बोले बिजनौर : बेसिक स्कूलों में प्रतिभाएं तो बहुत मगर संसाधनों का अभाव
Bijnor News - बेसिक स्कूलों में खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए खेल एवं व्यायाम शिक्षकों की तैनाती की गई है, लेकिन सुविधाओं की कमी के कारण उनकी मेहनत बेकार जा रही है। स्कूलों में खेल के मैदान और आवश्यक संसाधनों का...
बेसिक स्कूलों में हुनर को तलाशने के लिए जौहरी तो रखे गए हैं, लेकिन सुविधाओं के अभाव में हुनर की लौ धीमी पड़ रही है। जिले और ब्लाक स्तर पर बेसिक स्कूलों में खेल प्रतिभाओं को तराशने के लिए खेल एवं व्यायाम शिक्षक रखे गए हैं। जो प्रतिभाओं को तराश कर आगे लाने का काम करते है। मगर उनकी इन कोशिशों पर सुविधाओं का अभाव रोड़ा बनकर खड़ा हो जाता है। बेसिक स्कूलों पर अपने खेल के मैदान नहीं हैं। इतना ही नहीं उधार के मैदान पर प्रतिभा को मेहनत की भट्ठी पर तपा कर आकार दिया जाता है तो प्रतिभा को आगे ले जाने के लिए शिक्षक को विभाग से कोई मदद नहीं मिलती है। शिक्षक प्रतिभा को अपने खर्च पर ब्लाक, जिला, मंडल व राज्य स्तर पर ले जाना पड़ता है। जिससे खेल एवं व्यायाम शिक्षक पर आर्थिक बोझ भी पड़ता है।
जिले में 2119 बेसिक स्कूल हैं। इनमें ब्लाक स्तर पर एक-एक और जिला स्तर पर दो खेल एवं व्यायाम शिक्षक तैनात हैं। इसके लिए साथ जिले में करीब 50 प्रशिक्षित खेल एवं व्यायाम शिक्षक सहयोग के लिए तैनात है। खेल एवं व्यायाम शिक्षक ब्लाक स्तर पर बेसिक स्कूलों में प्रतिभाओं को तलाश कर उन्हें तराशने व संवारने का काम करते हैं, लेकिन उनके दायित्व के बीच में सुविधाओं का स्पीड़ ब्रेकर पड़ता रहता है। प्रतिभाओं को आगे ले जाने के लिए खेल एवं व्यायाम शिक्षक को खुद ही अपने वेतन से खर्च वहन करना पड़ता है। बेसिक स्कूलों के पास खेल के अपने मैदान नहीं हैं। खेल एवं व्यायाम शिक्षक की माने तो स्कूलों में 200 मीटर का एथलेटिक्स का ट्रेक तक नहीं है। ऐसे में वह अच्छे धावक को तराश नहीं पाते हैं। खेलों के आयोजन के लिए ब्लाक स्तर पर विभाग से कोई फंड नहीं दिया जाता है। साल में एक बार खेल आयोजन कराने के लिए शिक्षकों को अपने खर्च पर आयोजन करना पड़ता है। इतना ही नहीं खेल शिक्षक को ब्लाक स्तर से लेकर राज्य स्तर तक प्रतिभा को प्रतियोगिता में प्रतिभाग कराने के लिए अपनी जेब ढ़ीली करनी पड़ती है।
जिला खेल एवं व्यायाम शिक्षक अरविंद अहलावत ने बताया कि ब्लाक स्तर पर काफी स्कूलों पर खेलों के मैदान का अभाव है। 200 या 400 मीटर ट्रेक नहीं हैं। ऐसे में वह खिलाड़ियों को अभ्यास नहीं करा पाते हैं। खेलों के आयोजन के लिए ब्लाक स्तर पर मात्र छह हजार रूपये का फंड दिया जाता है। जबकि आयोजन में इससे कई गुना अधिक खर्च आता है। विभाग को इस ओर ध्यान देना चाहिए। शिक्षक ज्ञान सिंह, सबील अहमद व संतोष कुमार ने बताया कि अधिकांश स्कूलों में इंडोर गेम की कोई व्यवस्था ही नहीं है। खेल शिक्षक को एक विद्यालय में तैनात कर दिया गया है। जिससे वह ब्लाक स्तर पर स्कूली बच्चों को खेल की बारीकियां सिखा नहीं पाते हैं। जबकि उनको सप्ताह में तीन-तीन दिन विद्यालयों में तैनात किया जाना चाहिए, जिससे वह ब्लाक स्तर के सभी विद्यालयों के बच्चों को खेल के पहलूओं की जानकारी दे सके और उनके हुनर को पंख लगा सके। शिक्षकों का कहना है कि ब्लाक स्तर पर खेल प्रतिभाएं भरी हुई हैं। बस उनको तराशने में सुविधा न होना रोड़ा बन रही है। विभाग भी उनकी मदद नहीं करता है। प्रतिभाओं को आगे बढ़ाने में उनको अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है। यदि विभाग या शासन इस ओर ध्यान दे तो गांव व ब्लाक स्तर की प्रतिभाएं प्रदेश, देश व अर्न्तराष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन करें।
