5 houses were demolished because of mafia atiq professor was forced to go to his in laws house माफिया अतीक के चक्‍कर में गिरा दिए गए थे 5 घर, प्रोफेसर को मजबूरन जाना पड़ा ससुराल, Uttar-pradesh Hindi News - Hindustan
Hindi Newsउत्तर प्रदेश न्यूज़5 houses were demolished because of mafia atiq professor was forced to go to his in laws house

माफिया अतीक के चक्‍कर में गिरा दिए गए थे 5 घर, प्रोफेसर को मजबूरन जाना पड़ा ससुराल

  • उर्दू साहित्य के जानेमाने साहित्यकार प्रो. फातमी सहित 5 लोगों के खिलाफ प्रयागराज विकास प्राधिकरण ने 8 मार्च 2021 को यह कार्रवाई माफिया अतीक अहमद का करीबी बताते हुए की थी, कहा गया था कि इनके मकान अतीक की बेनामी जमीन पर बनाए गए हैं। इसी धारणा के साथ यह कार्रवाई की गई थी।

Ajay Singh प्रमुख संवाददाता, प्रयागराजWed, 2 April 2025 12:42 PM
share Share
Follow Us on
माफिया अतीक के चक्‍कर में गिरा दिए गए थे 5 घर, प्रोफेसर को मजबूरन जाना पड़ा ससुराल

प्रयागराज के लूकरगंज स्थित जिन पांच लोगों के मकान गिराए जाने को सुप्रीम कोर्ट ने असंवैधानिक और अमानवीय करार दिया है, उसमें इलाहाबाद विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग के अध्यक्ष रहे प्रो. अली अहमद फातमी और उनकी बेटी नायला फातमी का मकान भी शामिल था। उर्दू साहित्य के जानेमाने साहित्यकार प्रो. फातमी सहित पांच लोगों के खिलाफ प्रयागराज विकास प्राधिकरण (पीडीए) ने आठ मार्च 2021 को यह कार्रवाई माफिया अतीक अहमद का करीबी बताते हुए की थी, कहा गया था कि इनके मकान अतीक की बेनामी जमीन पर बनाए गए हैं। इसी धारणा के साथ यह कार्रवाई की गई थी। मकान टूटने के बाद प्रो. फातमी को मजबूरन करेली स्थित अपनी ससुराल में रहने के लिए जाना पड़ा था। इविवि से अवकाश प्राप्त करने के बाद उन्होंने करेली के एक अपार्टमेंट में फ्लैट बुक किया था, वर्तमान में वह इसी फ्लैट में रह रहे हैं।

पीडीए ने अतीक अहमद सहित अन्य माफियाओं के अवैध निर्माण के खिलाफ कार्रवाई सितंबर 2020 में शुरू की थी, यह कार्रवाई मार्च 2021 तक चली। इस दौरान पीडीए के दस्ते ने 58 बड़ी कार्रवाई करते हुए सौ से अधिक निर्माण अतीक एवं अन्य माफियाओं के बता कर ध्वस्त किए थे। इसी दौरान प्रो. फातमी, उनकी बेटी नायला फातमी, अधिवक्ता जुल्फिकार हैदर, बेबी मैमूमा और शहनाज परवीन के मकान भी तोड़े गए थे। पीडीए के अफसरों का कहना है कि प्रो. फातमी के मकान का ध्वस्तीकरण करने की तैयारी जनवरी 2021 से ही शुरू हो गई थी। ध्वस्तीकरण के पहले आठ जनवरी को प्रो. फातमी सहित अन्य लोगों को अवैध निर्माण स्वत: तोड़ने का एक नोटिस भेजा गया था। जिसमें कहा गया था कि जिस नजूल भूखंड पर उनका मकान बना है, उसका पट्टा 1999 में समाप्त हो गया। अफसरों का कहना है कि एक मार्च को एक और नोटिस भेजा गया था, जिसमें कहा गया था कि आप स्वयं मकान तोड़ने के इच्छुक नहीं हैं, उन्हें दो दिन में मकान तोड़ने की मोहलत दी गई थी। इसके बाद कार्रवाई की गई हालांकि याचिकाकर्ताओं का कहना है कि एक मार्च का पत्र उन्हें छह मार्च को मिला और फिर कार्रवाई कर दी गई।

