बोले आगरा: जर्जर टंकियों से सांसत में हजारों जान
Agra News - शहर में कई जगहों पर पानी की टंकियां खतरे में हैं। दयालबाग क्षेत्र में चार प्रमुख कॉलोनियों की टंकियां जर्जर हो चुकी हैं, जिससे स्थानीय लोग डर के मारे पार्कों में नहीं जा रहे हैं। कई बार अधिकारियों से...
शहर में विभिन्न स्थानों पर स्थापित पानी की टंकियां बड़े हादसे का कारण बन सकती हैं। केवल दयालबाग क्षेत्र में ही चार प्रमुख कॉलोनियों में बनाई गईं पानी की टंकियां जर्जर हो चुकी हैं। इन टंकियों से हर दिन मलबा गिर रहा है। इस वजह से स्थानीय लोगों ने पानी की टंकियों के आसपास जाना बंद कर दिया है। उनमें डर का माहौल बन गया है। संबंधित विभाग के अधिकारियों से समस्या के समाधान की कई बार गुहार लगाई जा चुकी है। संवाद कार्यक्रम में इन टंकियों की वजह से होने वाली दहशत को दयालबाग में रहने वाले लोगों ने रखा।
मथुरा में जर्जर पानी की टंकी को गिराने में बरती गई लापरवाही लोगों के लिए जानलेवा साबित हुई थी। आगरा में भी ऐसे हादसे का अंदेशा जताया जा रहा है। क्योंकि शहर में एक दर्जन से ज्यादा पानी की टंकिया चिह्नित की गई हैं। जिन्हें जर्जर माना गया है। स्थानीय लोगों ने हादसे की आशंका जताई है। इसके बाद भी इन टंकियों को ध्वस्त नहीं किया जा सका है।
दयालबाग क्षेत्र में अदन बाग एक्सटेंशन, तुलसी विहार, सरला बाग और इंद्रधनुष कॉलोनी के पार्कों में लगी पानी की टंकियां हादसे को न्योता दे रही हैं। बार-बार शिकायत की जा रही है। इसके बाद भी जिम्मेदारों के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। हालात ऐसे बन गए हैं कि लोगों ने पार्क में जाना बंद कर दिया है।
बच्चों को भी पार्क में नहीं जाने देते हैं। स्थानीय लोगों ने बताया कि कई बार अधिकारियों से शिकायत की जा चुकी है। इसके बाद भी ध्यान नहीं दिया गया। किसी भी दिन टंकी अचानक गिर गई तो बड़ा हादसा हो सकता है। संबंधित विभाग टंकी को ध्वस्त करा दे तो हादसा टल सकता है।
क्षेत्रीय पार्षद भी स्थानीय लोगों के साथ मंडलायुक्त से मुलाकात कर चुके हैं। उन्हें ज्ञापन सौंप चुके हैं। इसके बाद भी समस्या जस की तस है। पार्षद ने बताया कि पानी की टंकियों के अलावा भी वार्ड क्षेत्र में कई दिक्कतें हैं। उन्होंने बताया कि दयालबाग इंजीनियरिंग कॉलेज से कल्याणी हाइट्स तक जाने वाली 100 फुटा रोड कई बार बनाई जा चुकी है।
इसके बाद भी बारिश होते ही मार्ग में जगह जगह गड्ढे हो जाते हैं। कई बार हादसे भी हो चुके हैं। मार्ग निर्माण कार्य की जांच होनी चाहिए। वार्ड क्षेत्र में कई कॉलोनियां ऐसी भी हैं, जहां सड़कों का निर्माण नहीं हो पाया है। ऐसे क्षेत्रों में बारिश के वक्त हालात नारकीय हो जाते हैं। लोगों का घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो जाता है।
लोगों ने शासन प्रशासन से समस्याओं के समाधान की मांग उठाई है। लोगों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वो आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होंगे। कॉलोनियों के मौजूदा हालात से महिलाओं में भी जबरदस्त गुस्सा है। उनका कहना है कि टंकी गिरने के डर से वो घर के सामने बने पार्क में घूमने तक नहीं जा सकती हैं। घर में कैद होकर रह गई हैं।
शहर में चिह्नित हैं 20 से ज्यादा जर्जर टंकियां
शहर में जर्जर पानी की टंकियों को लेकर अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। मथुरा में जून 2024 को हुए हादसे के बाद शहर में जर्जर टंकियों को सर्वे कराया गया था। तब कहा गया था कि टंकियों को ध्वस्त किया जाएगा। लेकिन अभी तक शहर में करीब दर्जन भर जर्जर हो चुकी पानी की टंकियां नहीं गिराई गई हैं। मथुरा हादसे के बाद जब सर्वे हुआ था। तब 21 ऐसी टंकियां मिली थी जो जर्जर हो चुकी हैं।
