विमल नेगी मौत मामला: हाईकोर्ट ने CBI को सौंपी जांच, SIT की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल
हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के मामले में जांच अब सीबीआई करेगी। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए शिमला पुलिस की एसआईटी की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए और मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए।

हिमाचल पावर कॉरपोरेशन के चीफ इंजीनियर विमल नेगी की रहस्यमयी मौत के मामले में जांच अब सीबीआई करेगी। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए शिमला पुलिस की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआईटी) की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए और मामले की जांच सीबीआई को सौंपने के आदेश दिए। जस्टिस अजय मोहन गोयल की सिंगल जज बेंच ने यह फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सीबीआई की टीम में हिमाचल कैडर का कोई भी अधिकारी शामिल नहीं होगा ताकि जांच की निष्पक्षता बनी रहे। यह फैसला विमल नेगी की पत्नी किरण नेगी द्वारा दायर याचिका पर सुनाया गया, जिसमें उन्होंने राज्य पुलिस की जांच पर असंतोष जताते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की थी।
बता दें कि, विमल नेगी 10 मार्च को अचानक लापता हो गए थे और 8 दिन बाद 18 मार्च को उनका शव गोबिंद सागर झील से बरामद हुआ था। शव मिलने के बाद परिजनों ने इसे आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या करार देते हुए देर रात शिमला में प्रदर्शन किया था। इस दौरान सरकार के तीन मंत्री मौके पर पहुंचे थे और निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया था।
विमल नेगी की मौत के बाद सरकार ने पावर कॉरपोरेशन के निदेशक देशराज को सस्पेंड कर दिया था और एमडी हरिकेश मीणा को पद से हटा दिया था। इन दोनों के खिलाफ शिमला पुलिस ने एफआईआर दर्ज की है। देशराज को सुप्रीम कोर्ट से और हरिकेश मीणा को हाईकोर्ट से जमानत मिल चुकी है।
इस बीच, राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित की थी, जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी। लेकिन परिजनों ने आरोप लगाया कि जांच में बड़े अधिकारियों को बचाने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर सीबीआई जांच की मांग की थी।
बीते बुधवार को हुई अंतिम सुनवाई में हाईकोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान प्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अतुल वर्मा द्वारा दाखिल हलफनामे में भी एसआईटी की जांच पर सवाल उठाए गए थे। रिपोर्ट में कहा गया कि एसआईटी जानबूझकर मामले को आत्महत्या की दिशा में मोड़ रही है, जबकि कई सवाल अब भी अनसुलझे हैं।
हाईकोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि डीजीपी और एसपी शिमला के बीच समन्वय की कमी और आपसी टकराव के चलते मामले में न्याय मिलने में देरी हो रही है।
पिछली सुनवाई में एसपी शिमला संजीव गांधी भी व्यक्तिगत रूप से अदालत में पेश हुए थे। उन्होंने दावा किया कि एसआईटी निष्पक्षता से जांच कर रही है और मामले से जुड़ी एक पेन ड्राइव बरामद कर फॉरेंसिक जांच के लिए भेजी गई है। साथ ही उन्होंने आग्रह किया था कि मामला सीबीआई को न सौंपा जाए ताकि पुलिस का मनोबल बना रहे।
रिपोर्ट : यूके शर्मा
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