‘जहर के नक्शे से बचेंगी जिंदगियां
आईआईएससी बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने रसल्स वाइपर सांप के जहर का एक विशेष नक्शा तैयार किया है। इससे विभिन्न क्षेत्रों में सांप के जहर के प्रभाव को समझा जा सकेगा, जिससे डॉक्टरों को बेहतर इलाज प्रदान करने...

नई दिल्ली, एजेंसी। भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) बेंगलुरु के वैज्ञानिकों ने एक खास ‘जहर का नक्शा तैयार किया है। इससे यह पता लगाया जा सकेगा कि भारत के अलग-अलग हिस्सों में रसल्स वाइपर सांप का जहर कैसा होता है। इससे डॉक्टरों को सही इलाज देने में मदद मिलेगी।
वैज्ञानिक कर्तिक सुनेगर के मुताबिक, रसल्स वाइपर सबसे ज्यादा लोगों को मारने और घायल करने वाला सांप है। इसका जहर बहुत घातक होता है, इसलिए इसके असर को समझना जरूरी है। उन्होंने कहा, हमने एक ‘जहर का नक्शा बनाया है, जिससे यह पता चलेगा कि किस इलाके में सांप का जहर कैसा होता है और वहां के मरीजों के लिए कौन-सा इलाज सबसे सही होगा। यह शोध सही एंटीवेनम (जहर का इलाज करने वाली दवा) बनाने में मदद करेगा।
जलवायु के अनुसार विष का असर
वैज्ञानिकों ने भारत के 34 अलग-अलग जगहों से 115 रसल्स वाइपर सांपों का जहर इकट्ठा किया और उसका विश्लेषण किया। उन्होंने पाया कि सांप का जहर उसकी रहने की जगह के तापमान, नमी और बारिश पर निर्भर करता है। सूखे इलाकों में रहने वाले सांपों का जहर ज्यादा खतरनाक होता है और शरीर के प्रोटीन को तेजी से तोड़ता है। अलग-अलग जगहों के सांपों के जहर में बदलाव होने से उनके काटने के लक्षण भी अलग-अलग हो सकते हैं।
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