अपने साथ रणभूमि में ले जा सकते हैं।
इसमें उपकरण और दवाएं दोनों शामिल हैं। इस डिवाइस में घाव से रक्तस्राव रोकने, घाव को साफ करने के औजार एवं संक्रमण रोकने और घाव को ठीक करने की बहु थेरेपी उपचार पद्धति की दवाएं शामिल हैं। ये दवाएं डीआरडीओ ने लंबे अनुसंधान करने के बाद तैयार की हैं, जो घावों को तेजी से भरती हैं। उपयोग में लाने के लिए निजी कंपनी को सौंपी जा रही तकनीक डीआरडीओ की नई दिल्ली स्थित प्रयोगशाला इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर मेडिसिन एंड एलाइड साइंसेज(इनमास) के वैज्ञानिक डॉ. हिमांशु ओझा के नेतृत्व में एक टीम ने इसे तैयार किया है। तकनीक को इनोची केयर प्रा. लि. को सौंपा जा रहा है ताकि इसे उपयोग के लिए तैयार किया जा सके। - पहले चार घंटे में इलाज मिलने से बचेगी जिंदगी डीआरडीओ के जर्नल टेक्नोलॉजी फोकस में उपलब्ध ब्योरे के अनुसार यह तकनीक गोली के घाव, बारूदी सुरंग के घावों समेत किसी भी सैन्य अभियान के दौरान लगने वाली चोट के त्वरित उपचार के लिए बेहद प्रभावी होगी। आमतौर पर ऐसे हादसे होने पर जवानों को पहले चार घंटे यानी गोल्डन ऑवर के दौरान प्रभावी इलाज नहीं मिलता है। इसकी वजह से संक्रमण फैलने आदि के चलते जान जाने का खतरा ज्यादा रहता है। इस तकनीक से इस समस्या का समाधान निकलेगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे तत्काल उपचार मिलेगा। जवानों को तुरंत अस्पताल ले जाने की जरूरत नहीं होगी। संक्रमण फैलने का खतरा नहीं रहेगा। सबसे बड़ी बात यह है कि लागत भी बहुत कम रहेगी। - दूरदराज के इलाकों के लिए भी कारगर सेना के साथ-साथ यह तकनीक अर्धसैनिक बलों, आपदा प्रबंधन बलों और यहां तक की दूरदराज के इलाकों में आम नागरिकों के लिए भी उपयोगी है, जहां पर अस्पतालों और डॉक्टरों की कमी है।
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