माना जा रहा है ये टंकियां कभी गिर सकती हैं। इनकी वजह से क्षेत्रीय लोग दहशत में हैं। इनमें दयालबाग अलावा कमला नगर, सिकंदरा, वाटर वर्क्स ट्रेनिंग सेंटर के पास, संजय प्लेस चौकोर टंकी, इंद्रापुरम, रोशन नगर, गौबर चौकी, कोतवाली, शहीद नगर की टंकिया शामिल हैं। लोग इनको गिराने की मांग कर रहे हैं।
वर्ष 1975 से वर्ष 2011 के बीच बनी हैं टंकियां
सर्वे में जो टंकियां गिरासू पाई गई थीं। उनमें अधिकांश टंकियों का निर्माण 1975 से 2011 के बीच हुआ है। इस समयावधि में 46 पानी की टंकियों का निर्माण किया गया था। इनमें अभी 30 से ज्यादा टंकियों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। इनमें सबसे पुरानी टंकी कमला नगर की है।
यह टंकी 1975 में बनाई गई थी। जबकि बजरंग नगर में बनी पानी की टंकी का निर्माण वर्ष 2011 में किया गया था। कमला नगर के नटराजपुरम में एक टंकी वर्ष 2021 में गिराई गई थी। यह टंकी जर्जर हो चुकी थी। इसको प्रयोग में नहीं लिया जा रहा था।
इलाके के पार्कों में पसरा सन्नाटा, दहशत में लोग
दयालबाग क्षेत्र में जिन स्थानों पर टंकिया गिरासू हालत में हैं। वहां आसपास रहने वाले परिवार दहशत में हैं। गिरासू टंकियों की वजह से लोगों ने अब पार्कों में जाना बंद कर दिया है। क्षेत्रीय पार्षद भरत शर्मा ने बताया उन्होंने पहले भी जर्जर टंकियों की समस्या को लेकर अधिकारियों से लिखित में शिकायत की थी।
अधिकारियों ने टंकियों का सर्वे कार्य भी किया था। इसके बाद उम्मीद जगी थी कि समस्या का समाधान हो जाएगा। लेकिन हालात नहीं बदले। उन्होंने बताया कि इस समस्या को लेकर पिछले दिनों वो क्षेत्रीय लोगों के साथ मंडलायुक्त शैलेंद्र सिंह से मिले थे।
बारिश के मौसम में खतरा और बढ़ जाएगा
दयालबाग क्षेत्र में पानी की टंकियां की हालत खराब है। ऐसे में मानसून का मौसम कॉलोनी में रहने वाले परिवारों के लिए बड़ा खतरा खड़ा कर सकता है। लोगों को इस बात की चिंता सता रही है कि अचानक तेज आंधी आने पर कहीं पानी की टंकी जमीदोज ना हो जाएं। ऐसा हुआ तो लोगों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो जाएगी।
अगर कोई टंकी के आसपास हुआ तो उसकी जान भी चली जाएगी। स्थानीय लोगों की पीड़ा है कि शिकायत के बाद भी जलकल विभाग द्वारा किसी भी जर्जर टंकी की ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इस उदासीनता से लोगों में नाराजगी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि ये लापरवाही तेज बारिश में भारी पड़ सकती है।
शहर में जर्जर पानी की टंकियों को लेकर प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। मथुरा में जून 2024 को हुए हादसे के बाद शहर में जर्जर टंकियों को सर्वे कराया गया था। तब कहा गया था कि टंकियों को ध्वस्त किया जाएगा। अभी तक ऐसा नहीं हो पाया है।
मंजू मिश्रा, स्थानीय निवासी
पहले भी जर्जर टंकियों की समस्या को लेकर अधिकारियों से लिखित में शिकायत की थी। इसके बाद अधिकारियों ने टंकियों का सर्वे कार्य भी किया था। हम लोगों को उम्मीद जगी थी कि अब शायद समस्या का समाधान हो जाएगा। इसके बाद भी हालात नहीं बदले।
राजेंद्र सिंह, स्थानीय निवासी
सर्वे में जो टंकियां गिरासू पाई गई थीं। उनमें अधिकतर टंकियों का निर्माण 1975 से 2011 के बीच हुआ है। इस समयावधि में करीब 46 टंकियों का निर्माण हुआ था। अभी 30 से ज्यादा टंकियों से पानी की आपूर्ति की जा रही है। सबसे पुरानी टंकी कमला नगर की मिली है।
भरत शर्मा (क्षेत्रीय पार्षद)
दयालबाग क्षेत्र में जिन स्थानों पर टंकिया गिरासू हालत में हैं। वहां आसपास रहने वाले परिवार दहशत में हैं। गिरासू टंकियों की वजह से लोगों ने अब पार्कों में जाना बंद कर दिया है। इस समस्या को लेकर पिछले दिनों वो क्षेत्रीय लोगों के साथ कमिश्नर शैलेंद्र सिंह भी मिले थे।
