हमने भारत को अपना घर माना, अब छोड़कर कहां जाएं? पाकिस्तान वापसी वाले ऑर्डर से छलका दर्द
आदेश ने उन पाकिस्तानी हिंदू विस्थापितों के बीच खलबली मचा दी है, जो धार्मिक यात्रा के लिए भारत आए थे या यहां शरण लेने की उम्मीद लेकर पहुंचे थे।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत सरकार द्वारा पाकिस्तान से आए नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश जारी किया गया है। इस आदेश ने उन पाकिस्तानी हिंदू विस्थापितों के बीच खलबली मचा दी है, जो धार्मिक यात्रा के लिए भारत आए थे या यहां शरण लेने की उम्मीद लेकर पहुंचे थे।
जोधपुर में ठहरे सिंध (पाकिस्तान) के रहने वाले ईश्वरदास और उनके परिवार के लिए यह खबर किसी भूचाल से कम नहीं। 27 मार्च को 50 लोगों के ग्रुप के साथ वाघा बॉर्डर पार कर भारत आए ईश्वरदास के परिवार का वीजा 25 मई तक वैध है, लेकिन अचानक मिले आदेश ने उनके होश उड़ा दिए हैं। उन्होंने बताया कि उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वे अब कहां जाएं और कैसे जाएं।
वाघा और अटारी बॉर्डर चेक पोस्ट फिलहाल बंद हैं, जिससे इन लोगों की वापसी की राह भी मुश्किल हो गई है। ईश्वरदास के रिश्तेदार मेवाराम ने बताया कि उनका पूरा परिवार आज ही जोधपुर से वाघा रवाना हो गया है, लेकिन वहां पहुंचकर भी प्रवेश मिलेगा या नहीं, इसकी कोई गारंटी नहीं है।
इन विस्थापितों का कहना है कि वे धार्मिक यात्रा पर हरिद्वार आए थे और फिर जोधपुर पहुंचे थे, जहां पहले से बसे पाक हिंदू परिवारों से मिलने आए थे। लेकिन अब सरकार के आदेश के बाद जोधपुर समेत आसपास की विस्थापित बस्तियों में भी डर का माहौल है।
सरकार के इस कदम से पाक विस्थापितों के कई संगठन सकते में हैं। उन्होंने भारत सरकार को पत्र लिखकर राहत की मांग की है। इन संगठनों का कहना है कि ये लोग धार्मिक उत्पीड़न के कारण पाकिस्तान छोड़कर भारत आए हैं, जहां वे सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन की उम्मीद लिए पहुंचे थे।
राजस्थान और गुजरात में पहले से हजारों पाक हिंदू विस्थापित रह रहे हैं, जिनमें से कई को नागरिकता की प्रक्रिया में सालों लग जाते हैं। ऐसे में अचानक उठाया गया यह कदम न केवल विस्थापितों को संकट में डाल रहा है, बल्कि मानवीय संवेदनाओं पर भी सवाल खड़े कर रहा है।
फिलहाल सभी की निगाहें भारत सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं। क्या मिलेगी इन विस्थापितों को कुछ राहत या 48 घंटों में छोड़नी होगी वह जमीन, जिसे वे अपना आखिरी आसरा मान बैठे थे?