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पानी के बिल के लिए नया सिस्टम ला रही रेखा सरकार, सप्लाई में सुधार के लिए जापानी कंपनी की मदद

दिल्ली की बीजेपी सरकार डीजेबी की राजस्व घाटे की चुनौतियों से निपटने के लिए नई बिल संग्रह प्रणाली, पूरे शहर के लिए स्मार्ट मीटरिंग और वाटर सप्लाई सिस्टम में सुधार की योजना बना रही है। जल क्षेत्र में खामियों को दूर करना भाजपा सरकार की कुछ प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है।

Subodh Kumar Mishra लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीSun, 1 June 2025 04:02 PM
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पानी के बिल के लिए नया सिस्टम ला रही रेखा सरकार, सप्लाई में सुधार के लिए जापानी कंपनी की मदद

दिल्ली की बीजेपी सरकार डीजेबी की राजस्व घाटे की चुनौतियों से निपटने के लिए नई बिल संग्रह प्रणाली, पूरे शहर के लिए स्मार्ट मीटरिंग और वाटर सप्लाई सिस्टम में सुधार की योजना बना रही है। यमुना नदी की सफाई, गर्मियों में होने वाली पानी की कमी का समाधान, रिसाव को रोकने के लिए बुनियादी ढांचे का पुनर्विकास और जल क्षेत्र में खामियों को दूर करना भाजपा सरकार की कुछ प्रमुख प्राथमिकताएं हैं।

एक सरकारी दस्तावेज में कहा गया है कि फिलहाल दिल्ली में करीब 29 लाख पानी के कनेक्शन हैं, जो बहुत कम है। ज्यादातर ग्राहक अपने बिल नहीं भरते और बिलिंग सिस्टम में कई खामियां हैं। इसलिए पूरे शहर को स्मार्ट मीटरिंग से अपग्रेड करने और एक नया पानी बिल संग्रह सिस्टम लागू करने का फैसला किया गया है।

सूत्रों ने बताया कि दिल्ली सरकार पानी के बिल में संशोधन पर भी विचार कर रही है, क्योंकि बड़ी संख्या में उपभोक्ता अपने बिल का भुगतान नहीं करते हैं। दस्तावेज में कहा गया है कि आखिरी बार टैरिफ में संशोधन फरवरी 2018 में हुआ था जो अभी भी लागू है। भविष्य में इसमें संशोधन करने के बारे में भी निर्णय लेने की जरूरत होगी। सूत्रों ने बताया कि हाल ही में गृह मंत्री अमित शाह और मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के बीच हुई बैठक में इस मामले पर चर्चा हुई थी।

अधिकारियों ने यह भी बताया कि उपभोक्ताओं से कुछ शिकायतें मिली हैं कि मीटर रीडर या तो मौजूदा रीडिंग की तस्वीर अपलोड नहीं करते हैं या फिर कोई रैंडम तस्वीर अपलोड कर देते हैं और अपनी पसंद के हिसाब से रीडिंग डाल देते हैं।

वर्तमान में दिल्ली जल बोर्ड के 41 जोन में लगभग 900 मीटर रीडर हैं, जो लगभग 26.50 लाख उपभोक्ताओं की रीडिंग ले रहे हैं। इससे न केवल बिलिंग सिस्टम में लीकेज होती है बल्कि जल बोर्ड को राजस्व का नुकसान भी होता है। इन चुनौतियों से निपटने के लिए दिल्ली सरकार जल आपूर्ति प्रणाली को सुधारने के लिए कई कदम उठा रही है।

अधिकारियों ने कहा कि 2011-12 में जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआईसीए) ने एनआरडब्ल्यू या गैर-राजस्व जल (ऐसा पानी जो उपयोगकर्ता तक पहुंचने से पहले जल वितरण प्रणाली में खो जाता है या हिसाब में नहीं आता) को कम करने के लिए दिल्ली में जल उपचार संयंत्रों (डब्ल्यूटीपी) की व्यापक समीक्षा करने की सिफारिश की थी। इस मुद्दे को हल करने के लिए एक विस्तृत रोडमैप विकसित करने का सुझाव दिया था।

वर्तमान में जेआईसीए और एक अन्य तकनीकी एजेंसी से नए दिशानिर्देशों के अनुसार जल नेटवर्क का विस्तृत मूल्यांकन करने, अंतर विश्लेषण करने और एनआरडब्ल्यू में कमी के लिए एक कार्य योजना तैयार करने की उम्मीद है। अधिकारियों ने कहा कि एनआरडब्ल्यू लगभग 50 से 52 प्रतिशत है, जो काफी ज्यादा नुकसान को दर्शाता है।

सूत्रों ने कहा कि आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय उपायों को लागू करने का बीड़ा उठाएगा, जिसके लिए भविष्य में केंद्र से वित्तीय सहायता की आवश्यकता होगी। सूत्रों ने बताया कि डीजेबी प्रत्येक क्षेत्र में छोड़े जा रहे पानी की मात्रा और इन स्थानों पर बिलों के माध्यम से प्राप्त राजस्व की जांच करके एक अध्ययन भी कर रहा है। सरकार लोगों को नए कनेक्शन लेने और बिलों का भुगतान करने के लिए समय देगी और जो लोग समय सीमा का पालन नहीं करेंगे, उन्हें जुर्माना देना होगा।

इसके अलावा, डीजेबी ने दैनिक जल उपलब्धता बढ़ाने के लिए शॉर्ट टर्म और लांग टर्म योजनाएं भी बनाई हैं। अधिकारियों ने कहा कि 452 ट्यूबवेल से 26 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रति दिन) पानी प्राप्त करने के लिए काम चल रहा है और इसकी समय सीमा सितंबर 2025 है। 50 एमजीडी वजीराबाद डब्ल्यूटीपी चरण 2 का निर्माण जारी है और इस साल के अंत तक पूरा होने की उम्मीद है। दिल्ली जल बोर्ड शहर की मांग को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में जल स्रोतों का उपयोग करने की भी योजना बना रहा है।

राजधानी अपनी पेयजल की लगभग 90 प्रतिशत मांग को पूरा करने के लिए पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। डीजेबी को चार स्रोतों से कच्चा पानी मिलता है- यमुना नदी से 389 एमजीडी (मिलियन गैलन प्रति दिन), गंगा से 253 एमजीडी, रावी-ब्यास नदी से 221 एमजीडी और भूजल से 126 एमजीडी। वितरण से पहले पानी का उपचार किया जाता है। इन सभी स्रोतों से पानी की मात्रा लगभग 990 एमजीडी है, जो शहर की अनुमानित 1,250 एमजीडी की मांग से कम है।

बता दें कि प्रत्येक परिवार के लिए प्रति माह 20000 लीटर तक पानी मुफ्त है। यह सब्सिडी पिछली आप सरकार द्वारा दी गई थी और भाजपा सरकार ने भी इसे जारी रखा है।