रेलवे के इस काम से दूल्हा दुल्हन की जयमाला हुई महंगी, पौधों और मछली के बाजार पर भी असर
- कोलकाता से बेला और रजनीगंधा का फूल तो पुणे और बेंगलुरू से गुलाब के फूल आते हैं। वाराणसी से गेंदा का फूल आता है। कारोबारी इसे छोटे वाहनों से सड़क मार्ग से ही मंगा ले रहे हैं। कोलकाता और पुणे से फूलों की आवक प्रभावित होने से दुल्हन की जयमाला से लेकर फूलों की सजावट में महंगाई की मार दिख रही है।

यार्ड रीमॉडलिंग के चलते पूर्वोत्तर रेलवे (एनईआर) प्रशासन द्वारा लिए गए मेगा ब्लॉक से ट्रेनों के संचलन प्रभावित होने का असर रोजमर्रा की जरूरतों पर दिखने लगा है। कोलकाता से ट्रेनों का संचलन पूरी तरह ठप होने से बेला, रजनीगंधा के फूलों के साथ जिंदा मछलियों की आवक घट गई है। पुणे, बेंगलुरू से गुलाब के फूलों की आवक घटने से दुल्हन की जयमाला से लेकर फूलों के सभी आइटम की कीमतों में 20 से 25 फीसदी तक बढ़ोतरी दिख रही है।
कोलकाता से बेला और रजनीगंधा का फूल तो पुणे और बेंगलुरू से गुलाब के फूल आते हैं। वाराणसी से गेंदा का फूल आता है। लेकिन इसे कारोबारी छोटे वाहनों से सड़क मार्ग से ही मंगा ले रहे हैं। कोलकाता और पुणे से फूलों की आवक प्रभावित होने से दुल्हन की जयमाला से लेकर फूलों की सजावट में महंगाई की मार दिख रही है। फूलों के कारोबारी समीर राय का कहना है कि पुणे से गोरखपुर तक ट्रेन से एक पेटी गुलाब का किराया 400 रुपये लगता है। लेकिन अब पेटी कानपुर तक ट्रेन से आ रही है। इसके बाद बस से गोरखपुर मंगाया जा रहा है। ऐेसे में एक पेटी फूल मंगाने का खर्च 1000 रुपये तक पहुंच जा रहा है। साथ ही बसों में फूल खराब भी हो रहे हैं।
समीर बताते हैं कि 2000 में तैयार होने वाली जयमाला की कीमत 2500 रुपये पहुंच गई है। फूल कारोबारी पंकज सैनी बताते हैं कि दुल्हन की जयमाला से लेकर दूल्हे की गाड़ी की सजावट में बेला और रजनीगंधा फूल का इस्तेमाल होता है। ये फूल कोलकाता से आ रहे हैं। इन फूलों को ट्रेन से प्रयागराज मंगाया जा रहा है। इसके बाद सड़क मार्ग से फूल गोरखपुर पहुंच रहा है। ऐसे में फूलों की कीमतों में 25 फीसदी तक बढ़ोतरी हो गई है। मुस्लिम शादियों में सेहरा भी महंगा हो गया है।
कोलकाता से गोरखपुर नहीं पहुंच रहे विदेशी पौधे
थाईलैंड और जापान से फलों के कई पौधों की वैरायटी कोलकाता के रास्ते होते हुए गोरखपुर पहुंचती है। इसी तरह ताइवान का पिंक अमरूद आंध्र प्रदेश के रास्ते गोरखपुर तक आता है। इसके साथ ही पुणे से ट्रेन से आने वाला मौसमी फूल मौसमी सदाबहार, जानिया, कासमस, बोगन बेलिया जैसे पौधों की आवक घट गई है। इसी तरह थाईलैंड से आने वाली अमरूद की वैरायटी, वाटर ऐपल, शोभादार जामुन का पौधा कोलकाता से गोरखपुर नहीं आ रहा है। मोहद्दीपुर में पारिजात नर्सरी के संजय कुमार का कहना है कि कोलकाता से घास की चटाई के साथ कई विदेशी पौधे आते हैं। जापान का मिया जाकी आम की वैरायटी भी कोलकाता से गोरखपुर नहीं आ रही है। पौधों की कीमत तो नहीं बढ़ी है, लेकिन उपलब्धता कम हो गई है।
एक्वेरियम की रंगीन मछली भी नहीं आ रही
ट्रेने नहीं चलने से एक्वेरियम की रंगीन मछली की आवक घट गई है। सिनेमा रोड, आर्य नगर में रंगीन मछली के कारोबारियों के यहां स्टॉक खत्म होने को है। इन मछलियों की वैरायटी में गप्पी, गोल्ड फिश, मौली, ब्लैक डॉल्फिन की डिमांड है। मछली पालने वाले अनुज श्रीवास्तव ने बताया गोल्ड फिश के आर्डर की 20 दिन बाद उपलब्धता होगी।