प्रमुख दालों के समर्थन मूल्य की समीक्षा होगी
केंद्र सरकार दालों के न्यूनतम समर्थन मूल्य की समीक्षा करने की योजना बना रही है। यह पहल आत्मनिर्भरता मिशन का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य दालों के उत्पादन को बढ़ावा देना है। सरकार एमएसपी को बाजार मांग और...

नई दिल्ली, हिन्दुस्तान ब्यूरो। केंद्र सरकार दालों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय करने के मौजूदा फॉर्मूले की समीक्षा करने की योजना बना रही है। इस पहल में खासतौर पर तुअर (अरहर), उड़द, चना और मसूर जैसी प्रमुख दालें शामिल हैं। मामले से जुड़े आधिकारिक लोगों ने यह जानकारी दी। यह कदम आत्मनिर्भरता मिशन के तहत उठाया जा रहा है, जिसका लक्ष्य अगले एक दशक में भारत को दाल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाना है। सरकार यह मूल्यांकन करना चाहती है कि मौजूदा लागत आधारित मूल्य निर्धारण प्रणाली वास्तव में किसानों की जमीनी वास्तविकताओं को कितना दर्शाती है। वर्तमान एमएसपी प्रणाली में उत्पादन लागत को ही आधार बनाया गया है, लेकिन यह किसानों को अधिक दालें उगाने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर पा रही है।
जब न्यूनतम समर्थन मूल्य, इनपुट लागत के बराबर या उससे कम हो जाता है तो किसान दालों की खेती से पीछे हटते हैं, जिससे देश को आयात पर निर्भर रहना पड़ता है। खासतौर पर तुअर जैसी महंगी दालों के मामले में यह स्थिति ज्यादा गंभीर है। क्या है सरकार की योजना: सरकार इस बात पर गौर कर रही है कि किस प्रकार से एमएसपी को मौजूदा बाजार मांग और उपभोग पैटर्न से जोड़ा जाए ताकि फसल विविधिकरण को भी बढ़ावा मिले। उपभोक्ता मामले, कृषि और सहकारिता मंत्रालय इस दिशा में एक साझा योजना तैयार करने पर विचार कर रहे हैं। इस मिशन के तहत नीति निर्माताओं का उद्देश्य दालों की मांग, खपत और उत्पादन के बीच संतुलन बैठाते हुए किसानों को बेहतर कीमतें देकर दालों की बुवाई के लिए प्रेरित करना है। अरहर उत्पादन में गिरावट वर्तमान परिदृश्य में अरहर दाल के उत्पादन में गिरावट आई है। वित्त वर्ष 2021 में देश में अरहर का उत्पादन 43 लाख टन था, जो 2025 तक घटकर 35 लाख टन पर आ गया है। इसके साथ ही प्रति हेक्टेयर उत्पादकता भी 914 किलो से घटकर 823 किलो हो गई है। वहीं, मूंग की स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर रही है। मूंग का उत्पादन 30 लाख टन से बढ़कर 38 लाख टन हो गया है और इसकी उत्पादकता भी 601 किलो प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 685 किलो हो गई है। आयात में आई तेजी इस बीच, दालों के आयात में भी भारी वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2022-23 में भारत ने 26 लाख टन दालों का आयात किया था, जबकि 2024-25 में यह आंकड़ा 67 लाख टन तक पहुंच गया, जो कि पिछले नौ वर्षों में सबसे अधिक है। विशेष रूप से अरहर का आयात अफ्रीकी देशों और म्यांमार से बढ़ा है, जिसके कारण आयात बिल में वृद्धि हुई है।
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