नई दिल्ली स्टेशन हादसे में 200 जानें गईं;याचिका में दावा,क्या बोला सुप्रीम कोर्ट?
- नई दिल्ली स्टेशन हादसे में उस रात मची भगदड़ में 18 जिंदगियां काल के दाल में समा गई थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में दावा किया गया है कि उस रात भगदड़ के चलते 200 लोगों की जान गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सबूत मांगा तो याचिकाकर्ता ने कहा कि सभी मौतों का हिसाब नहीं रखा गया।

नई दिल्ली स्टेशन हादसे को 2 हफ्ते होने वाले हैं। उस रात मची भगदड़ में 18 जिंदगियां काल के दाल में समा गई थीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट में दायर एक याचिका में दावा किया गया है कि उस रात भगदड़ के चलते 200 लोगों की जान गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने इसपर सबूत मांगा तो याचिकाकर्ता ने कहा कि सभी मौतों का हिसाब नहीं रखा गया और कई परिवारों को मुआवजा देना बाकी है। सुप्रीम कोर्ट ने हालांकि इसपर सुनवाई आगे न बढ़ाते हुए इसे खारिज कर दिया है। सुप्रीम अदालत ने याचिकाकर्ता को दिल्ली हाई कोर्ट का रुख करने को कहा है।
नई दिल्ली रेलवे स्टेशन हादसे में गई जानों का डेटा गलत बताते हुए एक याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। याचिकाकर्ता का दावा है कि उस रात स्टेशन में मारे गए लोगों का हिसाब नहीं रखा गया और अभी भी कई परिवार ऐसे हैं जिन्हें मुआवजा नहीं मिला है। पेटिशनर ने अपनी दलील में कोर्ट से कहा कि भगदड़ की घटनाएं बार-बार हो रही हैं। रेलवे ने लोगों को अपलोड किए जा रहे वीडियो हटाने के लिए नोटिस जारी किया है। उस रात स्टेशन में 200 लोगों की मौत हुई थी। जजों के समूह ने उससे कहा कि अगर ऐसा है तो वे लोग अदालत में आ सकते हैं।
जस्टिस मिश्रा ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई है और उनके परिवार के सदस्य को अनुग्रह राशि नहीं मिली है,तो वे आ सकते हैं और कह सकते हैं कि मेरा नाम वहां नहीं है। क्या आपके सामने ऐसा कोई पीड़ित आया? ताकि हम समझ सकें कि आप क्या कह रहे हैं जैसे कि आप कह रहे हैं कि 200 की मौत हुई,लेकिन केवल 50 का हिसाब रखा गया है।
याचिकाकर्ता ने इसपर कहा कि वीडियो और चश्मदीद गवाह हैं। न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा कि वीडियो से यह पता नहीं चलता। जस्टिस गवई ने कहा कि क्या आपका यह कहना है कि केंद्र सरकार इस मुद्दे को पूरी तरह से नजरअंदाज कर रही है? याचिकाकर्ता ने कहा कि मेरी प्रार्थना है कि मृतकों की संख्या का प्रबंधन किया जाए। न्यायमूर्ति गवई ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि धन्यवाद, आप दिल्ली हाई कोर्ट में जाइए। याचिकाकर्ता ने फिर कहा कि यह सिर्फ दिल्ली के लिए नहीं,पूरे भारत के लिए है। मैंने राज्यों को भी पक्ष बनाया है। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि धन्यवाद खारिज किया।