यूपी में बिजली महंगी, विभाग ने अप्रैल के बिल में लगाया ईंधन और समायोजन अधिभार
यूपी में बिजली विभाग ने लोगों को महंगाई का झटका दिया है। अप्रैल में लोगों की जेब ढीली कर दी है। विभाग ने बिल में ईंधन और समायोजन अधिभार भी जोड़ दिया है।

उत्तर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं को विभाग ने महंगाई का झटका दिया है। इस महीने यानी अप्रैल में बिजली महंगी हो गई है। बिजली बिलों में पहली बार 1.24% ईंधन और ऊर्जा खरीद समायोजन अधिभार (एफपीपीएएस) जुड़कर आया है यानी, अगर किसी उपभोक्ता का वास्तविक बिजली बिल 1000 रुपये था तो उसे एफपीपीएएस के तौर पर 12.40 रुपये अतिरिक्त भुगतान करना पड़ा। पांच साल में यह पहला मौका है जब बिजली दरें बढ़ाई गई हैं।
राज्य विद्युत नियामक आयोग ने इस साल 8 जनवरी को वितरण और पारेषण के लिए बहुवर्षीय टैरिफ नियमन के तीसरे संशोधन को मंजूरी दी थी। इसके तहत ईंधन और ऊर्जा खरीद समायोजन अधिभार (एफपीपीएएस) लगाने को मंजूरी दी गई थी। इस आधार पर जनवरी में बिजली कंपनियों ने 78.99 करोड़ रुपये सरप्लस का आकलन किया था। इसके समायोजन के लिए अप्रैल में सभी उपभोक्ताओं के बिलों पर 1.24% अधिभार लगा दिया गया।
बढ़ या घट सकती हैं आगे दरें
नियामक आयोग द्वारा जारी रेगुलेशन में हर महीने सरचार्ज की दरें तय करने का अधिकार पावर कॉरपोरेशन को दिया गया है। जैसे अप्रैल के बिल में जनवरी में ईंधन व ऊर्जा खरीद में हुए खर्च का समायोजन किया गया है, ठीक उसी तरह मई में फरवरी के खर्च का समायोजन किया जाएगा। आयोग ने तय किया था कि ईंधन व ऊर्जा खरीद के खर्च का आकलन होगा और तीन महीने बाद के बिल में उसे समायोजित किया जाएगा। अप्रैल के बाद हर महीने सरप्लस रकम को समायोजित करने के लिए अलग-अलग दरें तय की जाएंगी जो कम या ज्यादा हो सकती हैं। अगर किसी महीने बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं का बकाया निकलेगा तो वह रकम भी बिल में समायोजित होगी यानी कम की जाएगी।
बिजली कंपनियां पर उपभोक्ताओं का बकाया, सरचार्ज अवैध - अवधेश वर्मा
राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा है कि उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों पर उपभोक्ताओं के 33122 करोड़ रुपये बकाया हैं। ऐसे में अगर ईंधन व ऊर्जा खरीद में कुछ रुपये बिजली कंपनियों के सरप्लस निकल भी रहे थे तो उसे इस रकम से समायोजित करना चाहिए था। उन्होंने सरचार्ज लगाए जाने को अवैध करार दिया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश में अभी निजीकरण लागू नहीं हुआ और निजी औद्योगिक घरानों का दबाव महसूस किया जाने लगा है। उनके ही दबाव में हर महीने सरचार्ज लगाए जाने का नियम बनाया गया था। पांच साल में पहली बार बिजली दरों में इजाफा भी हो गया।
सभी से एक समान वसूली पर भी सवाल
पावर कॉरपोरेशन के राजस्व आवंटन इकाई के मुख्य अभियंता ने निदेशक (तकनीकी) को लिखे पत्र में 1.24% अधिभार लगाने को कहा था। इसमें सभी उपभोक्ताओं पर एक समान रूप से सरचार्ज लगाने की बात कही थी। एक समान अधिभार प्रदेश के सभी उपभोक्ताओं से वसूलने पर भी सवाल हैं। दरअसल, बिजली उपभोक्ताओं की कई श्रेणियां हैं और उनकी बिजली दरें भी अलग-अलग हैं। ऐसे में एक समान अधिभार सभी पर क्यों लगाया गया है? अगर अधिभार लगाना भी था तो अलग-अलग श्रेणी के उपभोक्ताओं के लिए अलग-अलग दरें होनी चाहिए थीं।