मॉडल ग्राम पंचायतों ने नगर निगम को भी पीछे छोड़ा
नए-नए नवाचार करके प्रधानों ने बदल डाली गांवों की दिशा और दशा,जल संरक्षण और कूड़ा निस्तारण के लिए कई पंचायतों ने उठाया कदम,ग्राम पंचायतों के सचिवालय भी निकायों के भवनों को दे रहे हैं टक्कर
प्रधान बनने की होड़ में अब लगातार ग्राम पंचायतों की दिशा व दशा बदल रही है। 35 लाख से अधिक आबादी वाले जनपद में 852 गांव हैं। अलीगढ़ की सैकड़ों की संख्या में ऐसे ग्राम पंचायतें हैं जिन्होंने नगर निगम, नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों को आइना दिखाने का काम किया है। जिले की मॉडल ग्राम पंचायतें दूसरे गांवों के लिए प्रेरणा बन रही हैं। प्रधानी में आधी आबादी का भी दबदबा है। बेशक घूंघट में महिलाएं प्रधानी चला रहीं हो, लेकिन केंद्र से लेकर राज्य स्तरीय पुरस्कार भी अपने कार्यों के दम पर ला रहीं हैं। देश के कई हिस्सों में प्रशिक्षण से लेकर अलीगढ़ का प्रतिनिधित्व भी किया है। टप्पल की भरतपुर गांव की प्रधान को राष्ट्रपति से पुरस्कार तक मिल चुका है। जो सुविधाएं नगर निगम, नगर पालिकाओं व नगर पंचायतों में मिल रही वही सुविधाएं अब गांवों में मिलने लगी हैं। एक दूसरे को देखकर भी प्रधान आगे कदम बढ़ा रहे हैं। एक समय ऐसा भी होता था, जब गांव में कच्ची सड़क, कूड़े ढेर, जलभराव, पानी की किल्लत, अंधेरा व बैठक करने के लिए स्थान नहीं होता था। लेकिन अब ऐसा नहीं है। आधुनिक पंचायत सचिवालय विकास की नई पटकथा लिख रहे हैं।
483 गांवों से घर-घर कूड़ा उठान और एप से की जा रही निगरानी
जनपद में सफाई व्यवस्था पहले बड़ी समस्या थी। लेकिन अब इसमें सुधार हो रहा है। नगर निगम की तर्ज पर डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन की योजना अलीगढ़ के गांवों में लागू की गई है। 852 ग्राम पंचायतों में 483 गांवों में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन का काम किया जा रहा है। जिला पंचायतराज विभाग को केंद्र व राज्य वित्त से 168 करोड़ रुपये से अधिक का बजट मिलता है। इसके अलावा कार्यों के आधार पर ग्राम पंचायतों को अलग-अलग निधि में बजट जारी किया जाता है।
गांव में सफाई व्यवस्था सुदृढ़ हुई तो कूड़े के ढेर लगने लगे। इसके बाद अलीगढ़ आए सीडीओ प्रखर कुमार सिंह ने डोर टू डोर कूड़ा उठान की व्यवस्था को प्रभावी बनाया। कूड़ा उठान को ई-रिक्शा की खरीद की गई।
स्वच्छ भारत मिशन ग्रामीण फेज दो के तहत 500 गांवों में कचरा से कंचन केंद्र का निर्माण कराया गया। जिसमें 483 गांवों में ई-रिक्शा से डोर टू डोर कूड़ा उठान हो रहा है। ग्राम पंतायतों के प्रधान, सचिव, पंचायत सहायक, सफाई कर्मी को आवश्यक प्रक्रिया व तकनीकी प्रशिक्षण भी दिलाया गया। पंचायतराज विभाग के तहत 1023 सफाई कार्मिक तैनात हैं जो गांवों में सफाई का कार्य कर रहे हैं।
अच्छी कार्यों के लिए 32 ग्राम प्रधानों को दिया गया था सम्मान
