Awareness Lacking Among Parents About Autism Spectrum Disorder in Children दो से तीन प्रतिशत बच्चों को रहती है ऑटिस्टिक मानसिक बीमारी, Ayodhya Hindi News - Hindustan
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दो से तीन प्रतिशत बच्चों को रहती है ऑटिस्टिक मानसिक बीमारी

Ayodhya News - अयोध्या में ऑटिस्टिक मानसिक बीमारी के प्रति अभिभावकों में जागरूकता की कमी है। यह बीमारी बच्चों में असामान्य व्यवहार का कारण बनती है, लेकिन बौद्धिक स्तर में कमी नहीं आती। हर महीने अस्पताल में चार से...

Newswrap हिन्दुस्तान, अयोध्याSun, 13 April 2025 01:08 AM
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दो से तीन प्रतिशत बच्चों को रहती है ऑटिस्टिक मानसिक बीमारी

अयोध्या, संवाददाता। ऑटिस्टिक मानसिक बीमारी को लेकर अभिभावको में जागरुकता का अभाव है। इस बीमारी की वजह से बच्चों में असमान्य व्यवहार दिखाई देता है, लेकिन इन बच्चों के बौद्धिक स्तर में कोई कमी नहीं होती है। दो से तीन प्रतिशत बच्चों में यह बीमारी होती है। अस्पताल में हर महीने चार से पांच बच्चे इस बीमारी का इलाज कराने के लिए आते है। जिला अस्पताल के मनोपरामर्शदाता डा. आलोक मनदर्शन ने बताया कि ऑटिज़्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर बच्चों में सामाजिक संपर्क ,मौखिक बोलचाल व भावनात्मक अभिव्यक्ति में असामान्यता की समस्या है। ऑटिस्टिक बच्चे में भाषा का विकास धीमा, सामाजिक मेलजोल में कमी, शब्दों के बजाय इशारों का प्रयोग, आंख न मिला पाना, वाक्यांशों या शब्दों को दोहराना, शोर से न चौंकना, सुनने, देखने, स्वाद, स्पर्श या गंध को बहुत अधिक या कम महसूस करना, अकेले रहना पसंद करना, दोस्त नहीं बनाना, सहानुभूति की कमी, खेलने में अरुचि, ध्यान की कमी, नखरे दिखाना, आक्रामक व्यवहार, सीमित रुचियां, अति सक्रिय या निष्क्रिय कोई हरकत बार-बार करना जैसे लक्षण भी दिखतें हैं।

उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चे अन्य बच्चों से कमतर नही होतें, केवल उनकी रूचियां व संवाद व भावना को व्यक्त करने का अंदाज अलग होता है। इसलिए ऐसे बच्चों के पैरेंट्स व टीचर अन्य बच्चों से तुलना की बजाय अगर उनसे अनुकूल मैत्री भाव रखते है, तो यह बच्चे अकादमिक व अन्य एक्टिविटी में समायोजन से कई उपलब्धियां भी हासिल करते है। इस बीमारी से ग्रसित कई बच्चे बाद में पढ़ाई पूरी करने के बाद विभिन्न क्षेत्रों में अपनी प्रतिभा भी साबित कर चुके है। उन्होंने बताया कि इस बीमारी का एक से चार साल तक लम्बा इलाज चलता है। कई बार बच्चे में हल्का परिवर्तन आने पर परिजन इलाज छोड़ देते है। जिसके बाद बच्चे में पुनः इस बीमारी के लक्षण दिखाई देने लगते है।

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