सभी स्कूलों में सीखाने जाने की व्यवस्था
खेल एवं व्यायाम शिक्षकों का कहना है कि खेल एवं व्यायाम शिक्षकों को एक विद्यालय में तैनाती न देकर उनको बीईओ कार्यालय से जोड़ा जाए। जहां से उन्हें शेड्यूल बनाकर सप्ताह में तीन-तीन दिन अलग विद्यालय में भेजा जाए। जिससे वह बच्चों को खेल के बारे में सीखा सके। जिससे वह सभी विद्यालयों में प्रतिभाओं को तलाश सके और उसे ब्लाक स्तर पर तराश कर दुनिया के सामने पेश कर सके।
खेल एवं व्यायाम शिक्षकों को दिया जाए टीए-डीए
खेल एवं व्यायाम शिक्षकों को खेल आयोजनों में बच्चों को ले जाकर प्रतिभाग कराने का कोई टीए-डीए नहीं दिया जाता है। खेल शिक्षक खुद के खर्च पर बच्चों को न्याय पंचायत स्तर की प्रतियोगिताओं से लेकर राज्य स्तर तक ले जाते है। खेल शिक्षक को विभाग व शासन स्तर से कोई मदद नहीं की जाती है।
खिलाड़ियों को दी जाए अच्छी डाइट
खेल शिक्षकों का कहना है कि बेसिक स्कूलों में गरीब बच्चे आते हैं। प्रतिभा होने के बावजूद सही खुराक नहीं मिल पाने के कारण वह पीछे रह जाते हैं। विभाग या शासन से स्तर से ऐसी व्यवस्था की जाए कि अच्छे खिलाड़ियों को अच्छी डाइड मिल सके। जिससे वह और उम्दा प्रदर्शन कर सके।
इंडोर गेम के नाम पर शून्य
बेसिक स्कूलों में कबड्डी, खो-खो व दौड़ मुख्य खेलों में आते हैं। ब्लाक स्तर पर कबड्डी व खो-खो में जिले के खिलाड़ी पिछले चार वर्षों से मंडल स्तर पर अव्वल आ रहा है। मगर इंडोर गेम के नाम पर बेसिक स्कूल शून्य है। चुनिंदा स्कूलों में टेबिल टेनिस का सामान तो है, लेकिन खेलने की व्यवस्था नहीं है। खेल शिक्षक शौक के मुताबिक किसी भी खिलाड़ी को इंडोर गेम नहीं खिला सकते है।
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कुछ स्कूलों में खेल के मैदान न होना बड़ी समस्या है। परिषदीय स्कूलों में खेल के मैदान की व्यवस्था होनी चाहिए। खेल के मैदान होंगे तो बच्चे मैदान में पसीना बहाकर आगे निकलेंगे और जिले का नाम रोशन करेंगे। - ज्ञान सिंह। - ब्लाक पीटीआई हल्दौर
बच्चों को खिलाने के लिए पर्याप्त फंड नहीं मिलता है। ब्लाक स्तर पर साल भर में खेलों के नाम पर बहुत कम फंड मिलता हैं। खिलाड़ियों को मंडल स्तर से लेकर प्रदेश स्तर पर प्रतिभाग कराने ले जाने के लिए टीए-डीए मिलना चाहिए। - संतोष सिंह, ब्लाक पीटीआई नूरपुर।
खेलों में बालिकाओं को आगे बढ़ाने के लिए महिला व्यायाम शिक्षिकाओं की तैनाती होनी चाहिए। व्यायाम शिक्षकों को अलग-अलग स्कूलों में भेजकर प्रतिभा निखारने का अवसर प्रदान करना चाहिए। - सबील अहमद, ब्लाक पीटीआई अफजलगढ़।
सभी व्यायाम शिक्षकों को अपने-अपने विकासखंड के विद्यालयों में खेलो में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बच्चों को ट्रेनिंग देने की सुविधा मिलनी चाहिए। ट्रेनिंग मिलने के बाद बच्चे मंडल से प्रदेश स्तर तक नाम रोशन कर सकेंगे। अरविंद अहलावत, जिला व्यायाम शिक्षक।
