Revival of Historic Tramway in Sohagibarwa Sanctuary to Boost Eco-Tourism ईको टूरिज्म के लिए फिर से जंगल में दौड़ सकती है देश की पहली ट्राम रेल, Basti Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsBasti NewsRevival of Historic Tramway in Sohagibarwa Sanctuary to Boost Eco-Tourism

ईको टूरिज्म के लिए फिर से जंगल में दौड़ सकती है देश की पहली ट्राम रेल

Basti News - महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। सोहगीबरवा सेंक्चुरी में जंगल सफारी शुरू करने के बाद ईको टूरिज्म

Newswrap हिन्दुस्तान, बस्तीSat, 12 April 2025 08:42 AM
share Share
Follow Us on
ईको टूरिज्म के लिए फिर से जंगल में दौड़ सकती है देश की पहली ट्राम रेल

महराजगंज, हिन्दुस्तान टीम। सोहगीबरवा सेंक्चुरी में जंगल सफारी शुरू करने के बाद ईको टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए जंगल में देश की पहली ट्राम फिर से दौड़ सकती है। अंग्रेजों ने जंगल से लकड़ी ढुलाई के लिए 1924 में ट्राम-वे रेल को चलाया था। 55 साल की सेवा के बाद इसे बंद कर दिया गया है। लक्ष्मीपुर क्षेत्र के एकमा डिपो में ट्राम रेल का इंजन व बोगी मौजूद है। डीएम अनुनय झा ने सहायक पर्यटन अधिकारी प्रभाकर मणि त्रिपाठी से बातचीत के बाद प्रमुख सचिव से वार्ता किया है। इससे सैलानियों के लिए ट्राम रेल के फिर से चलने की उम्मीद दिखने लगी है।

शासन के निर्देश पर सोहगीबरवा सेंक्चुरी में दो साल पहले जंगल सफारी शुरू कर दी गई है। डेढ़ करोड़ की बजट से गेट, बम्बू हट, कैफेटेरिया आदि पर्यटन विकास कार्य कराया गया है, पर सैलानी आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं। जंगल सफारी के रूट में ही जंगल के अंदर चौबीस नर्सरी के पास ट्राम-वे चौराहा है। यहीं से 1982 से पहले लक्ष्मीपुर के एकमा डिपो तक 16 किमी तक भाप के इंजन से ट्राम रेल चलती थी। ईंधन में कोयला की जगह लकड़ी का गट्ठर इस्तेमाल होता था। पिछले 43 साल से यह ट्राम रेल बंद पड़ी है। शासन के निर्देश पर इसका एक इंजन वर्ष 2009 में लखनऊ चिड़ियाघर में रखा गया है।

ट्राम को चलाने के लिए डीएचआर के इंजीनियर कर चुके हैं दौरा

देश की ऐतिहासिक धरोहर ट्राम-वे रेल को सहेजने के लिए शासन स्तर से कोशिश हुई है। शासन के निर्देश पर बार्डर एरिया डेलपमेंट के तहत वर्ष 2015-16 में ट्राम रेल परियोजना को विरासत स्थल के रूप में चयनित किया गया था। ट्राम वे रेल के प्रारंभिक बिंदु एकमा डिपो परिसर में इंजन, सैलून बोगी, स्पेशल बोगी, गार्डयान एवं उपकरणों को संरक्षित करने के लिए रखा गया है। सोहगीबरवा सेंक्चुरी में सैलानियों के लिए ट्राम रेल को सैलानियों के लिए फिर से चलाने के लिए शासन स्तर से सम्पर्क के बाद दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे(डीएचआर) के इंजीनियर तीन साल पहले ट्राम रेल के एकमा डिपो का दौरा कर चुके हैं। दार्जिलिंग हिमालयन ट्रेन यूनेस्को के विश्व धरोहर सूची में शामिल है। डीएचआर के इंजीनियरों ने तकनीकी परीक्षण में वर्षों से बंद पड़े इंजन को फिर से चलाने के लिए इसके ब्वायलर की मरम्मत की जरूरत बताया था। ब्वायलर की मरम्मत के लिए ट्राम इंजन को केरल भेजने का जरूरत बताया था। ट्राम के लिए नई लाइन बिछाने पर एक करोड़ प्रति किमी की दर से 16 करोड़ खर्च का अनुमान बताया था। स्टेशन व अन्य सुविधाएं विकसित करने में 40 से 50 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान लगाया गया था। इस बात की भी संभावना बताई गई थी कि दार्जिलिंग हिमालयन रेलवे की तरह सोहगीबरवा सेंक्चुरी का ट्राम रेल अगर फिर से चलेगी तो इसे भी यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में जगह मिल सकती है क्योंकि यह देश की पहली ट्राम-वे रेल है। दो साल पहले जिला प्रशासन के पहल पर गुजरात के विशेषज्ञों की टीम लक्ष्मीपुर एकमा डिपो में संरक्षित इंजन, ट्रैक व पटरियों का निरीक्षण किया था। इस परियोजना को देवदह से जोड़ने व टेढ़ी तक चलाने की संभावना पर विचार हुआ था, लेकिन सोच अभी तक परवान नहीं चढ़ पाई है।

सोहगीबरवा सेंक्चुरी में सैलानियों के लिए ट्राम रेल को ईको टूरिज्म के लिए चलाने के लिए सभी संभावनाओं पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। शासन स्तर के उच्चाधिकारियों से भी बातचीत की जा रही है। ट्राम रेल चलने से ईको टूरिज्म बढ़ेगा। स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन होगा।

अनुनय झा, डीएम

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।