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दिल्ली में पिछले साल सामान्य शिक्षा पर बजट का 50% भी खर्च नहीं, RTI से खुलासा

दिल्ली की पिछली ‘आप’ सरकार ने शिक्षा पर अपने कुल वार्षिक बजट का 25 फीसदी खर्च करने का दावा किया था, लेकिन शिक्षा निदेशालय पिछले वर्ष सामान्य शिक्षा के लिए आवंटित बजट का 50 फीसदी पैसा भी खर्च कर पाने में नाकाम रहा।

Praveen Sharma लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्ली। भाषाSun, 6 April 2025 02:11 PM
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दिल्ली में पिछले साल सामान्य शिक्षा पर बजट का 50% भी खर्च नहीं, RTI से खुलासा

दिल्ली की पिछली आम आदमी पार्टी (आप) सरकार के दौरान शिक्षा खर्च से जुड़े बड़े-बड़े दावों पर आरटीआई के जवाब से चौंकाने वाली बात पता चली है। ‘आप’ सरकार ने दिल्ली में शिक्षा पर अपने कुल वार्षिक बजट का 25 फीसदी खर्च करने का दावा किया था, लेकिन शिक्षा निदेशालय पिछले वर्ष सामान्य शिक्षा के लिए आवंटित बजट का 50 फीसदी पैसा भी खर्च कर पाने में नाकाम रहा। आरटीआई के तहत दायर एक आवेदन में यह जानकारी सामने आई है। शिक्षा निदेशालय मुख्यत: तीन मदों -सामान्य शिक्षा, दिल्ली नगर निगम के तहत आने वाले स्कूलों और खेलों पर खर्च करता है।

सूचना के अधिकार (आरटीआई) से मिली जानकारी के मुताबिक, दिल्ली सरकार ने 2024-25 में शिक्षा निदेशालय के लिए अनुमानित बजट के रूप में कुल 4335.08 करोड़ रुपये आवंटित किए थे, जिसे बढ़ाकर 4836.41 करोड़ रुपये कर दिया गया, लेकिन विभाग इसमें से सिर्फ 2818.23 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाया।

आरटीआई से प्राप्त जानकारी के अनुसार, शिक्षा निदेशालय को 2024-25 में सामान्य शिक्षा के लिए 2703.12 करोड़ रुपये का बजट प्राप्त हुआ था, लेकिन इसमें से वह सिर्फ 1267.87 करोड़ रुपये ही खर्च कर सका जो 50 फीसदी से भी कम है।

आरटीआई के मुताबिक दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के स्कूलों के लिए प्राप्त 2085.01 करोड़ रुपये के बजटीय आवंटन में से शिक्षा विभाग ने जरूर 1523.33 करोड़ रुपये खर्च किए।

स्कूली विद्यार्थियों को खेल के लिए संसाधन मुहैया कराने वाले बजट का भी विभाग पूरा इस्तेमाल करने में विफल साबित हुआ। शिक्षा निदेशालय को खेल के लिए 48.28 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे, लेकिन खर्च सिर्फ 18.02 करोड़ रुपये किए गए। शिक्षा निदेशक से जब इस संबंध में जानकारी प्राप्त करने के लिए संपर्क किया गया तो उन्होंने इस मुद्दे पर बोलने से इनकार कर दिया।

‘ऑल इंडिया पेरेंट्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष एवं दिल्ली उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील अशोक अग्रवाल ने कहा कि सामान्य शिक्षा पर बजट का 50 फीसदी पैसा खर्च न कर पाना शिक्षा विभाग के ‘निक्कमेपन’ को दर्शाता है। उन्होंने बताया, “दिल्ली के सरकारी स्कूलों में करीबन 17 लाख बच्चे पढ़ते हैं और ज्यादातर बच्चे गरीब तबके से आते हैं। सामान्य शिक्षा पर बजट का आधा पैसा भी खर्च नहीं कर पाना कहीं न कहीं इन स्कूली बच्चों के अधिकारों का उल्लंघन है।”

गैर सरकारी संगठन ‘लोकतांत्रिक अध्यापक मंच’ की दिल्ली इकाई के अध्यक्ष कृष्ण कुमार फौगाट ने कहा, “ज्यादातर चीजें हवा हवाई ही रहीं और धरातल पर कुछ काम नहीं हुआ।

आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक, 2014 से 2019 तक दिल्ली सरकार ने शिक्षा निदेशालय को 13,425.64 करोड़ रुपये आवंटित किए, जिसमें से विभाग ने 11892.23 करोड़ रुपये खर्च किए थे।

इसी प्रकार दिल्ली सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में 2019 से 2024 तक शिक्षा निदेशालय को 24,349.18 करोड़ रुपये आवंटित किए और विभाग 20,762.39 करोड़ रुपये खर्च करने में सफल रहा।

आरटीआई के मुताबिक, शिक्षा निदेशालय शहर के सरकारी स्कूलों में मुफ्त किताबों से लेकर स्कूल ड्रेस, कंप्यूटर लैब, टीचर्स को पुरस्कार, स्कूलों में लाइब्रेरी के लिए किताबें खरीदने जैसी 79 मदों पर पैसा खर्च करता है।