बदलाव की बयार में उड़ेंगे कितने पत्ते? राजस्थान में मंत्रिमंडल फेरबदल की सुगबुगाहट!
राजस्थान की राजनीति में बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट तेज होने लगी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दिल्ली रवाना होते ही भाजपा में मंत्रिमंडल विस्तार और प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर हलचल तेज हो गई है।

राजस्थान की राजनीति में बड़े फेरबदल की सुगबुगाहट तेज होने लगी है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के दिल्ली रवाना होते ही भाजपा में मंत्रिमंडल विस्तार और प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर हलचल तेज हो गई है। हाईकमान से मिल रहे संकेतों के मुताबिक, 30 मई से पहले देशभर में भाजपा संगठन और सरकारों में लंबित नियुक्तियों का निपटारा किया जा सकता है। ऐसे में राजस्थान के कई दावेदारों की धड़कनें तेज हो गई हैं।
प्रदेश में फिलहाल पांच मंत्री पद खाली हैं, और खबर ये भी है कि कुछ मंत्रियों की छुट्टी की तैयारी भी हो रही है। हाल ही में गुजरात में आयोजित भाजपा विधायकों की वर्कशॉप में मौजूद मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड पेश किया गया था। सूत्रों का कहना है कि कई नामों पर नाराज़गी सामने आई है। प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने उस वर्कशॉप के बाद तीखा बयान देकर संकेत दे दिया था कि “परिवार के बड़े कभी खुश नहीं होते, अपेक्षाएं हमेशा अधिक होती हैं।” यही बयान अब कई मंत्रियों के लिए खतरे की घंटी बन गया है।
वहीं, मंत्रिमंडल में एंट्री के लिए भी होड़ मची है। सिविल लाइंस से विधायक गोपाल शर्मा और हवा महल से बालमुकुंद आचार्य नए चेहरे के तौर पर जोर लगा रहे हैं। साथ ही अनीता बघेल, राजेन्द्र भांबू, रेवत राम डांगा, प्रताप पुरी और जेठानंद व्यास जैसे नाम भी जोरदार दावेदारी में हैं।
प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की घोषणा भी अब सिर पर है। 167 पदों पर नियुक्ति होनी है लेकिन इच्छुक कार्यकर्ताओं की संख्या सैकड़ों में है। पार्टी में रसूखदार नेता अपने खासमखास को जगह दिलाने के लिए एड़ी से चोटी तक का जोर लगा रहे हैं। मदन राठौड़ पहले ही संकेत दे चुके हैं कि “काम करने वालों को ही जगह मिलेगी” — ऐसे में पुराने निष्ठावान कार्यकर्ताओं की उम्मीदें बढ़ गई हैं।
लेकिन सबसे बड़ी बेचैनी उन नेताओं में है जिन्हें उपचुनावों के वक्त बड़े वादे किए गए थे। चित्तौड़गढ़ के चंद्रभान सिंह, बाड़मेर के बलराम मूड, प्रियंका चौधरी, झुंझुनूं के कैलाश मेघवाल और नागौर के विजयपाल मिर्धा जैसे नाम पार्टी से अपने वादे पूरे करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
अब सबकी निगाहें दिल्ली पर टिकी हैं। अगला हफ्ता राजस्थान भाजपा के लिए निर्णायक साबित हो सकता है — कुछ के हाथ ताज आने वाला है, तो कुछ का ताज छिन भी सकता है!
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