बोले अयोध्या:जिला अस्पताल में डॉक्टर व कार्डियोलॉजिस्ट की कमी
Ayodhya News - अयोध्या के जिला अस्पताल में रोजाना 1200 मरीजों का पंजीकरण होता है, लेकिन चिकित्सकों की कमी से इलाज प्रभावित हो रहा है। अस्पताल में सर्जन, फिजीशियन, कार्डियोलॉजिस्ट और ईएनटी सर्जन की कमी है। जिलाधिकारी...

अयोध्या। जिला अस्पताल में रोजाना करीब 1200 मरीजों का पंजीकरण होता है। यहां अयोध्या ही नहीं बल्कि अगल-बगल जनपदों के मरीज भी इलाज के लिए आते है। जिला अस्पताल में चिकित्सकों की कमी का असर मरीजों के इलाज पर पड़ता है। अस्पताल में अक्सर मरीजों की लम्बी लाइन इलाज के लिए देखी जा सकती है। इस समय सबसे ज्यादा दिक्कत सर्जन, फिजीशियन, कार्डियोलॉजिस्ट व ईएनटी सर्जन को लेकर है। तीन स्वीकृत पद होने के बाद भी एक ही रेडियोलॉजिस्ट की तैनाती होने के कारण कई बार मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जिला अस्पताल में 50 पद चिकित्सकों के स्वीकृत है, लेकिन यहां 21 चिकित्सक तैनाती है।
स्वीकृत पद में प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक का पद भी रिक्त है। यहां सर्जन डा. एके सिन्हा को प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक का प्रभार सौपा गया है। तीन फिजीशियन के पद है। लेकिन केवल डा. प्रशांत द्विवेदी की यहां तैनाती है। चेस्ट फिजीशियन के दोनो पद रिक्त है। बाल रोग विशेषज्ञ के तीन पद है, लेकिन दो डा. शिशिर श्रीवास्तव, डा. अनिल कुमार वर्मा की तैनाती है। रेडियोलॉजिस्ट के तीन पद है लेकिन केवल डा. अजय कुमार चौधरी की तैनाती है। पैथालोजिस्ट क्षेत्रीय निदान केन्द्र के दो पद है। दोनो पर डाक्टर की तैनाती है। पैथालॉजिस्ट ब्लड बैंक का एक पद है, जिसमें चिकित्सक की तैनाती है। चिकित्साधिकारी ब्लड बैंक का पद रिक्त है। स्क्रीन वीडी के एक पद पर चिकित्सक की तैनाती है। कार्डियोलोजिस्ट का दो पद है। लेकिन केवल डा. अरुण प्रकाश की तैनाती है। इसके साथ में एनेथेटिस्ट का एक पद, जनरल सर्जन का एक पद, ईएनटी का एक पद, अतिविशिष्ट विशेषज्ञ के पांच पद रिक्त है। ईएमओ का तीन पद रिक्त है, लेकिन संविदा पर तीन चिकित्सकों की तैनाती की गई है। जिला अस्पताल में मरीजो को मिलने वाले इलाज को लेकर सारी सुविधाएं होने के बाद भी चिकित्सकों की कमी से सबसे ज्यादा इलाज प्रभावित होता है। कमी के कारण यहां तैनात चिकित्सकों पर दबाव भी काफी रहता है। चिकित्सकों को छुट्टी लेने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसको लेकर कई बार विवाद भी होता है। पिछले कई प्रमुख चिकित्सा अधीक्षको ने इसको लेकर पत्र भी लिखा, लेकिन मुख्यालय की तरफ से चिकित्सको की तैनाती नहीं हुई। 21 अप्रैल को जिलाधिकारी निखिल टीकाराम फुण्डे ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान अस्पताल में चिकित्सकों की कमी का प्रकरण सामने आया। जिसके बाद जिलाधिकारी ने सीएमएस को अस्पताल की कमियों का प्रस्ताव बनाकर भेजने के लिए कहा। प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक ने निरीक्षण के बाद मिले निर्देशों को लेकर जिलाधिकारी को अनुपालन आख्या भेजी। इसके साथ में उन्होंने अस्पताल की जरुरतों को लेकर पत्र लिखा। जिसमें अस्पताल में एक-एक सर्जन, फिजीशियन, कार्डियोलॉजिस्ट, ईएनटी सर्जन को तैनात करने की मांग किया। जिलाधिकारी की तरफ से मुख्यालय इस पत्र