Renewable Energy Adoption Could Cut Carbon Emissions by 29 Million Tons in India ब्यूरो-- रिपोर्ट:: भारी उद्योगों के पास 20 गीगावाट सौर ऊर्जा इस्तेमाल का मौका, Delhi Hindi News - Hindustan
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ब्यूरो-- रिपोर्ट:: भारी उद्योगों के पास 20 गीगावाट सौर ऊर्जा इस्तेमाल का मौका

उर्जा थिंक टैंक अंबर की रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर इस्पात, सीमेंट और एल्युमीनियम उद्योग सौर ऊर्जा को अपनाते हैं, तो वे सालाना 2.9 करोड़ टन कार्बन उत्सर्जन में कमी कर सकते हैं। छत्तीसगढ़ और ओडिशा...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 2 April 2025 05:33 PM
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ब्यूरो-- रिपोर्ट:: भारी उद्योगों के पास 20 गीगावाट सौर ऊर्जा इस्तेमाल का मौका

- ऊर्जा थिंक टैंक अंबर की ताजा रिपोर्ट में किया गया दावा - कार्बन उत्सर्जन में सालाना 2.9 करोड़ टन की कमी संभव

नई दिल्ली, विशेष संवाददाता। यदि देश के तीन बड़े भारी उद्योगों इस्पात, सीमेंट एवं एल्युमीनियम सौर ऊर्जा को अपनाते हैं तो इससे वे अपने कार्बन उत्सर्जन में सालाना 2.9 करोड़ टन की कमी कर सकते हैं। इन उद्योगों के समक्ष करीब 20 गीगावाट सौर ऊर्जा के इस्तेमाल के अवसर हैं। इससे उनकी उत्पादन लागत भी कम हो जाएगी। ऊर्जा थिंक टैंक अंबर की ताजा रिपोर्ट में यह आकलन किया गया है।

रिपोर्ट के अनुसार इस्पात क्षेत्र में सेकेंडरी स्टील प्लांट्स में इस्तेमाल होने वाली आर्क फर्नेस जैसी तकनीकों में सौर ऊर्जा का इस्तेमाल संभव है। जबकि अभी इसमें कोयला आधारित बिजली का इस्तेमाल होता है। इस्पात क्षेत्र में 9.4 गीगावाट सौर ऊर्जा का योगदान संभव है। सौर ऊर्जा से इस्पता क्षेत्र की लागत में करीब 10 फीसदी की कमी आएगी। सीमेंट और एल्युमीनियम उद्योग जो कैप्टिव कोयले पर निर्भर हैं, फिर भी 11 गीगावाट तक की सौर ऊर्जा क्षमता जोड़ सकता हैं जो वे सहायक कार्यों में इस्तेमाल कर सकते हैं। रिपोर्ट बताती है कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा 20 गीगावाट अवसर में लगभग 40 फीसदी की हिस्सेदारी रखते हैं। इन राज्यों में भारी उद्योगों की अधिकता और अनुकूल नीति के कारण ओपन एक्सेस सोलर एनर्जी को अपनाना आसान है। सरकार की ओर से क्रॉस-सब्सिडी शुल्क में छूट और अन्य रियायतें इस परिवर्तन को बढ़ावा दे सकती हैं।

हरित विनिर्माण हब बनने का मौका

अंबर के एशिया विश्लेषक दत्तात्रेय दास कहते हैं कि ओडिशा और छत्तीसगढ़ लंबे समय से औद्योगिक केंद्र रहे हैं। वे रिन्यूएबल एनर्जी को अपनाकर ये खुद को हरित विनिर्माण हब में बदल सकते हैं। ओडिशा पहले से ही ग्रीन इंडस्ट्रियल पार्क की योजना बना रहा है, जिससे एक निर्यात-प्रधान, कम-कार्बन औद्योगिक भविष्य तैयार हो सकता है।

आर्थिक और रणनीतिक लाभ

रिपोर्ट के अनुसार रिन्यूएबल एनर्जी को अपनाने से उद्योगों को आर्थिक लाभ के साथ-साथ रणनीतिक बढ़त भी मिलेगी। स्टील यानी इस्पात क्षेत्र को ग्रीन स्टील टैक्सोनॉमी में शामिल होने का मौका मिलेगा, जिससे वे हरित प्रीमियम बाजारों में प्रवेश कर सकते हैं। इतना ही नहीं यूरोप जैसे बाजारों में कार्बन बॉर्डर टैक्स लागू होने से कम उत्सर्जन करने वाली कंपनियों को निर्यात में फायदा मिलेगा।

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