शनि देव को हिंदू धर्म में न्याय के देवता के रूप में पूजा जाता है। वे व्यक्ति के कर्मों के आधार पर भोग और सजा देते हैं। ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का विशेष महत्व है। शनि देव की कृपा पाने और उनके प्रकोप से बचने के लिए तेल, काले तिल, काले वस्त्र और नीले फूल चढ़ाए जाते हैं। सरसों का तेल इनमें सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।
पौराणिक कथा के अनुसार, एक समय ऐसा आया जब शनि देव को अपनी ताकत और शक्तियों को लेकर काफी ज्यादा घमंड हो गया था। वहीं हनुमान की कीर्ति और बल की चर्चा हर कोई कर रहा था। शनि देव को हनुमान जी के बल का गुणगान बर्दाश्त नहीं हुआ।
शनि देव ने हनुमान जी को युद्ध के लिए ललकारा। भगवान राम की भक्ति में लीन हनुमान जी ने शनि देव को समझाने की काफी कोशिश की। लेकिन शनि देव ने उनकी बातों को एकदम नहीं सुना। इसके बाद दोनों लोगों के बीच जमकर युद्ध हुआ। कहा जाता है कि हनुमान जी ने शनि देव की खूब पिटाई की।
हनुमान जी की पिटाई से बुरी तरह घायल हुए शनि देव को पीड़ा होने लगी। इस पीड़ा को कम करने के लिए हनुमान जी ने शनि देव को सरसों का तेल लगाया। हनुमान जी के द्वारा सरसों का तेल लगाने से शनि देव की पीड़ा एकदम खत्म हो गई। शनिदेव ने कहा कि जो भी भक्त उन्हें सच्चे मन से सरसों का तेल चढ़ाएगा, उसके सारे संकट दूर हो जाएंगे।
सरसों का तेल शनि देव के कठोर स्वभाव को शांत करने का प्रतीक माना जाता है। यह तेल उनकी पीड़ा को कम करने और उनके आशीर्वाद प्राप्त करने का माध्यम है। सरसों का तेल चढ़ाने से शनि देव की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में आने वाली बाधाएं कम होती हैं।
शनिवार के दिन प्रातः स्नान कर शनि मंदिर जाएं। शनि देव की मूर्ति या शनि यंत्र पर सरसों का तेल चढ़ाएं। तेल चढ़ाने से पहले शनि मंत्र "ॐ शं शनैश्चराय नमः" का जाप करें। तेल को मूर्ति पर अर्पित करने के बाद दीपक जलाएं और शनि चालीसा का पाठ करें। इससे शनि देव प्रसन्न होते हैं।