ये भी पढ़ें:छात्रा से मुलाकात पर कॉलेज में हंगामा, पहुंची पुलिस; प्रिंसिपल ने करा दिया केस

किताब लेकर भागती बच्ची के वीडियो का सुप्रीम कोर्ट ने किया जिक्र

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उस वीडियो का जिक्र किया, जिसमें हाल ही में यूपी में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान एक आठ साल की बच्ची किताबें पकड़कर भाग रही है। उसी दौरान एक बुलडोजर उसकी झुग्गी को गिरा रहा था। शीर्ष अदालत ने कहा कि इस वीडियो ने सभी को चौंका दिया है।

जस्टिस अभय एस ओका और उज्जल भुइयां की पीठ ने प्रयागराज में अवैध रूप से बनाई गई झुग्गी को गिराने के मामले की सुनवाई के दौरान अंबेडकरनगर के जलालपुर से वायरल वीडियो का जिक्र किया। जस्टिस भुइयां ने मौखिक रूप से कहा कि हाल ही में एक वीडियो सामने आया है। उस वीडियो में बुलडोजर से छोटी-छोटी झुग्गियों को गिराया जा रहा है। इसी दौरान एक छोटी लड़की अपने हाथ में किताबों का एक गुच्छा लेकर ढहाई गई झुग्गी से भाग रही है। वीडियो में अतिक्रमण विरोधी अभियान के दौरान बुलडोजर को भी तेजी से चलते हुए दिखाया गया है, जिसकी विपक्ष ने तीखी आलोचना की है। आलोचना के बाद पुलिस ने इस कार्रवाई का बचाव किया था। कहा था कि जलालपुर तहसीलदार की अदालत के आदेश के बाद जमीन से अतिक्रमण हटाने के लिए यह कार्रवाई की गई। गैर-आवासीय संरचनाओं को हटाने से पहले कई नोटिस जारी किए गए थे।

1988 से रह रहे थे प्रो. फातमी

पीडीए के तत्कालीन विशेष कार्याधिकारी आलोक पांडेय के नेतृत्व में ध्वस्तीकरण की कार्रवाई की गई थी। तीन घंटे तक चली ध्वस्तीकरण की कार्रवाई में प्रो. फातमी अपने परिवार के साथ उस आशियाने को ढहते हुए देखते रहे, जिसे उन्हें बड़े परिश्रम से बनवाया था। उन्होंने यह जमीन 1985 में खरीदी थी और वह 1988 से यहां मकान बनाकर रह रहे थे। कार्रवाई से कुछ वर्ष पहले उन्होंने अपनी बेटी का मकान भी यहीं बनवा दिया था।

ये भी पढ़ें:कुटटू के खराब आटे ने सहारनपुर से देहरादून तक बरपाया कहर, सैकड़ों की तबीयत खराब

कब्जे की जमीन पर बने पीएम आवास के घर

लूकरगंज स्थित एक बड़े भूखंड (4500 वर्ग गज) पर अभियान चला कर नौ मकान तोड़े गए थे। सात मार्च से 10 मार्च 2021 तक भूखंड पर लगातार चले अभियान में नौ मकानों को तोड़ा गया था। बाद में इस भूखंड पर प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत आवास बनाए गए थे। इस भूखंड पर भी अतीक अहमद का कब्जा था। यह भूखंड कभी घोड़े का अस्तबल हुआ करता था।

अखिलेश यादव ने किया फैसले का स्‍वागत

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रयागराज में घर ढहाए जाने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट के दिए गए निर्णय का स्वागत किया है। अखिलेश यादव ने मंगलवार को एक्स पर लिखा, सुप्रीम कोर्ट का ये आदेश स्वागत योग्य है। परिवारवालों के लिए तो घर एक भावना का नाम है और उसके टूटने पर जो भावनाएं हत होती हैं उनका न तो कोई मुआवज़ा दे सकता है न ही कोई पूरी तरह पूर्ति कर सकता है। परिवारवाला कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा!

पीडीए ने क्‍या कहा

पीडीए के उपाध्‍यक्ष डॉ. अमित पाल शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिया है उसकी प्रति का इंतजार किया जा रहा है, आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद उसका अध्ययन कर अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा।