आतंकियों का ठिकाना रहा अलीगढ़, 48 साल पहले हुई थी सिमी की स्थापना
Aligarh News - पहलगाम हमले के बाद, अलीगढ़ में आतंकियों की गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। टीआरएफ ने हमले की जिम्मेदारी ली है। अलीगढ़ में कई संदिग्ध आतंकियों को गिरफ्तार किया गया है। पुलिस और खुफिया...

- पहलगाम हमले के बाद देशविरोधी गतिविधि में शामिल आतंकियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश - पूर्व में कई संदिग्ध आतंकी अलीगढ़ से किए गए गिरफ्तार, पुलिस व खुफिया एजेंसियां हुई सक्रिय
अलीगढ़, वरिष्ठ संवाददाता। पहलगाम हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन टीआरएफ ने ली है। लेकिन, इस घटना के बाद अलग-अलग संगठनों व देश विरोधी गतिविधियों में शामिल आतंकियों पर कड़ी नजर रखने के निर्देश दिए गए हैं। ऐसे में जिला पुलिस व खुफिया एजेंसियां भी अलर्ट है। पूर्व में यहां कई आतंकी अपना ठिकाना बना चुके हैं। करीब 48 साल पहले आतंकी संगठन सिमी की स्थापना भी अलीगढ़ में हुई थी। इसका दफ्तर फिलहाल सील है।
वर्ष 1975 में आपातकाल के दौरान तमाम छात्र संगठनों पर भी पाबंदी लगी थी। आपातकाल हटा तो छात्रों को लामबंद करने के इरादे से 25 अप्रैल 1977 को अलीगढ़ में स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट आफ इंडिया (सिमी) की स्थापना की गई। यह संगठन एक दशक बाद ही रास्ता भटक गया। 80 के दशक में तमाम कार्यकर्ता उग्रवाद की ओर बढ़ चुके थे। इनकी राष्ट्रविरोधी हरकतें तब सामने आईं, जब अयोध्या में विध्वंस हुआ। तब सिमी नेताओं ने तिरंगे तक को सलाम करने से इन्कार कर दिया था। कई राज्यों में बम धमाकों में संलिप्तता की पुष्टि के बाद प्रतिबंध लगा दिया गया। तभी से शहर के शमशाद मार्केट में खुला संगठन का दफ्तर सील है। उधर, देशविरोधी गतिविधियों में फंडिंग को लेकर सुर्खियों में रहा संगठन पापुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) का भी अलीगढ़ से कनेक्शन रहा। चर्चा है कि सिमी के सक्रिय सदस्य पीएफआई से जुड़ गए थे। हालांकि देश में जब भी कोई आतंकी पकड़ा गया, अलीगढ़ का नाम जरूर चर्चाओं में रहा। पिछले दो वर्षों कई संदिग्ध आतंकी यहां से पकड़े गए, जिनके तार आतंकी संगठनों से जुड़े थे। यहां तक कि अन्य प्रदेशों से पकड़े गए आंतकियों ने यहां रह रहे संदिग्धों के संपर्क में रहकर अलीगढ़ माड्यूल खड़ा कर दिया।
मन्नान वानी के आतंकी कनेक्शन ने उड़ाए थे होश
एएमयू छात्र मन्नान वानी का आतंकी कनेक्शन सामने आने के बाद सबके होश उड़ गए थे। उत्तरी कश्मीर के कुपवाड़ा के लोलब गांव का मन्नान वानी एएमयू से पीएचडी कर रहा था। मन्नान उस वक्त सुर्खियों में आया था, जब उसने कश्मीर में मारे गए आतंकी बुरहान वानी के समर्थन में कैंपस में पोस्टर बांटे थे। दो जनवरी 2018 को हबीब हाल के कमरा नंबर 237 में रहने वाला मन्नान लापता हो गया था। सात जनवरी को इंटरनेट मीडिया पर उसकी एके-47 लिए तस्वीर सामने आई। अक्टूबर 2018 में जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा में सुरक्षा बलों के साथ मुठभेड़ में मन्नान मारा गया था।
एक रात रुका था अबु बशर
अहमदाबाद में सीरियल बम धमाके में सजा पाने वालों में शामिल अबु बशर यहां आया था और एक रात रुका था। मुख्य साजिशकर्ता सफदर नागौरी के भी अलीगढ़ से गहरे संपर्क रहे हैं। अबु बशर के दूसरे साथी आजमगढ़ के संजरपुर के मो. सैफ को लेकर भी अलीगढ़ आने की जानकारी मिली थी।
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इस तरह जिले से पकड़े गए संदिग्ध आतंकी
- 16 जुलाई 2023 को एनआइए की टीम ने यहां रह रहे झारखंड के फैजान अंसारी को गिरफ्तार किया था। फैजान एएमयू का पूर्व छात्र था। यूनिवर्सिटी में दाखिला लेने से पहले ही वह देश में बड़े हमले की साजिश रच रहा था।
- दो अक्टूबर 2023 को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने तीन आतंकियों को गिरफ्तार किया। इनमें झारखंड का अरशद वारसी शामिल था, जो 12 साल तक अलीगढ़ में रहा था।
- पांच नवंबर 2023 को एटीएस ने यहां से अब्दुल्ला अर्सलान और माज बिन तारिक को गिरफ्तार किया। छत्तीसगढ़ से वजीहुद्दीन को पकड़ा गया। वजीहुद्दीन एएमयू का पूर्व छात्र था और कोचिंग चलाता था।
- आठ जनवरी को फराज अहमद को गिरफ्तार किया गया। इसके बाद मार्च में हारिस पकड़ा गया, जो वाट्सएप ग्रुप के माध्यम से एक छात्र संगठन से जुड़ा था। अलीगढ़ माड्यूल को आपरेट कर रहा था।
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