परेश रावल ने 'हेरा फेरी 3' बीच में ही छोड़ दी। उन्होंने 'हेरा फेरी' के किरदार बाबू भैया के बारे में बात करते हुए हाल ही में लल्लनटॉप से कहा था कि वह बाबू भैया के किरदार में फंसकर रह गए हैं। जो भी उनके पास आता है वो सिर्फ बाबू भैया के बारे में ही बात करता है। ऐसे में आज हम आपको उनके कुछ यादगार किरदारों के बारे में बताने जा रहे हैं जो बाबू भैया जितने ही फेमस हैं।
अगर बॉलीवुड की सबसे आइकॉनिक कॉमेडी किरदारों की बात करें तो बाबू भैया यानी बाबूराव गणपत राव आप्टे का नाम सबसे ऊपर आता है। 'हेरा फेरी' और 'फिर हेरा फेरी' में परेश रावल ने इस किरदार को जिस अंदाज में निभाया, वो आज भी दर्शकों के दिलों में ताजा है। बाबू भैया की मासूमियत, बोलने का अंदाज और उनकी टाइमिंग ने फिल्म को कल्ट बना दिया।
'वेलकम' और 'वेलकम बैक' में डॉ. दयाल घुंघरू के रोल में परेश रावल ने अपनी कॉमिक टाइमिंग से दर्शकों को खूब हंसाया। उनका किरदार एक सीधे-साधे, डरपोक और परेशान ससुर का है, जो गैंगस्टर्स के बीच फंस जाता है। डायलॉग्स और एक्सप्रेशंस ने इस किरदार को सुपरहिट बना दिया।
'चुप चुप के' में परेश रावल ने मछुआरे गुंड्या भाऊ का रोल निभाया। उनकी देसी भाषा, हरकतें और कॉमिक सिचुएशन ने फिल्म में जान डाल दी। यह किरदार दर्शकों को आज भी याद है।
'गरम मसाला' में मैंबो के किरदार में परेश रावल ने एक कड़क लेकिन मजेदार कुक का रोल निभाया। उनकी सैलरी को लेकर डायलॉग्स और बॉस से नोकझोंक फिल्म की जान बन गई थी।[1]
'अंदाज अपना अपना' में परेश रावल ने डबल रोल किया—एक तरफ विलेन तेजा और दूसरी तरफ सीधे-सादे राम गोपाल बजाज। दोनों ही किरदारों को उन्होंने इतने शानदार तरीके से निभाया कि दर्शक आज भी उनके डायलॉग्स दोहराते हैं।
'अतिथि तुम कब जाओगे' में लंबोदर चाचा के किरदार में परेश रावल ने एक ऐसे मेहमान का रोल निभाया, जो घरवालों की नाक में दम कर देता है। उनकी मासूमियत और शरारतें फिल्म की USP बन गई थीं।
'जुदाई' में परेश रावल ने हसमुखलाल का किरदार निभाया, जो हमेशा माथे पर सवालिया निशान लिए घूमता है। उनकी कॉमिक टाइमिंग और सवाल-जवाब की स्टाइल ने फिल्म में अलग ही रंग भर दिया।
'मालामाल वीकली' में लीलाराम के रोल में परेश रावल ने गांव के सबसे पढ़े-लिखे लेकिन अजीबोगरीब शख्स का किरदार निभाया। उनकी हरकतें और डायलॉग्स दर्शकों को खूब पसंद आए।
'ओह माई गॉड!' में कांजी लालजी मेहता यानी कांजी भाई के किरदार में परेश रावल ने नास्तिकता और समाज के रूढ़िवाद को चुनौती दी। यह रोल उनके करियर का टर्निंग पॉइंट भी बना, जिसमें उन्होंने गंभीरता और कॉमेडी का अनोखा मिश्रण पेश किया।