बिना परमिशन के विदेशी उड़ान पर निकलीं जयपुर ग्रेटर की मेयर, अब खड़ा हुआ बवाल!
जयपुर की नगर निगम ग्रेटर की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका विदेशी दौरा, जो उन्होंने बिना राज्य सरकार की अनुमति के कर लिया

जयपुर की नगर निगम ग्रेटर की मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर एक बार फिर सुर्खियों में हैं। इस बार वजह है उनका "विदेशी दौरा", जो उन्होंने बिना राज्य सरकार की अनुमति के कर लिया! मौका था ब्राजील के रियो डी जनेरियो में आयोजित ब्रिक्स एसोसिएशन ऑफ सिटीज की जनरल असेंबली का, जहां मेयर ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। लेकिन जनाब, न तो सरकार को बताया और न ही अनुमति ली गई... और यहीं से शुरू हुआ पूरा विवाद!
कैसे उपजा बवाल
नगर निगम ग्रेटर के नेता प्रतिपक्ष राजीव चौधरी ने तल्ख तेवर दिखाते हुए कहा कि कोई भी सरकारी अधिकारी, मंत्री या लोकसेवक बिना सरकार की इजाजत विदेश नहीं जा सकता। जब खर्च भी विदेशी संस्था उठा रही हो, तो FCRA (Foreign Contribution Regulation Act) की मंजूरी अनिवार्य है। उन्होंने पूछा – क्या नियम सिर्फ कागजों तक सीमित हैं?
पुराना रिकॉर्ड भी...
ये कोई पहला मौका नहीं है जब मेयर साहिबा विदेश दौरे पर बिना इजाजत निकल पड़ी हों। इससे पहले वे रूस भी बिना अनुमोदन के दौरा कर चुकी हैं। वहीं, 2017-18 में तत्कालीन मेयर अशोक लाहोटी को ऐसे ही कार्यक्रम के लिए बाकायदा सरकार से अनुमति लेनी पड़ी थी। यानी नियम तो सबके लिए हैं, पर लागू किसी-किसी पर?
सरकार बोली – करेंगे जांच!
नगरीय विकास मंत्री झाबर सिंह खर्रा ने मामला संज्ञान में आने पर जांच के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा, “यदि मेयर ने अनुमति नहीं ली है, तो नियमों के मुताबिक कार्रवाई होगी। निजी खर्च पर अनुमति की अनिवार्यता नहीं, लेकिन जब खर्च किसी विदेशी संस्था का हो, तो राज्य सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य है।”
कानूनी नजरिया भी साफ
नगर निगम और स्वायत्त शासन विभाग के पूर्व निदेशक विधि अशोक सिंह ने बताया कि मेयर को राजस्थान नगरपालिका अधिनियम की धारा 66 के तहत लोकसेवक माना जाता है। इस नाते उन्हें विदेश यात्रा के लिए राज्य सरकार से अनुमति लेनी ही थी। चाहे अवकाश छोटा हो या बड़ा – जब बात विदेश जाने की हो, तो "परमिशन लेना जरूरी" हो जाता है।
सोशल मीडिया पर शांति का पैगाम
दूसरी ओर, मेयर डॉ. सौम्या गुर्जर ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में इस यात्रा को “गर्व का क्षण” बताया। उन्होंने बताया कि उन्होंने शहरी विकास और भारत पर हुए आतंकी हमलों जैसे गंभीर मुद्दों को वहां उठाया। BRICS देशों से आतंक की निंदा करने की अपील भी की।
लेकिन सरकार को बताना भूलीं
सूत्रों की मानें तो मेयर को 1 मई को आमंत्रण मिला और 6 मई को उन्होंने सहमति भी दे दी। 26-28 मई तक चलने वाले इस कार्यक्रम का पूरा खर्च आयोजकों ने उठाया – जिसमें यात्रा, ठहराव, खाना और लोकल ट्रैवल शामिल था। लेकिन, सरकार को इसकी भनक तक नहीं दी गई!
अब ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर पर जांच की तलवार लटक रही है और पूरे शहर की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या वाकई नियम सबके लिए बराबर हैं या कुछ लोगों के लिए "वीआईपी छूट" लागू होती है?
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