121st Birth Anniversary of Acharya Chandrabali Pandey Celebrated in Sathiyaw आचार्य चंद्रबली ने हिंदी के लिए किया संघर्ष: यशवंत , Azamgarh Hindi News - Hindustan
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आचार्य चंद्रबली ने हिंदी के लिए किया संघर्ष: यशवंत

Azamgarh News - सठियांव बाजार के प्रभा मंडप हाल में आचार्य चंद्रबली पांडेय की 121वीं जयंती मनाई गई। मुख्य अतिथि यशवंत सिंह ने उनके हिंदी भाषा के लिए संघर्ष की सराहना की। विधायक अखिलेश यादव ने उनके पैतृक गांव में भी...

Newswrap हिन्दुस्तान, आजमगढ़Fri, 25 April 2025 05:09 AM
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आचार्य चंद्रबली ने हिंदी के लिए किया संघर्ष: यशवंत

सठियांव, हिन्दुस्तान संवाद। सठियांव बाजार स्थित प्रभा मंडप हाल में आचार्य चंद्रबली पांडेय की 121वीं जयंती मनाई गई। इस दौरान वक्ताओं ने चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धाजंली दी। इसके बाद उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला। मुख्य अतिथि पूर्व मंत्री यशवंत सिंह ने कहा कि आजमगढ़ की धरती पर अनेक साहित्यकार और ऋषि-मुनि पैदा हुए। आचार्य चंद्रबली पांडेय उनमें से एक हैं। हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा दिलाने के लिए उन्होंने आजीवन संघर्ष किया। उनके त्याग और बलिदान को सदियों तक याद किया जाएगा। उनकी कुर्बानी हम लोगों को प्रेरणा देती है। प्रवक्ता मनोज सिंह ने कहा कि हमारे यहां हिंदी और हिन्दुस्तान का संगम है, जो हमारी संस्कृति और सभ्यता की पहचान है। असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर धनंजय शर्मा ने कहा कि आचार्य ने जीवनभर हिंदी भाषा की लड़ाई लड़ते रहे। उनके बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता है। पत्रकार मदनमोहन पांडेय, युवा साहित्यकार बृजेश गिरी, सुमित उपाध्याय, सुभाषचंद्र तिवारी आदि लोगों ने उनके जीवन संघर्ष पर अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर ब्लाक प्रमुख प्रतिनिधि अरविंद सिंह, मनोज सिंह, पूर्व प्रधान माखन सिंह, कन्हैया पांडेय, संदीप पांडेय, राहुल पांडेय आदि उपस्थित रहे। अध्यक्षता श्री श्री 1008 महामंडलेश्वर रामकृष्ण दास एवं संचालन संजय पांडेय ने किया। अंत में कार्यक्रम संयोजक विजयशंकर पांडेय ने सबका आभार व्यक्त किया।

जयंती पर याद किये गए आचार्य चंद्रबली पांडेय

सठियांव। सठियांव के नासिरुद्दीनपुर गांव में आचार्य चंद्रबली पांडेय के पैतृक गांव में उनके आवास पर भी उनकी 121वीं जयंती मनाई गई। विधायक अखिलेश यादव ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। मुख्य अतिथि विधायक अखिलेश यादव ने कहा कि उन्होंने आठ पुस्तकों की रचना की थी। अपना शोध प्रबंध अंग्रेजी भाषा में प्रस्तुत करने से इनकार कर अपने अप्रितम हिंदी अनुराग एवं त्याग का परिचय दिया था। इस अवसर पर विपिन पांडेय, डॉक्टर प्रेमप्रकाश यादव, महाप्रधान राधेश्याम भारती आदि उपस्थित रहे।

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