बालिकाओं की सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए बालिकाओं की अलग से कैंपों की व्यवस्था की जानी चाहिए। अगर ऐसा होगा तो यह कदम राहत भरा होगा और खेल प्रतिभाए आगे निकल पाएंगी। - कविता चौधरी, जिला व्यायाम शिक्षिका
ब्लॉक पर पैसों की व्यवस्था अधिक होनी चाहिए। जिससे बच्चों को खेल प्रतियोगिता हो अच्छी तरीके से निखारा जा सके। - रणवीर सहरावत, ब्लाक पीटीआई नजीबाबाद।
ब्लॉक स्तर से लेकर जिले तक खेलों के विकास के लिए कैंप की व्यवस्था होनी चाहिए। इससे खेल प्रतिभाएं निखरेंगी। - अमित बालियान, ब्लाक पीटीआई मोहम्मदपुर देवमल।
ब्लॉक पीटीआई को स्कूलों में बच्चों के कौशल विकास के लिए विद्यालयों में भेजने की व्यवस्था होनी चाहिए। जिससे बच्चे खेलों में अपना अच्छा प्रदर्शन दिखा सकें। - राहुल चौहान, ब्लाक पीटीआई कोतवाली।
चयनित बच्चों को लाने ले जाने की सुविधा प्राप्त होनी चाहिए। जिससे बच्चा आगे जाकर अच्छा प्रदर्शन कर सकें। - रोशन लाल, ब्लाक पीटीआई किरतपुर।
समय-समय पर आपस में प्रतियोगिता भी होती रहनी चाहिए। जिससे अच्छे खिलाड़ी उत्पन्न हो सकें और जिले का नाम रोशन होगा। - विशंबर सिंह, ब्लाक पीटीआई अल्हैपुर।
बच्चों को विद्यालय स्तर से मंडल स्तर पर खेलकूद के लिए बच्चों के आने जाने व खाने की व्यवस्था होनी चाहिए। इस तरह की कोई व्यवस्था नहीं है। इस पर ध्यान दिया जाना चाहिए। - सुरेंद्र सिंह, ब्लॉक पीटीआई बुढ़नपुर।
खेलकूद प्रतियोगिता में अभिभावकों का भी सहयोग अवश्य होना चाहिए। अभिभावक जागरुक होंगे तो बच्चों को बढ़चढ़ कर खेलों में प्रतिभाग करने का मौका मिलेगा। - अंगद सिंह, ब्लाक पीटीआई आंकू।
सुझाव
1. व्यायाम शिक्षकों को खिलाड़ियों को खेलों में प्रतिभाग कराने ले जाने के लिए टीए डीए मिलना चाहिए।
2. खेलों में खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने के लिए पर्याप्त फंड मिलना चाहिए।
3. खेलो में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए बच्चों को ट्रेनिंग देने की सुविधा मिलनी चाहिए।
4. स्कूलों में खेल के मैदान की व्यवस्था होनी चाहिए।
5. प्रशिक्षण की सुविधा के लिए अधिक से अधिक कैंप का आयोजन होना चाहिए।
शिकायतें
1. ब्लाक स्तर पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए नहीं मिलता पर्याप्त फंड।
2. खिलाड़ियों को खेलों में प्रतिभाग कराने मंडल व प्रदेश स्तर पर ले जाने के बावजूद व्यायाम शिक्षकों को टीए-डीए नहीं मिलता है।
3. कई स्कूलों में खेलों के मैदान न होने से खेल प्रतिभा नहीं निखर पा रही है।
4. अधिक से अधिक कैम्पों का आयोजन न होना बड़ी समस्या है।
5. मंडल और स्टेट पर चयनित बच्चों को भरपूर डाइट नहीं मिलती है।
बोले जिम्मेदार
जिले के परिषदीय स्कूलों में प्रतिभाएं छिपी है। स्कूलों के खिलाड़ी लगातार मंडल और प्रदेश स्तर पर परचम लहरा रहे हैं। बच्चों को खेलों में आगे निकालने के लिए व्यायाम शिक्षकों की समस्याओं को प्राथमिकता पर हल कराने का हर सम्भव प्रयास किया जाता है। खिलाड़ियों को संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। कुछ समस्याओं को लेकर उच्चाधिकारियों को भी अवगत कराया गया है। - योगेंद्र कुमार, बीएसए बिजनौर।
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