ऑपरेशन सिंदूर और दुआओं का दौर, मुल्क की सलामती एवं सैनिकों की सेहत के लिए इबादत
देश पर कोई संकट आता है, मुसलमान अपने वतन की सलामती के लिए दुआ करते हैं। नमाजियों ने बताया कि जुमे की नमाज के बाद सभी लोगों ने हाथ उठाकर भारत की सरहदों की हिफाजत, सेना की ताकत व देश के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा के लिए दुआ की।

सीवान के शेख मोहल्ला स्थित ग्यारहवीं मस्जिद समेत कई अन्य मस्जिदों में भारत-पाक तानातानी के बीच मुल्क की सलामती व मुल्क की रक्षा करने वाले जवानों की सेहतमंदी व कुशलक्षेम के लिए नमाजियों ने अल्लाह के दरबार में दुआएं मांगी। जुमे की नमाज का नजारा यह बता रहा था कि धर्म व मजहब से ऊपर उठकर लोगों के दिलों में अपने वतन के लिए कितनी मोहब्बत व फिक्र है। जुमे की नमाज में मदरसा सेराजुल उलूम के प्रिसिंपल मुफ्ती महफूजूर रहमान कासमी ने कहा कि भारत अमन पसंद मुल्क है, हम सभी चाहते हैं कि बात लड़ाई तक न पहुंचे बल्कि हल बातचीत से निकले। जुमे की नमाज में यह दुआ इस बात की भी मिसाल है कि हिन्दुस्तान में हर कोई अपने देश के लिए एकजुट है, संकट की घड़ी में सभी मिलकर आगे आते हैं। वहीं, शहर के शेख मोहल्ला स्थित ग्यारहवीं मस्जिद में जुमा की नमाज भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के माहौल में लोगों ने अमन-चैन की दुआएं मांगी।
शुक्रवार को जुमे की नमाज के दौरान ऐतिहासिक ग्यारहवीं शरीफ मस्जिद में नमाजियों ने देश की सलामती व भारतीय सेना की सुरक्षा के लिए अल्लाह से खास दुआ की। नमाजी मोहम्मद इमामुद्दीन हकीम, मोअज्जम अली अंसारी, अमजद अली, संजर अली, मो. फिरोज, हाफिज सेराज अहमद सिद्दीकी, रेहान सादिक, एजाजुद्दीन, यूनुस परवेज, जहिर भाई, मो. सलामुद्दीन, बदरुद्दीन खान, निजाम खान, मो. अनवर, परवेज आलम, मिशाले फारूक, फरदीन अली, साहिल अहमद, मंजर अली, ताबिश अख्तर, मो. नेहाल, सैफुल आलम, अलाउद्दीन अख्तर, इरफान अहमद, शमीम अख्तर व नसीम अख्तर आदि ने कहा कि वतन की हिफाजत व वतन के लिए जीना-मरना यही हमारी पहचान हे। हमारा मजहब अमन व भाईचारगी का पैगाम देता है।
जब भी देश पर कोई संकट आता है, मुसलमान अपने वतन की सलामती के लिए दुआ करते हैं। नमाजियों ने बताया कि जुमे की नमाज के बाद सभी लोगों ने हाथ उठाकर भारत की सरहदों की हिफाजत, सेना की ताकत व देश के प्रत्येक नागरिक की सुरक्षा के लिए दुआ की है। नमाजियों ने बताया कि मुल्क की एकता, अखंडता व शांति के लिए हर रोज दुआ करते हैं। उनका मानना है कि भारत की सरजमीं पर हर धर्म, हर जाति के लोग मिलकर रहते हैं, जहां देश की हिफाजत सबका फर्ज है। उन्होंने बताया कि इस्लाम में किसी मासूम की जान लेना सबसे बड़ा गुनाह है, अल्लाह-त-आला इसे कभी माफ नहीं करते। ऐसे लोग किसी भी धर्म या मजहब के क्यों न हो, वह इंसानियत के नाम पर धब्बा हैं।