Global Sea Level Rise Threatens Humanity Even if Temperature Increase is Limited to 1 5 C तापमान के 1.5 डिग्री रहने पर भी बढ़ेगा समुद्र का जलस्तर, Delhi Hindi News - Hindustan
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तापमान के 1.5 डिग्री रहने पर भी बढ़ेगा समुद्र का जलस्तर

वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि यदि वैश्विक तापमान वृद्धि 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित भी की जाती है, तो भी समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ता रहेगा। यह मानवता के लिए गंभीर खतरा साबित होगा। 23 करोड़ लोग...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 25 May 2025 01:21 PM
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तापमान के 1.5 डिग्री रहने पर भी बढ़ेगा समुद्र का जलस्तर

लंदन, एजेंसी। वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अगर वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक रोक भी लिया जाए, तब भी समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ेगा और यह मानवता के लिए गंभीर खतरा साबित होगा। यानी, पेरिस समझौते का सबसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य पूरा होने के बाद भी समुद्र का बढ़ना रुकेगा नहीं, बल्कि वह एक नए और खतरनाक चरण में प्रवेश कर जाएगा। डरहम विश्वविद्यालय का यह अध्ययन विज्ञान पत्रिका कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इसके अनुसार, वैश्विक तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस पर रोकना जलवायु संरक्षण की दिशा में बड़ी सफलता माना जाता है।

इससे अनेक गंभीर जलवायु प्रभावों को टाला जा सकता है। लेकिन प्रमुख शोधार्थी प्रोफेसर क्रिस स्टोक्स ने बताया कि लक्ष्य हासिल करने के बावजूद समुद्र के स्तर में वृद्धि की गति तेज होती रहेगी, जिसे रोकना बहुत मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, इससे निपटने के लिए न केवल उत्सर्जन में कटौती बल्कि तटीय सुरक्षा, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन के लिए भी तैयारियां करनी होंगी। समुद्र का स्तर बढ़ने की रफ्तार दोगुनी पिछले 30 वर्षों में समुद्र स्तर के बढ़ने की दर दोगुनी हो चुकी है। अभी की गति के हिसाब से यह वर्ष 2100 तक फिर से दोगुनी होकर लगभग 1 सेंटीमीटर प्रति वर्ष तक पहुंच जाएगी। समुद्र स्तर बढ़ने के दो मुख्य कारण 1. ग्लेशियरों का पिघलना: ग्रीनलैंड और पश्चिमी अंटार्कटिका के विशाल ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं। पिछले तीन दशकों में बर्फ पिघलने की दर चार गुना बढ़ गई है। 2. महासागरों का गर्म होना: गर्म होते महासागर का फैलाव ज्यादा होता है, जिससे समुद्र का स्तर बढ़ता है। महासागर पृथ्वी की अतिरिक्त गर्मी का 90% से अधिक हिस्सा सोखते हैं। 23 करोड़ लोगों पर सीधा खतरा, एक अरब पर आफत लगभग 23 करोड़ लोग ऐसे इलाकों में रहते हैं जो समुद्र की सतह से सिर्फ 1 मीटर ऊंचाई पर हैं। मतलब अगर समुद्र का स्तर 1 मीटर बढ़ जाता है, तो ये इलाके पानी में डूब सकते हैं। इसके अलावा, लगभग 1 अरब से ज्यादा लोग ऐसे क्षेत्रों में रहते हैं जो समुद्र की सतह से 10 मीटर की दूरी के अंदर हैं। यदि समुद्र का स्तर धीरे-धीरे बढ़ता रहा और 10 मीटर तक पहुंच गया, तो इन इलाकों में भी बाढ़ और जलभराव का खतरा बहुत बढ़ जाएगा। इस तरह झेलना होगा नुकसान -2050 तक समुद्र स्तर में 20 सेमी बढ़ोतरी की आशंका, तटीय इलाकों को बड़ा नुकसान। -0₹1 लाख करोड़ डॉलर सालाना नुकसान, तटीय शहरों में बाढ़ और जलभराव से। ‘टिपिंग पॉइंट समझाया वैज्ञानिकों ने ग्लेशियरों के ‘टिपिंग पॉइंट की परिभाषा दी है, यानी यह वह सीमा है जहां बर्फ की चादरें पिघलने लगती हैं और यह प्रक्रिया वापस नहीं रुकती। पहले माना जाता था कि ग्रीनलैंड का यह टिपिंग प्वाइंट तब आएगा जब तापमान 3 डिग्री तक बढ़ेगा, लेकिन अब वैज्ञानिकों का मानना है कि यह सीमा 1.5 डिग्री के आसपास है। इसका मतलब है कि तापमान 1.5 डिग्री तक बढ़ते ही ग्लेशियरों का पिघलना स्थायी और तेज हो सकता है। भारत के तटीय इलाकों पर भी जोखिम समुद्र का स्तर तेजी से बढ़ रहा है, जिससे भारत के तटीय शहरों जैसे मुंबई, चेन्नई, कोलकाता में जोखिम बढ़ सकता है। सेंटर फोर स्टडी ऑफ साइंस, टेक्नोलॉजी एंड पॉलिसी की रिपोर्ट के अनुसार, मुंबई में 2100 तक समुद्रस्तर लगभग 76 सेंटीमीटर बढ़ सकता है, जबकि चेन्नई में करीब 7 प्रतिशत भूमि जलमग्न हो सकती है। कोच्चि, विशाखापत्तनम और पोरबंदर जैसे अन्य तटीय शहरों में भी 5 से 10 प्रतिशत भूमि डूबने का खतरा है।

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