जनपद में उत्कृष्ट काम करने वाले 32 ग्राम प्रधानों को सम्मानित किया था। पंचायत सचिवालय, कचरा केंद्र, अंत्येष्टि स्थल, जल संरक्षण, पर्यावरण संरक्षण, कंपोस्ट पिट, कच्ची सड़कों को पक्की कराने समेत अन्य विशेष काम करने पर सम्मानति किया गया था। प्रधान प्रदीप कुमार, संध्या देवी, रूचि भारद्वाज, साहब सिंह, पुष्पा देवी, रामवती देवी, ओमप्रकाश, ऊषा देवी, अनीसा बेगम, सदफ इल्यास, रजिया खान, नीरज देवी, पानकुमारी, गजेन्द्र सिंह, किरन देवी, चंदन सिंह, राजू, सीमा देवी, रतनेश, रीना देवी, ओमवती देवी, प्रवीण कुमार शर्मा, नीलम देवी, सुधीरपाल सिंह, योगेश चौधरी, कल्पना सिंह, हुश्नबानो, ललितेश चौहान, उदयवीर सिंह, श्यामवती देवी, सत्यपाल सिंह, परमेश उपाध्याय सम्मानित किए गए थे।
भरतपुर की प्रधान को राष्ट्रपति से लेकर मुख्यमंत्री ने किया सम्मानित
जनपद की टप्पल ब्लाक के भरतपुर ग्राम पंचायत दूसरी पंचायतों के लिए प्रेरणा है। भरतपुर की प्रधान ने अपने नवाचार से गांव की तस्वीर बदल दी। अभी हाल ही में गांव को स्वच्छ जल गांव का दर्जा मिला था। सोक पिट, डब्ल्यूएसपी, फिल्टर चैंबर व अपशिष्ट जल का 100 प्रतिशत प्रबंधन किया गया है। भरतपुर गांव की साक्षरता दर 95 फीसदी और आबादी 1500 से अधिक है। एक बार राष्ट्रपति एवं दो बार मुख्यमंत्री भरतपुर की प्रधान नीलम देवी को पंचायत पुरस्कार से सम्मानित कर चुके हैं। लखनऊ, दिल्ली व भुवनेश्वर की विजिट कर चुकी हैं।
भरतपुर गांव की विशेषताएं
गांव में बच्चों के लिए अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य के लिये विस्तृत कार्य किये गए हैं। जिसमें प्राथमिक विद्यालय को शासन द्वारा 19 पैरामीटर पर संतृप्त किया गया। बाल हितैषी शौचालय, मल्टीलेयर हैण्डवॉश यूनिट, फर्नीचर, स्मार्ट क्लास, वाई-फाई, सीसीटीवी कैमरे, बच्चों के बैठने के लिए फर्नीचर, खेल मैदान, मिड डे मील प्लेटफार्म, इको फ्रैण्डली इनवायरमेंट विकसित किया गया है।
फैक्ट फाइल
852 ग्राम पंचायत
483 मॉडल पंचायत
कूड़ा कलेक्शन 55.95 लाख
सीडीओ ने कहा
जनपद की ग्राम पंचायतों में लगातार विकास कार्य कराए जा रहे हैं। टप्पल समेत कई पंचायतें रोल मॉडल साबित हो रही हैं। 483 गांवों में डोर टू डोर कूड़ा उठान चल रहा है, जिसकी निगरानी एप से की जा रही है। एक रुपये रोजाना कूड़ा उठान का शुल्क लिया जाता है। जल संचयन से लेकर पर्यावरण संरक्षण को लेकर ग्राम पंचायतों को जागरूक किया जा रहा है। प्रखर कुमार सिंह, सीडीओ।
गांंवों में कच्ची सड़कों को पक्की करने का काम तेजी से चल रहा है। कचरा कंचन केंद्र स्थापित किए गए हैं, जिससे कूड़ा पृथक किया जाता है। कई गांवों में कंपोस्ट पिट बनाई गई है। जैविक खाद तैयार की जा रही है। आधुनिक पंचायत सचिवालय का निर्माण हुआ है। राशिद खान, एडीपीआरओ।
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