कालागढ़ में खाली भवनों पर चलेगी जेसीबी, 100 आवासीय भवन ध्वस्त होंगे
Bijnor News - बिजनौर प्रशासन ने खाली 97 आवासीय भवनों को ध्वस्त करने की तैयारी पूरी कर ली है। यह कार्रवाई न्यायालय की अनुमति के बाद की जा रही है। ध्वस्तीकरण के दौरान सुरक्षा के निर्देशों का पालन किया जाएगा। प्रशासन...

बिजनौर। प्रशासन द्वारा खाली भवनों को ध्वस्त कराए जाने की तैयारियां पूरी कर ली गई है। प्रशासन द्वारा पौड़ी गढ़वाल के कालागढ़ में मौजूद 97 आवासीय भवन ध्वस्त करके खाली भूमि वन विभाग को सुपुर्द करने की कवायद शुरू की जा रही है। निरीक्षण के दौरान खाली चिन्हित किए गए 97 भवनों को ध्वस्त करने का निर्णय लिया गया। पुलिस तथा प्रशासनिक अधिकारियों की बैठक के दौरान ध्वस्तीकरण सम्बन्धी कार्रवाई के लिए तैयारी पूरी कर ली गई है। शनिवार को (कल) प्रशासन द्वारा कालागढ़ की कालोनी में स्थित आवासीय भवनों का ध्वस्तीकरण किया जाएगा। प्रशासन द्वारा रिक्त भवनों को ध्वस्त करके वन विभाग को भूमि हस्तांतरित करने संबंधी तैयारी कर ली गई है। थानाध्यक्ष संजीव ममगाई के मुताबिक फिलवक्त 97 भवनों के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही को अमली जामा पहनाने के लिए पुलिसबल सहित एंबुलेंस तथा दमकल वाहन कालागढ़ पंहुचने लगे हैं। ध्वस्तीकरण के दौरान माननीय न्यायालय के द्वारा जारी दिशा निर्देशों का शत प्रतिशत अनुपालन किया जाएगा। प्रशासनिक अधिकारियों के निर्देशन में शनि को कार्यवाही शुरू किया जाना प्रस्तावित है। सिंचाई विभाग द्वारा रामगंगा बांध परियोजना निर्माण के लिए वन विभाग से भूमि ली गई थी। बांध निर्माण के बाद अवशेष (अनुपयोगी) भूमि वन विभाग को सुपुर्द किए जाने की कवायद चल रही है।
न्यायालय की अनुमति के बाद हो रहा ध्वस्तीकरण
कालागढ़, संवाददाता। नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कालागढ़ में निवासरत परिवारों के पुनर्वास सम्बन्धी मामले की सुनवाई के दौरान खाली आवासों को सशर्त ध्वस्त करने की अनुमति दी गई है। वरिष्ठ अधिवक्ता जेएस रावत द्वारा न्यायालय के समक्ष कालागढ़ कल्याण एवं उत्थान समिति का पक्ष प्रस्तुत किया गया था। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए प्रशासन का पक्ष सुनने के बाद कुछ महत्वपूर्ण निर्देश जारी करते हुए कालागढ़ की आवासीय कालोनियों में मौजूद 97 खाली आवासों को ध्वस्त करने की अनुमति दी गई थी। समिति द्वारा खाली पड़े आवासों के ध्वस्तीकरण पर आपत्ति नहीं जताई गई थी। अधिवक्ता जेएस रावत के मुताबिक न्यायालय द्वारा यह स्पष्ट किया गया है कि कोई भी ऐसा मकान नहीं गिराया जाए, जिसमें परिवार निवास कर रहा हो। इसके अलावा ऐसे मकानों को भी गिराने से मना किया गया है जिनकी दीवारें किसी अन्य मकान से जुड़ी हों तथा उसके ध्वस्ती करण से निवासरत मकान को नुकसान पहुंचने की संभावना हो। मामला कालागढ़ में निवासरत परिवारों से जुड़ा हुआ है। जिनके आवासों की सुरक्षा को लेकर विशेष सतर्कता बरतने के निर्देश दिए गए हैं।
पहले भी तोड़े गए आवासीय भवन
कालागढ। यहां स्थित आवासीय कालोनियों में अतिक्रमण के बहाने इससे पहले 19 जून 1993 को पहली बार सैकडो परिवारों को बलपूर्वक बेदखल कर सैकड़ों भवन ध्वस्त किए गए थे। इसके बाद 22 व 23 अगस्त 2003 को आवासों को ध्वस्त करके परिवारों को जबरन बेदखल करके बेघर किया जा चुका है। इसी क्रम में साल 2016 तथा 2018 के दौरान भारी संख्या आवास ध्वस्त कर परिवारों को बेदखल किया गया था। इसके बाद बीते साल 24 दिसम्बर को भी करीब 100 आवास ध्वस्त किए गए थे।
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