को फारवर्ड कर दिया गया। अब मुख्यालय से चिकित्सकों की जिला अस्पताल में तैनाती होने का इंतजार है। जिला अस्पताल में अनाधिकृत लोगों व दलालों का नेटवर्क खत्म नहीं हुआ:जिला अस्पताल में अनाधिकृत व दलालों पर कार्रवाई के लिए कई बार कमेटियां बनी। लेकिन उनका नेटवर्क खत्म नहीं हुआ। जिला अस्पताल की इमरजेंसी पर अनाधिकृत के काम करने की सबसे ज्यादा शिकायतें मिलती है। लेकिन विभाग के कुछ लोगो का संरक्षण होने के कारण इनके खिलाफ कभी भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। अनाधिकृत के द्वारा टांका लगाने को लेकर धनराशि मांगने का एक प्रकरण गुरुवार को सीएमएस के सामने आया था। तीमारदार की शिकायत करने के बाद मौके पर सीएमएस पहुंचे, लेकिन अनाधिकृत रुप से काम करने वाला उन्हें वहां नहीं मिला। पुरानी ओपीडी में जगह की कमी : जिला अस्पताल में नये व पुराने भवन में दो जगह ओपीडी का संचालन होता है। नये भवन में सर्जरी, ईएनटी व नेत्र रोग की ओपीडी चलती है। अन्य ओपीडी पुराने भवन में संचालित की जाती है। लेकिन यहां जगह की कमी की वजह से मरीजों को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई ओपीडी के सामने लम्बी कतार लगी रहती है। एक ओपीडी से दूसरी ओपीडी जाने में मरीजों को दिक्कतें रहती है। पुराने भवन में दवा वितरण काउंटर है। जिसमें हमेंशा मरीजों की लम्बी लाइन रहती है। जगह की कमी के कारण यहां भी मरीजों को खड़े होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।जिला अस्पताल में अनाधिकृत व दलालों पर कार्रवाई के लिए कई बार कमेटियां बनी। लेकिन उनका नेटवर्क खत्म नहीं हुआ। जिला अस्पताल की इमरजेंसी पर अनाधिकृत के काम करने की सबसे ज्यादा शिकायतें मिलती है। लेकिन विभाग के कुछ लोगो का संरक्षण होने के कारण इनके खिलाफ कभी भी कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हुई। अनाधिकृत के द्वारा टांका लगाने को लेकर धनराशि मांगने का एक प्रकरण गुरुवार को सीएमएस के सामने आया था। तीमारदार की शिकायत करने के बाद मौके पर सीएमएस पहुंचे, लेकिन अनाधिकृत रुप से काम करने वाला उन्हें वहां नहीं मिला। पुरानी ओपीडी में जगह की कमी : जिला अस्पताल में नये व पुराने भवन में दो जगह ओपीडी का संचालन होता है। नये भवन में सर्जरी, ईएनटी व नेत्र रोग की ओपीडी चलती है। अन्य ओपीडी पुराने भवन में संचालित की जाती है। लेकिन यहां जगह की कमी की वजह से मरीजों को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। कई ओपीडी के सामने लम्बी कतार लगी रहती है। एक ओपीडी से दूसरी ओपीडी जाने में मरीजों को दिक्कतें रहती है। पुराने भवन में दवा वितरण काउंटर है। जिसमें हमेंशा मरीजों की लम्बी लाइन रहती है। जगह की कमी के कारण यहां भी मरीजों को खड़े होने में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। बोले जिम्मेदार:इस बारे में सीएमएस डॉ. एके सिन्हा का कहना है कि सर्जन, फिजीशियन, काडियोलॉजिस्ट, ईएनटी सर्जन की तैनाती के लिए मुख्यालय पत्र भेजा गया है। जिला अस्पताल में सभी प्रकार दवाएं उपलब्ध है। बाहर से दवा न लिखने के लिए चिकित्सकों को कड़े निर्देश जारी किए गये है। शव को ले जाने के लिए निःशुल्क एम्बुलेंस उपलब्ध है। -डॉ. एके सिन्हा, प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक
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