मेडिकल कॉलेज के पैथोलॉजी में मरीजों की रही लम्बी लाइन
Deoria News - महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कॉलेज में मरीजों की लंबी कतारें देखने को मिलीं। मरीजों को जांच के लिए ब्लड देने में घंटों इंतजार करना पड़ा। ओपीडी में महिला मरीजों की भीड़ बढ़ गई है। नाक, कान और गला विभाग...

देवरिया, निज संवाददाता। महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कालेज के पैथालाजी में शुक्रवार को मरीजों की लम्बी लाइन लगी रही। करीब डेढ़ घण्टे से अधिक लाइन में खड़ा होने के बाद मरीज जांच के लिए अपना ब्लड दे सके। लाइन में खड़े- खड़े थक जाने के बाद कई मरीज इधर- उधर बैठे हुए भी नजर आ रहे थे। मेडिकल कालेज के पैथालाजी में शुक्रवार को रोज के अपेक्षा अधिक भीड़ रही। मरीज चिकित्सकों से दिखाने के बाद चिकित्सकों को द्वारा जांच लिखने पर पैथालाजी में पहुंचे थे, जहां बिलिंग काउंटर पर रजिस्ट्रेशन कराने के लिए लाइन में खड़े होकर अपनी बारी का इंतजार किए।
बिलिंग काउंटर से रजिस्ट्रेशन होने के बाद ब्लड सैंपल देने के लिए भी मरीजों को काफी परेशानी हुई। मरीज लाइन में घंटों इंतजार करने के बाद जांच के लिए अपना ब्लड सैंपल दे सके। वहीं महिला विभाग के ओपीडी में शुक्रवार को महिला मरीजों की अधिक भीड़ रही, दोपहर करीब एक बजे के बाद भी मरीज चिकित्सक से दिखाने के लिए चिकित्सक कक्ष के बाहर लाइन में खड़ी दिखाई दीं। कई महिलाएं लाइन में खड़ी- खड़ी थक जाने के बाद परिसर में रखे कुर्सी पर बैठ गईं। ---------------------------- नाक से खून आने की समस्या को लेकर ओपीडी में पहुंच रहे मरीज महर्षि देवरहा बाबा मेडिकल कालेज के नाक, कान व गला विभाग के ओपीडी में इन दिनों कई मरीज नाक से खून आने की समस्या को लेकर पहुंच रहे हैं। चिकित्सक ऐसे मरीजों को देखने के बाद उन्हे दवा लिखने के साथ ही उचित सलाह भी दे रहे हैं। वहीं कई मरीजों की स्थिति गंभीर होने की दशा में भर्ती भी किया जा रहा है। स्वास्थ्य कर्मियों की मानें तो गुरूवार को भाटपाररानी के भिण्डा मिश्र निवासी अरूण नाक से खून आने की समस्या को लेकर पहुंचे थे, जहां चिकित्सकों ने उन्हे वार्ड में भर्ती करने की सलाह दी, लेकिन परिजन उन्हे लेकर चले गए। ------------------------- चिन्ड्रेन वार्ड में सभी बेड फुल मेडिकल कालेज के चिल्ड्रेन वार्ड में बीमार बच्चों की संख्या बढ़ गई है, वार्ड से प्रतिदिन डिस्चार्ज होने के साथ ही उससे अधिक बुखार व दस्त से पीडि़त बीमार बच्चे पहुंच रहे हैं। जिनमें सामान्य स्थिति वाले बच्चों को चिकित्सक देखने के बाद दवा व सलाह दे रहे हैं, जबकि अधिक समस्या वाले बच्चों को भर्ती कर उनका उपचार किया जा रहा है।
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