एसके सिंह, स्थानीय निवासी
शहर में प्रशासनिक मशीनरी की लापरवाही बड़े हादसे का कारण बन सकती है। केवल दयालबाग क्षेत्र में ही चार प्रमुख कॉलोनियों में बनाई गईं पानी की टंकिया जर्जर हो चुकी हैं। टंकियों से हर दिन मलबा गिर रहा है। लोगों ने डर के मारे टंकी के आसपास जाना बंद कर दिया है।
अमित मुखर्जी, स्थानीय निवासी
दयालबाग के अदन बाग, तुलसी विहार, इंद्र धनुष कालोनी, कमला नगर, सिकंदरा, वाटर वर्क्स ट्रेनिंग सेंटर के पास, संजय प्लेस टंकी, इंद्रापुरम, रोशन नगर, गौबर चौकी, कोतवाली, शहीद नगर सहित करीब 21 टंकियां ऐसी मिली हैं। जो गिरासू हालत में हैं।
अनुपम शर्मा, स्थानीय निवासी
बारिश के वक्त हालात नारकीय हो जाते हैं। लोगों का घर से बाहर निकलना तक मुश्किल हो जाता है। लोगों का कहना है कि अगर उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वो आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होंगे। टंकियों की वजह से बच्चों को खतरा रहता है।
बबीता गुप्ता, स्थानीय निवासी
अभी तक शहर में करीब दर्जन भर जर्जर हो चुकी पानी की टंकियां नहीं गिराई गई हैं। मथुरा हादसे के बाद जब सर्वे हुआ था। तब करीब 21 ऐसी टंकियां ऐसी पाई गई थीं। जो जर्जर हो चुकी हैं। माना जा रहा है कि ये टंकियां कभी गिर सकती हैं। इसका समाधान होना चाहिए।
अर्चना पाराशर, स्थानीय निवासी
जर्जर टंकियों को गिराने के मामले में अधिकारियों की लापरवाही देखने को मिल रही है। इन टंकियों से रोजाना मलबा नीचे गिरता है। डर की वजह से लोगों ने पार्क में जाना छोड़ दिया है। समस्या हल न होने से काफी दिक्कत है।
आशीष जैन, स्थानीय निवासी
मथुरा में पानी की टंकी गिरने से बड़ा हादसा हुआ था। दयालबाग में चार स्थानों पर जर्जर टंकियां लगी हुई हैं। अगर टंकियों को नहीं गिराया गया तो किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है। जनहानि हो सकती है।
सुरेश चंद जोशी, स्थानीय निवासी
दयालबाग की कई कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। सड़क और पक्की नालियां तक नहीं हैं। बारिश के मौसम में जलभराव की समस्या से जूझना पड़ता है। समस्याओं का स्थाई समाधान किया जाना चाहिए।
लोकेश, स्थानीय निवासी
इंजीनियरिंग कॉलेज से कल्याणी हाइट्स तक जाने वाले 100 फुटा मार्ग का कई बार निर्माण हो चुका है। इसके बाद भी बारिश का मौसम शुरु होते ही सड़कों में गड्ढे हो जाने की वजह से जलभराव हो जाता है।
सुधीर श्रीवास्तव, स्थानीय निवासी
टंकियों की वजह से पार्क में नहीं जा पाते हैं। हादसा होने का डर लगा रहता है। इस समस्या का प्राथमिकता के साथ समाधान किया जाए। टंकियों की समस्या का समाधान होगा तो हमारा पार्क में जाना शुरु हो पाएगा।
हिमांशु अग्रवाल, स्थानीय निवासी
मेरा कहना है कि आज भी सरकारी काम सुस्त तरीके से हो रहे। हम लोग कई बार टंकियों को ध्वस्त करने की मांग कर चुके हैं। हादसे की संभावना जता चुके हैं। बारिश के मौसम में दिक्कत हो सकती है।
सुरेश अग्रवाल , स्थानीय निवासी
दयालबाग में सड़कों की स्थिति सही नहीं हैं। इस वजह से लोगों को परेशानी उठानी पड़ती है। बुजुर्ग लोगों को मॉर्निंग वॉक में जाने पर दिक्कत होती है। मेरी यही मांग है कि दयालबाग क्षेत्र की सभी सड़कें सही की जाएं।
मदन लाल अग्रवाल, स्थानीय निवासी
पानी की टंकिया किसी भी दिन हादसे का कारण बन सकती हैं। बारिश के मौसम से पहले टंकियों की समस्या का समाधान कर दिया जाए। तेज बारिश होने पर जर्जर टंकिया किसी भी समय धराशायी हो सकती हैं।
दिनेश चंद्र शर्मा, स्थानीय निवासी
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