निजीकरण के विरोध में धरने पर बैठे पर बैनामा लेखक और अधिवक्ता
Bulandsehar News - गुरुवार को बैनामा लेखक और अधिवक्ताओं ने निजीकरण के खिलाफ धरना दिया, जिससे सरकार को 30 लाख का राजस्व नुकसान हुआ। बैनामा लेखक संघ के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने बताया कि निजी कंपनी के माध्यम से निबंधन...

गुरुवार को निजीकरण के विरोध में बैनामा लेखक व अधिवक्ता उपनिबंधन कार्यालय के बाहर धरने पर बैठ गए। धरने के चलते करीब 30 लाख के राजस्व का नुकसान हुआ। लेखकों व अधिवक्ताओं ने उप निबंधक को इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा। बैनामा लेखक संघ के अध्यक्ष देवेंद्र सिंह ने बताया कि उपनिबंधन कार्यालय पर शासन द्वारा निजी कंपनी के माध्यम से निबंधन मित्रों की नियुक्ती किए जाने का निर्णय लिया गया है। निजी कंपनी के माध्यम से निबंधन मित्रों की नियुक्ती होने से बैनामा लेखक व अधिवक्ता बेरोजगार हो जाएंगे। उनकी मांग है कि निजीकरण के फैसले को तुरंत निरस्त किया जाए।
यदि शासन निबंधन मित्रों की नियुक्ती करना चाहता है तो पूर्व से कार्य कर रहे दस्तावेज लेखकों, अधिवक्ताओं को प्राथमिकता दी जाए। कहा कि शासन का फैसला निस्त होने तक उनका धरना जारी रहेगा। इस अवसर पर ललित शर्मा, संदीप कुमार, गुरबचन सिंह, संजय कुमार, राजीव शर्मा, उमेश कुमार, अनंत शर्मा, देवेंद्र सैनी, गौरव, राहुल शर्मा, आदि मौजूद रहे। धरने को तहसील बार एसोसिएशन का भी समर्थन रहा। इससे पहले तहसील बार एसोसिएशन की अध्यक्ष रेखा भाटी की अध्यक्षता में अधिवक्ताओं की बैठक का आयोजन किया गया। जिसमें बैनामा लेखको की मांगों का समर्थन किया गया। कोट्स-- रोजाना औसतन 20 से 25 बैनामें होते हैं। जिससे सरकार को करीब 30 लाख के राजस्व की प्राप्ति होती है। हड़ताल के चलते 30 लाख के राजस्व की हानि हुई। लोकेश कुमार, उप निबंधक, सिकंदराबाद।
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