जयपुर में 1.88 लाख लोगों ने खुद ही छोड़ दी फ्री गेहूं की स्कीम, जानें पूरी बात
राजस्थान की राजधानी जयपुर में इन दिनों एक अलग ही तरह की लहर चल रही है—‘गिव अप’ अभियान की। जहां लोग मुफ्त में मिलने वाले गेहूं का लाभ लेने से खुद ही पीछे हट रहे हैं।

राजस्थान की राजधानी जयपुर में इन दिनों एक अलग ही तरह की लहर चल रही है—‘गिव अप’ अभियान की। जहां लोग मुफ्त में मिलने वाले गेहूं का लाभ लेने से खुद ही पीछे हट रहे हैं। चौकाने वाली बात यह है कि जयपुर जिले में अब तक 1 लाख 88 हजार 255 अपात्र लोगों ने स्वयं को राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना से बाहर करवा लिया है, जबकि प्रशासन की ओर से इस संख्या को और बढ़ाने के लिए लगातार रात्रि चौपालों और जनसुनवाइयों का सहारा लिया जा रहा है।
कलेक्टर कर रहे खुद निगरानी
जयपुर जिला कलेक्टर डॉ. जितेन्द्र कुमार सोनी खुद इस अभियान की मॉनिटरिंग कर रहे हैं। उनके नेतृत्व में ही जिले को 'गिव अप' में टॉप पर लाया गया है। अभियान का असर ऐसा है कि कालवाड़ तहसील के बेगस गांव में रात्रि चौपाल के दौरान कलेक्टर के आह्वान पर 128 ग्रामीणों ने मौके पर ही योजना से नाम हटाने की सहमति दे दी।
ग्रामीणों से लेकर शहर तक गूंजा “गिव अप”
जिला रसद अधिकारी त्रिलोकचंद मीणा ने बताया कि गांव की चौपालों से लेकर शहर के जनसुनवाई केंद्रों तक ‘गिव अप’ अभियान की चर्चा है। पंचायतों, समाज के मौजिज लोगों और जनप्रतिनिधियों के जरिए लोगों को प्रेरित किया जा रहा है कि वे योजना का लाभ तभी लें जब वाकई जरूरतमंद हों।
986 अपात्रों को मिला नोटिस
खाद्य विभाग ने ऐसे 986 व्यक्तियों को नोटिस भी जारी किए हैं जो अब भी योजना में अपात्र होकर लाभ ले रहे हैं। इनमें वे लोग शामिल हैं जो सरकारी/अर्ध सरकारी संस्थानों में काम कर रहे हैं, या फिर जिनकी सालाना आमदनी 1 लाख रुपए से अधिक है, निजी चारपहिया वाहन रखते हैं या आयकरदाता हैं।
किसे हटाया जा रहा है सूची से?
गिव अप अभियान के तहत उन्हीं लोगों को सूची से हटाया जा रहा है, जिनके पास अब योजना का लाभ उठाने का वैध आधार नहीं है। इनमें वे भी शामिल हैं जिनके परिवार में कोई नियमित सरकारी या अर्ध-सरकारी कर्मचारी है, जो स्वायत्तशासी संस्थाओं से जुड़े हैं, जिनकी आय तय सीमा से अधिक है या जिन्होंने निजी चारपहिया वाहन खरीद रखा है।
30 जून तक चलेगा अभियान
जिला प्रशासन ने गिव अप मुहिम को 30 जून 2025 तक बढ़ा दिया है, ताकि और भी अधिक अपात्र लोग स्वेच्छा से योजना से बाहर हो सकें और इसका लाभ वास्तविक जरूरतमंदों तक पहुंचे।
नई सूची में 1.81 लाख नए नाम
जहां एक तरफ अपात्र लोग खुद हट रहे हैं, वहीं दूसरी ओर प्रशासन ने 1 लाख 81 हजार 485 नए पात्र लोगों को सूची में शामिल भी किया है, जिससे योजना की वास्तविक उपयोगिता और पारदर्शिता साबित होती है।
जयपुर की इस अनोखी पहल से बाकी जिलों को भी सबक लेने की जरूरत है। क्योंकि बात अब सिर्फ गेहूं की नहीं है, बल्कि ईमानदारी और जवाबदेही की है।
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