Supreme Court Calls for Expert Opinion on Blood Donation Ban for Transgenders and LGBTQ Community ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों, यौनकर्मियों को रक्तदान पर रोक के मुद्दे पर विशेषज्ञों की सलाह ले सरकार- सुप्रीम कोर्ट, Delhi Hindi News - Hindustan
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ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों, यौनकर्मियों को रक्तदान पर रोक के मुद्दे पर विशेषज्ञों की सलाह ले सरकार- सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों और यौनकर्मियों के रक्तदान पर प्रतिबंध के मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय लेने को कहा है। जस्टिस सूर्यकांत ने सरकार से सवाल किया कि क्या इस...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 14 May 2025 04:09 PM
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ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों, यौनकर्मियों को रक्तदान पर रोक के मुद्दे पर विशेषज्ञों की सलाह ले सरकार- सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र सरकार से ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों, यौनकर्मियों आदि को रक्तदान करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए जाने के मुद्दे पर विशेषज्ञों की राय लेने को कहा है। शीर्ष अदालत ने सरकार को विशेषज्ञों से इस बारे में राय लेने को है कि चिकित्सा सुरक्षा और एहतियाती उपायों से समझौता किए बगैर नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल के दिशा-निर्देशों में मौजूद ‘भेदभावपूर्ण तत्व को कैसे दूर किया जा सकता है। जस्टिस सूर्यकांत और एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद द्वारा ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों, यौनकर्मियों आदि को रक्तदान करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने के खिलाफ दाखिल याचिका पर विचार करते हुए यह निर्देश दिया है।

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने सरकार से सवालिया लहजे में कहा कि ‘क्या हम सभी ट्रांसजेंडरों को जोखिम भरा बताकर अप्रत्यक्ष रूप से इन समुदायों को कलंकित करने जा रहे हैं? उन्होंने कहा कि आप (सरकार) जब तक कि कुछ चिकित्सा साक्ष्यों के आधार पर यह साबित नहीं करते कि ट्रांसजेंडरों और इन बीमारियों के बीच किसी तरह का संबंध है, तब तक आप यह नहीं कह सकते कि सभी ट्रांसजेंडर इस तरह की गतिविधियों में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सामान्य व्यक्ति भी इस तरह की गतिविधियों में शामिल होते हैं। जस्टिस सूर्यकांत ने सरकार से पूछा कि ‘क्या हम ऐसा करके एक तरह का अलग समूह नहीं बना रहे हैं? इस तरह का कलंक, पूर्वाग्रह और पक्षपात बढ़ रहे हैं? उन्होंने यह टिप्पणी तब की, जब केंद्र की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि याचिका में जिन दिशा-निर्देशों को चुनौती दी गई है, वह नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल द्वारा जारी किए गए थे। उन्होंने पीठ से कहा कि परिषद का मानना था कि आमतौर पर इन श्रेणियों से रक्तदान नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे उच्च जोखिम वाले हैं। हालांकि संक्षिप्त सुनवाई के बाद पीठ ने कहा कि यह ऐसा मुद्दा है, इस पर सिर्फ विशेषज्ञ ही सलाह दे सकते हैं। इसके साथ ही, पीठ ने विशेषज्ञों की सलाह लेने का निर्देश देने के साथ ही, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल से कहा कि आप कृपया उनसे (सरकार) बात करें ताकि एक समुदाय के रूप में उन्हें (ट्रांसजेंडर, समलैंगिक पुरुषों, यौनकर्मियों ) कलंकित नहीं किया जाए। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में नेशनल ब्लड ट्रांसफ्यूजन काउंसिल और राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन द्वारा जारी ‘रक्तदाता चयन और रक्तदाता रेफरल, 2017 के निर्देशों को चुनौती दी गई है। उक्त दिशा-निर्देशों के खंड 12 और 51 ट्रांसजेंडर व्यक्तियों, समलैंगिक पुरुषों और महिला यौनकर्मियों को उच्च जोखिम वाले एचआईवी/एड्स श्रेणी से संबंधित मानते हैं और उन्हें रक्तदान करने से रोकते हैं। सुप्रीम कोर्ट में एलजीबीटीक्यू समुदाय के सदस्यों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई है।

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