‘भारीभरकम अपील दाखिल करने की प्रवृत्ति रोकनी होगी: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को भारी भरकम अपीलें दायर करने और अनावश्यक दस्तावेज संलग्न करने के लिए फटकार लगाई। न्यायमूर्ति ओका और न्यायमूर्ति भुइयां ने कहा कि इस प्रवृत्ति को रोकना होगा। उन्होंने उल्लेख...

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वकीलों को कई पृष्ठों की भारी भरकम अपीलें दायर करने तथा अनावश्यक दस्तावेज संलग्न करने के लिए फटकार लगाई। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने टिप्पणी की, ये क्या प्रवृत्ति है? सारांश में, कानूनी मामले का हवाला दिया जाता है, सारांश में आधार होते हैं। और यह बहुत बड़ा संकलन है। उच्चतम न्यायालय में अब हम जो भी मामला देखते हैं, सारांश के पहले भाग में लोग उद्धरण देते हैं और फिर सारांश में अपील के आधारों को फिर से प्रस्तुत कर देते हैं। इसे रोकना होगा।
पीठ ने कहा, यह किस तरह का भारी-भरकम संकलन हम पर थोपा जा रहा है? संकलन का बड़ा हिस्सा वादी की आर्थिक क्षमता और वरिष्ठ अधिवक्ता को नियुक्त करने की क्षमता पर निर्भर करता है। यह हर रोज हो रहा है। हम यह बुनियादी नियम भूल गए हैं कि जिरह में भावुकता नहीं होनी चाहिए।
शीर्ष अदालत ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि इस तरह के संकलनों में मामलों के सारांश, चुनौती देने के आधार संबंधित कानूनों से अलग होते हैं। पीठ ने कहा, हम इस प्रवृत्ति को अनुचित समझते हैं। इस आदेश की एक प्रति हम उच्चतम न्यायालय के अधिवक्ताओं के ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन को भेजेंगे।
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