बोले एटा: बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए सपना है ‘कैलाश के दर्शन
Etah News - कैलाश मंदिर, जो एशिया के प्रमुख मंदिरों में से एक है, में दिव्यांग और बुजुर्ग श्रद्धालुओं को दर्शन के लिए कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। मंदिर की ऊँचाई के कारण उन्हें 108 सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ती...
एशिया के प्रमुख मंदिरों में शामिल प्राचीन शिवालय कैलाश मंदिर अपनी ऊंचाई और अलौकिक चतुर्मुखी शिवलिंग के लिए मशहूर है। मंदिर में 108 सीढ़ियां चढ़कर भोले बाबा के दर्शन होते हैं। मंदिर पर केवल वो श्रद्धालु ही दर्शन-पूजन कर पाते हैं, जो शारीरिक रूप से स्वस्थ हैं। इतनी सीढ़िया न चढ़ पाने वाले दिव्यांग और बुजुर्गों के लिए कैलाश मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचकर भगवान के दर्शन करना आज भी सपना है। इस समस्या के चलते दिव्यांग एवं बुजुर्ग श्रद्धालु मंदिर के नीचे से ही खड़े होकर दूर से ही प्रणाम कर लेते हैं। श्रद्धालुओं की इस समस्या को देखते हुए मंदिर महंत समेत तमाम श्रद्धालुओं ने हिन्दुस्तान अखबार के बोले एटा के जरिए मांग उठाई है कि मंदिर में दिव्यांगों व बुजुर्गों के लिए स्वचलित सीढ़ियां या लिफ्ट की व्यवस्था की जाए।
मंदिर के सामने गंदगी: कैलाश मंदिर के सामने काशी शैली पर आधारित पक्के घाट वाले तालाब की हालत बद से बत्तर बनी हुई है। आज तालाब झांड़ियों के साथ गदंगी से भरा पड़ा है। स्थानीय लोगों ने तालाब को खत्ताघर और जानवरों का तबेला बना दिया है। इसकी दुर्गंध से एक तरफ मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का बुरा हाल होता है। तो दूसरी तरफ मंदिर की भव्यता में पलीता लग रहा है। इतना ही नहीं तालाब के आसपास आबादी का सीवेज भी इसी तालाब में गिरता है। मंदिर के सामने बने तालाब की सफाई कराने के लिए जिला प्रशासन और नगर पालिका कुछ नहीं कर रही है।
मंदिर के बाहर दर्शन को लगाई एलईडी टीवी खराब: कैलाश मंदिर के गर्भगृह व आरती दर्शन के लिए मंदिर के नीचे फ्रंट पर एक एलईडी टीवी लगाई गई थीजो कुछ दिन बाद ही बंद हो गई। मंदिर के नीचे श्रद्धालुओं के बैठने के लिए लगाई पत्थर की कुर्सियां भी गायब हो चुकी हैं। मंदिर में गर्भगृह के बाहर लगी हैलोजन लाइटें भी खराब हैं। बता दें कि यह सभी कार्य बीते कुछ वर्ष पहले ही पयर्टन संस्कृति विभाग के माध्यम से कराए गए थे।
कासगंज के शंकर गढ़ के राजा दिलसुख राय बहादुर ने वर्ष 1867 में कैलाश मंदिर का निर्माण कराया था। इसके चलते इस मंदिर स्थापित हुए 159 वर्ष पूरे हो चुके है। उसके बाद भी इस मंदिर को भारतीय पुरातत्व विभाग ने अपने अधीन नहीं लिया है। इसके चलते आधिकारिक रूप से मंदिर संरक्षित धरोहर की श्रेणी में नहीं आ सका है। जबकि इस मंदिर को संरक्षित धरोहर में शामिल किया जाना चाहिए और देख रेख की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को देनी चाहिए। जिले के प्रमुख एवं प्राचीन शिवालय कैलाश मंदिर पर शिवरात्रि एवं सावन के सोमवार को 50 हजार से अधिक श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। भीड़ अधिक होने के कारण महिला, बुजुर्ग एवं दिव्यांग श्रद्धालु आसानी से महादेव की चर्तुमुखी शिवलिंग का दर्शन नहीं कर पाते हैं।
