भारत आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं करने की नीति अपना रहा है, उम्मीद है कि हमारे साझेदार इसे समझेंगे। यह बात भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने ब्रिटेन के विदेश मंत्री के साथ बातचीत के दौरान कही।
एस जयशंकर से भारत-पाक सैन्य टकराव में चीन की भूमिका पर सवाल पूछा गया। जवाब में उन्होंने कहा कि वे दोनों देश बहुत करीब हैं और बाकी तो आप सब जानते हैं। उन्होंने पाकिस्तान से परमाणु युद्ध की संभावना पर भी बयान दिया।
ऑपरेशन सिंदूर भारत की ओर से 6-7 मई को पाकिस्तान और पीओके में 9 आतंकी ठिकानों पर हमले का सैन्य अभियान था। इसका कारण 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुआ आतंकी हमला रहा, जिसमें 26 नागरिक मारे गए।
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि हमारी सेना ने जिस तरह से पाकिस्तान के मुख्य एयरबेस और डिफेंस सिस्टम पर अटैक किया था, उससे वह घुटने पर आ गया। अंत में पाकिस्तान के ही सैन्य अधिकारियों ने भारत के डीजीएमओ को कॉल किया और सीजफायर की गुहार लगाई। हमारी तरफ से सीजफायर इस तरह से मंजूर हुआ।
चुनाव प्रचार के दौरान भी मार्क कार्नी ने कहा था कि भारत के साथ रिश्तों को फिर से बनाना उनकी सरकार की प्राथमिकता है। उन्होंने कहा कि कनाडाई लोगों के भारत के साथ गहरे व्यक्तिगत, आर्थिक और रणनीतिक संबंध रहे हैं।
नई दिल्ली में, राहुल गांधी ने विदेश मंत्री एस. जयशंकर पर आरोप लगाया कि भारत की विदेश नीति ध्वस्त हो गई है। उन्होंने जयशंकर के एक साक्षात्कार का उल्लेख करते हुए यह सवाल उठाया कि पाकिस्तान के साथ भारत...
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बैसरन घाटी में भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 लोग मारे गए। आतंकियों ने सैन्य वर्दी पहनकर हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाया, धर्म पूछकर गोलीबारी की। इस हमले में 17 से अधिक लोग घायल भी हुए थे।
जयशंकर ने कहा कि भारत आतंकवाद के प्रति कतई न बर्दाश्त करने की नीति रखता है, भारत कभी भी न्यूक्लियर ब्लैकमेल के आगे नहीं झुकेगा। भारत पाकिस्तान के साथ द्विपक्षीय आधार पर निपटेगा।
जयशंकर ने कहा कि भारत की सुरक्षा चुनौतियां यूरोप के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं। उन्होंने कहा कि इसी स्थिति के चलते हमें सुरक्षा को प्राथमिकता देनी पड़ती है। आज आप समझ रहे हैं। उन्होंने कहा, 'आपकी (यूरोप) स्थिति दूसरे विश्व युद्ध के बाद से ही शांतिपूर्ण और स्थिरता वाली रही है।
जयशंकर ने स्पष्ट किया कि आतंकवाद और कश्मीर मुद्दे को एक साथ नहीं जोड़ा जा सकता। भारत के लिए आतंकवाद एक अंतरराष्ट्रीय अपराध है, जिसे किसी भी प्रकार से न्यायोचित नहीं ठहराया जा सकता है।