बोले बहराइच -स्थाई ठिकाना मिले और व्यवसाय बढ़ाने पर कम ब्याज पर मिले ऋण
Bahraich News - बहराइच, संवाददाता। फास्ट फूड का का प्रचलन बढ़ रहा है। नौजवानों की पहली पसंद

बहराइच, संवाददाता। फास्ट फूड का का प्रचलन बढ़ रहा है। नौजवानों की पहली पसंद फास्ट फूड मंगाने के लिए मोबाइल ऐप और सेल्फ सर्विस जैसी तकनीक से ऑर्डर करना बहुत आसान है, इतना ही नहीं कम समय में इसकी आपूर्ति भी हो जाती है। फास्ट फूड स्वादिष्ट होने के साथ होटल और रेस्तरां के साथ ही सड़कों पर खड़े ठेलों पर भी आसानी से सुलभ हैं। घर में पकाए गए भोजन के विकल्पों की तुलना में फास्ट फूड के अधिक विकल्प उपलब्ध हैं। इसका मुख्य कारण इन खाद्य पदार्थों में उच्च मात्रा में ट्रांस और सैचुरेटेड फैट्स, कैलोरी और चीनी का होना है।
यह शरीर में फैट और कैलोरी की मात्रा को बढ़ाते हैं। इसके साथ ही फास्ट फूड में पोषण तत्वों की कमी होती है, जिसके कारण भूख नहीं मिटती है और लोग इसका ज्यादा उपयोग करते हैं। सड़कों के किनारे ठेले लगाकर खड़े होने वाले इन दुकानदारों का यही रोजगार है। इसी से हजारों परिवार के पेट पल रहे तथा बच्चों की पढ़ाई आदि चल रही है। इन दुकानदारों का कहना है कि उनके लिए स्थाई ठौर नहीं है। अतिक्रमण के नाम पर हटाया जाना, कार्यस्थल से भगा देना, असामाजिक तत्वों के द्वारा मारपीट, पूंजी की कमी होने सहित तमाम समस्याएं हैं जिससे आर्थिक तंगी बनी रहती है। स्ट्रीट फूड वेंडरों का कहना है कि शहर के विभिन्न क्षेत्र में स्थाई एरिया चिन्हित की जाए, जिससे लोग मनोरंजन करने के साथ फास्ट फूड का आनंद भी उठा सकें। आधुनिक तकनीक के अभाव में विक्रेता कई मामलो में पीछे शहर के अस्पताल चौराहे के पास फास्ट फूड का ठेला लगाने वाले अरविन्द का कहना है कि दुकान व्यवस्थित तरीके से लगाकर लोगों को बेहतर सेवा देना और अपनी आमदनी को बढ़ाने का वह सपना देखते हैं। लेकिन अब तक पूरा नहीं हो सका है। निश्चित रूप से व्यवस्थित दुकान होने से छोटी-छोटी वस्तुओं को सजाकर उत्पादों को बेहतर तरीके से और साफ सफाई से रख कर बेच सकते हैं। ग्राहक भी उनकी दुकान पर सहज रूप से पहुंचकर उनके उत्पादों का आनंद को उठा सकेंगे। ग्राहकों से खुद संवाद स्थापित कर उनकी प्राथमिकता के आधार पर उनकी खाद्य वस्तुएं देना एक प्रमुख कार्य है। पूंजी के अभाव में विक्रेता किसी तरह काम चलाते हैं, लेकिन आधुनिक तकनीक के अभाव में विक्रेता कई मामलो में पीछे रह जाते हैं। अकाउंट मैनेजमेंट का प्रशिक्षण, ऑनलाइन पेमेंट सहित विभिन्न चीजों का प्रशिक्षण बेहद आवश्यक है। इन चीजों को बेहतर प्रशिक्षण का माध्यम से अपनी आय और व्यय का बेहतर लेखा-जोखा रख सकेंगे जो उनकी बेहतरी के लिए बेहतर होगा। फास्ट फूड बेचने वाले कई दुकानदार ऑनलाइन भुगतान स्वीकार नहीं करते। इसके पीछे की सबसे बड़ी वजह है कि वह ऑनलाइन होने वाले साइबर अपराध से डरते हैं। जिला प्रशासन को ऐसे छोटे-छोटे दुकानदारों को चिन्हित करके सामूहिक प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। सभी छोटे दुकान पारंपरिक तरीके से अपने ठेले गुमटी में चलते हैं। उनके पास तकनीक की कमी होती है। व्यवसाय के लिए नई चीजों को खरीद कर