भगवान शंकर को समर्पित कैलाश मंदिर को बने 159 वर्ष पूरे हो चुके है। मंदिर का तालाब बदहाली के आंसू बहा रहा है। इतना भव्य तालाब होने के बाद भी उसकी दयनीय स्थिति है। यहां पर लोगों के पीने के पानी के लिए वाटर कूलर लगाया था वह भी खराब हो गया है। कई बार अधिकारियों से शिकायत की गई इसके बाद भी यह सही नहीं हो सका है। मंदिर में लिफ्ट होना भी बेहद जरुरी है। -धीरेंद्र कुमार झा, महंत कैलाश मंदिर
कैलाश मंदिर मार्ग के दोनों और पत्थर के भव्य गेटों का निर्माण कराया जाना चाहिए। उस पर कैलाश मंदिर अंकित होना चाहिए। इसके साथ ही मंदिर मार्ग पर कैमरे की व्यवस्था कराई जानी चाहिए। मंदिर मार्ग पर पुलिस चौकी और पुलिस कर्मियों की तैनाती की जानी चाहिए। इससे महिला श्रद्धालुओं को सुरक्षित होने की अनुभूति होगी। -शिवा
मंदिर के आसपास सौंदर्यीकरण की व्यवस्था की जानी चाहिए। मंदिर में आते समय गंदगी होने के कारण श्रद्धालुओं को दिक्कतें होती हैं। मंदिर के बाहर प्राकृतिक वातावरण बनाया जाना चाहिए। जिससे मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं का मन प्रफुल्लित व खुशी का अहसास हो सके। सबसे अधिक गंदगी तालाब एवं उसके बाहर बनाए गए तबेलों के कारण फैली हुई है। -गोलू गुप्ता
सरकार जिस तरह अन्य जनपदों में मंदिरों के बाहर सौंदर्यींकरण करा रही है। जहग-जगह भगवान के चित्रण वाली पेंटिग बना कर आने वाले श्रद्धालुओं को श्रद्धामय किया जा रहा है। इसी प्रकार कैलाश मंदिर की दीवारों एवं मार्ग पर भगवान शिव की लीलाओं का चित्रण होना चाहिए। इससे मंदिर आते समय श्रद्धा की पूर्ण अनुभूति कर सके।-चिराग वर्मा, श्रद्धालु
कैलाश मंदिर के गर्भगृह तक पहुंचने को काफी ऊंचाई तक चढ़ना पड़ता है। इससे शारीरिक रुप से कमजोर लोगों की श्वास फूल जाती है। बुजुर्ग एवं दिव्यांग तो मंदिर के गर्भगृह तक पहुंच ही नहीं पाते हैं। अगर मंदिर में लिफ्ट या स्वचालित सीढियां लगा दी जाए तो मंदिर में पूजा करने आने वाले श्रद्धालुओं को बेहद राहत मिल जाएगी। तालाब की सफाई भी होना जरुरी हैं। -रवि कुमार
घर के बुजुर्ग कैलाश मंदिर आने के लिए जिद करते हैं। मंदिर का गर्भगृह काफी ऊंचा होने के कारण उन्हें लेकर नहीं आ पाते हैं। अगर मंदिर में बुजुर्गों एवं दिव्यांगों के लिफ्ट लग जाए तो कोई परेशानी नही होगी। 108 सीढियां चढने के बाद मंदिर के गर्भगृह चढ़ने के लिए परेशानियां होती हैं। सरकार को इस तरफ ध्यान देना चाहिए।-अंकुर गुप्ता, श्रद्धालु, कैलाश मंदिर
कैलाश मंदिर के बाहर अनाधिकृत व्यक्ति मिलावटी प्रसाद बेचते हैं। मंदिर की ओर से अधिकृत पूजन सामिग्री की कोई दुकान नहीं है। इसके कारण अधिकांश श्रद्धालुओं को प्रसाद के रुप में मिलावटी पेड़े और बर्फी खरीदनी पड़ती हैं। मंदिर समिति को एक प्रसाद और पूजन सामिग्री की दुकान खुलवानी चाहिए। इससे मिलावटी प्रसाद से बचा जा सके। पानी की पर्याप्त व्श्वस्था होनी चाहिए। -अरुण कुमार शर्मा, श्रद्धालु
