कवियों एवं साहित्यकारों ने गजलों एवं गीतों से लूटी वाहवाही
Chandauli News - कवियों एवं साहित्यकारों ने गजलों एवं गीतों से लूटी वाहवाही कवियों एवं साहित्यकारों ने गजलों एवं गीतों से लूटी वाहवाही कवियों एवं साहित्यकारों ने गजलों

चहनिया,हिन्दुस्तान संवाद। क्षेत्र के दरियापुर में बीते शनिवार की देर रात आल इंडिया कवि सम्मेलन एवं मुशायरे का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अपर पुलिस अधीक्षक अनंत चंद्रशेखर, विशिष्ट अतिथि बलुआ थाना प्रभारी डॉ आशीष कुमार मिश्रा, लोकनाथ महाविद्यालय के प्रबंधक धनंजय सिंह ने द्वीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। कार्यक्रम में कवियों और शायरों का जमघट लगा रहा। अतिथियों का सम्मान कार्यक्रम आयोजक शाहिद जमाल और मुहम्मद आकिब ने किया। कार्यक्रम में दूरदराज से आये कवियों द्वारा गजलों एवं गीतों का सफर शुरू हुआ। हिलाल बदायूंनी ने पढ़ा कि रचना तेरी याद मे ऐ जाना मेरा हाल यह हुआ है, न तो रात ढल रही है न तो दिन निकल रहा है। अनिल प्रवक्ता ने जहां इंसानियत न हो वो मजहब बदल देना,वो दहलीज बदल देना,वो सरहद बदल देना,और जहां सजदे में लगी हो जान की बाजी,वो सजदा बदल देना,वो रब बदल देना। वक्त की गुजारिश है जा प्यार कर,नफरत की जमीं पर यूं न तैयार कर,पीढ़ियां जल कर खाक हो जाएंगी आने वाली, यूं मजहबी आग से खिलवाड़ ना कर। बड़े- बजुर्गो के सम्मान में कहा दबा के पांव बुजुर्गों की जो दुआ लेगा, वह अपने घर को ही जन्नत नुमा बना लेगा । कविता के जरिए जहां उन्होंने राजनीति की विसंगति पर प्रकाश डाला तो वहीं इसके मायने भी समझाए। देर रात तक कवियों एवं साहित्यकारों ने गीतों एवं गजलों से मुशायरे से समां बाधे रखी। दानिश इकबाल ने कहा कि मेरी तामीर मुकम्मल नहीं होने पाती, कोई बुनियाद हिलाता है चला जाता है। एडवोकेट मुहम्मद आकिब ने पढ़ा, चिल्मिलाती धूप मुझको चांदनी लगने लगी, मुझ पे मेरी मां ने जब आंचल का साया कर दिया,से मां की ममता के मायने समझाए। रीना तिवारी ने मुस्कुराहट मेरे होठों पे उभर आती है, जब भी स्कूल से बेटी मेरी घर आती है। शना महमूदाबादी ने पढ़ा मौत आती है तो करती है इशारा हम को, जिंदगी फिर न मिलेगी यह दोबारा हमको। इस मौके पर प्रभुनारायण सिंह,वीरेंद्र सिंह यादव, फैयाज अहमद, जिया अहमद, सुदर्शन यादव, फराज अहमद, मुहम्मद आरिफ, मुहम्मद फैज, हारिश मास्टर, वैश अहमद, अजीत यादव, औसाफ अहमद गुड्डू, अजहर सईद डायट प्रवक्ता, सुनील कुमार विश्वकर्मा मौजूद रहे। अध्यक्षता धनञ्जय सिंह और संचालन हिलाल बदायूंनी ने किया।
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