उपयोग करने के बजाय कम पूंजी में संसाधन लीज पर लेकर व्यवसाय को समृद्ध बनाया जा सकता है। व्यवसाय को बड़ा करने का कोई उपाय नहीं फास्ट फूड के धंधे से जुड़े लोगों का कहना है कि स्ट्रीट फूड वेंडर के पास अपने व्यवसाय को बड़ा करने का कोई उपाय नहीं है। ग्राहकों के साथ सीधा संबंध उनके फीडबैक और उत्पाद की गुणवत्ता पर ही उनका व्यवसाय टिका रहता है। सभी को इस बात की बेहतर समझ नहीं होती है। परिणाम बेहतर और गुणवत्तापूर्ण उत्पादन होने के बावजूद भी कम लोगों तक अपने उत्पादों को पहुंच पा रहे हैं। बेरोजगारी के आलम में शिक्षित युवा भी इस पेशे की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं। वह व्यवसाय शुरू करने के लिए अपनी जमा पूंजी और अभिभावकों पर निर्भर होते हैं। यह एक बेहतर और सशक्त माध्यम नहीं है। जिला प्रशासन और सरकार बहुत ही कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराकर स्ट्रीट फूड वेंडर की आर्थिक उन्नति कर सकता है। लोगों को ट्रेनिंग देकर भी आगे बढ़ने का प्रयास करना चाहिए। उत्पाद को लंबे समय तक खाने योग्य नहीं रख पाते स्ट्रीट फूड वेंडर अपना उत्पाद को लंबे समय तक खाने योग्य नहीं रख पाते हैं। ऐसी स्थिति में उनके उत्पादों को सुरक्षित रखने के लिए रेफ्रिजरेटर न होने के कारण उनके उत्पाद बर्बाद हो जाते हैं। विभिन्न चौक-चौराहों पर सामूहिक रूप से फूड वेंडरो के लिए प्रशासन को स्थाई दुकान उपलब्ध कराना चाहिए ताकि वह व्यवस्थित तरीके से उत्पादों को ग्राहकों के समक्ष प्रस्तुत कर सकें। स्ट्रीट फूड वेंडर को उच्च मध्यम वर्ग, उच्च वर्ग के लोग नजरअंदाज करते हैं। गुणवत्तापूर्ण उत्पाद इन छोटे दुकानों पर ही उपलब्ध होता है। युवा और छोटे व्यवसायियों के पास पर्याप्त धनराशि हो तभी वे बेहतर तरीके से व्यवसाय कर सकते हैं। आमतौर पर उनके पास पूंजी का काफी अभाव होता है। स्ट्रीट वेंडर के लिए राज्य सरकार और जिला प्रशासन संयुक्त रूप से आर्थिक मदद कर कम ब्याज पर ऋण उपलब्ध कराए। अपनी आवाज उठाने का उचित मंच नहीं मिलता कोई संगठन न होने से उन्हें अपनी आवाज उठाने का उचित मंच नहीं मिलता। इससे अधिकारी उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं देते। कभी-कभी समस्या के समाधान के लिए कार्यालय का चक्कर लगाते रह जाते हैं। ऐसे में उनका धंधा चौपट होता है। कुछ लोगों का कहना है कि उनका स्थाई ठिकाना नहीं होने के कारण व्यवसाय में परेशानी होती है। कई साल से फास्ट फूड का ठेला लगा रहे लोगों को अपनी छत की दरकार है। स्थाई दुकान न होने से उन्हें बिजली कनेक्शन नहीं मिलता है। लाइसेंस के नाम पर प्रत्येक ठेले और खोमचे वालों को परेशान न किया जाए। अतिक्रमण या जाम के नाम पर स्ट्रीट फूड वेंडर का उत्पीड़न न किया जाए। वेंडिंग जोन का गठन कर ऐसे विक्रेताओं को प्राथमिकता प्रदान किया जाना चाहिए। लोगों का कहना है कि शाम को फास्ट फूड का स्वाद चखने वालों में लड़कियों व महिलाओं की संख्या अधिक होती है। ऐसे में आस-पास सुरक्षा भी होनी चाहिए। रात में नशे में लोग पैसे के लेन-देन विवाद करने लगते हैं। इसका धंधे पर विपरीत असर पड़ता है।
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