कैलाश मंदिर का तालाब आज बदहाली के आंसू बहा रहा है। जबकि इतना भव्य तालाब पूरे जनपद ही नहीं बल्कि पडोसी जिलों में भी नहीं है। तालाब की सफाई कराने के साथ उसमें खोले गए नाले एवं गटरों को बंद कराया जाए। तालाब के बाहर स्थानीय लोगों द्वारा बनाया गया पशुओं का तबेला भी हटवाया जाए। इसके कारण एक तरफ मंदिर की शोभा खराब हो रही है। -महेश चंद्र कुशवाह, श्रद्धालु
कैलाश मंदिर में दिव्यांग और बुजुर्गों को दर्शन करने के लिए अनेकों प्रकार की परेशानियां होती हैं। मंदिर में एस्केलेटर या लिफ्ट की व्यवस्था न होने से बुजुर्ग एवं दिव्यांगों को अनेकों प्रकार की मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। कैलाश मंदिर जिले का प्रमुख शिवालय है। इस पर पर्यटन एवं संस्कृति विभाग को लिफ्ट लगवानी चाहिए। इससे बुजुर्ग एवं दिव्यांग आसनी से भगवान के दर्शन कर सके। -रामू राजपूत, श्रद्धालु
कैलाश मंदिर 159 वर्ष पूराना होने के बाद भी संरक्षित धरोहर में शामिल नहीं किया गया है। जबकि इस मंदिर को पुरातत्व विभाग के अधीन होना चाहिए। अगर मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन आ जाता है तो इस का रख रखाब और व्यवस्थाएं स्वत: ही केंद्र सरकार के अधीन आ जाएगी और व्यवस्थाएं बेहतर हो जाएगी। कैलाश मंदिर जैसा ऊंचा शिवालय प्रदेश भर में चुंनिदा स्थानों पर ही है। -अंकित मिश्रा, श्रद्धालु एटा
शहर के प्राचीन शिवालय कैलाश मंदिर लिफ्ट लगने से शारीरिक रूप से कमजोर लोग, बुजुर्ग एवं दिव्यांग आसनी से पहुंच कर महादेव के दर्शन कर सकते है। लेकिन इसके लिए जिला प्रशासन को पहल करनी होगी। अगर पर्यटन एवं संस्कृति विभाग को यह प्रस्ताव भेजा जाए तो संभवत: कैलाश मंदिर पर लिफ्ट की व्यवस्था हो जाएगी। मंदिर का तालाब बेहद आकर्षक है, लेकिन बहाली का शिकार है। -गौरव शर्मा, श्रद्धालु एटा
कैलाश मंदिर पर हर दिन सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। उनके हाथ पैर धोने एवं कुल्ला आदि करने के लिए मंदिर के बाहर पानी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं है। इतना ही नहीं गर्मियों के लिए शुद्ध शीतल पेयजल के लिए आरओ वाटर मशीन भी नहीं लगवाई है। जबकि यह मंदिर जिले में अस्था का सबसे बड़ा केंद्र है। मंदिर तक पहुंचने में दिव्यांग और बुजुर्गों को परेशानी होती है। -देवेंद्र कुमार, श्रद्धालु एटा
मंदिर को भव्य बनाने के लिए जिला प्रशासन को कदम उठाने चाहिए। सबसे पहले कैलाश मंदिर में लिफ्ट लगनी चाहिए। उसके बाद तालाब की सफाई करानी चाहिए। क्यो कि मंदिर के साथ उसका तालाब भी आस्था से जुडा हुआ है। मंदिर के नीचे बड़ी एलईडी टीवी लगाई जानी चाहिए। इससे श्रद्धालु महाशिवरात्रि एवं सावन में पड़ने वाले सोमवार को श्रद्धालुओं गर्भगृह में विराजमान महादेव की अलौकिक शिवलिंग एवं आरती के दर्शन कर सके। -ज्योति यादव, श्रद्धालु एटा
हिन्दुस्तान के ‘बोले एटा अभियान के तहत प्राचीन शिवालय कैलाश मंदिर में आने वाले भक्तों ने शिरकत की। संवाद के दौरान भक्तों ने मंदिर में कुछ समस्याओं को लेकर अपने विचार रखे और उनके समाधान की मांग की।
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