Traffic Management Challenges at Intersections in Eta Need for Multi-Faceted Solutions बोले मथुरा: मेरे शहर की ‘सूरत बिगड़ी तो बढ़ता चला गया सफर का वक्त, Etah Hindi News - Hindustan
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बोले मथुरा: मेरे शहर की ‘सूरत बिगड़ी तो बढ़ता चला गया सफर का वक्त

Etah News - एटा शहर के तिराहों और चौराहों की समस्या का समाधान बहुआयामी दृष्टिकोण से करना आवश्यक है। इसमें प्रशासन, नागरिक और योजनाकारों की भागीदारी जरूरी है। ट्रैफिक पुलिस की संख्या बढ़ाई जाए, आधुनिक तकनीकों का...

Newswrap हिन्दुस्तान, एटाSun, 8 June 2025 10:17 PM
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बोले मथुरा: मेरे शहर की ‘सूरत बिगड़ी तो बढ़ता चला गया सफर का वक्त

एटा। शहर के तिराहों और चौराहों की समस्या का समाधान बहुआयामी दृष्टिकोण से ही संभव हो सकता है। इसमें प्रशासन, नागरिक और योजनाकार सभी की भागीदारी बेहद जरुरी है। तिराहों-चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की संख्या बढ़ाई जाए और उन्हें आधुनिक यातायात प्रबंधन तकनीकों और भीड़ नियंत्रण का प्रशिक्षण दिया जाए। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कठोर कार्रवाई की जाए। ताकि अनुपालन हो सके। सभी तिराहो-चौराहों पर ट्रैफिक सिग्नल और सीसीटीवी कैमरों को स्थापित किया जाए। खासकर शहर की लाइफ लाइन कहे जाने वाले मार्ग जीटी रोड पड़ने वाले पंडित दीन दयाल उपाध्याय चौराहा, रोडवेज बस स्टैंड तिराहा, कहचरी रोड, तिराहा, ठंडी सड़क तिराहा, घंटाघर चौराहा, हाथी गेट चौराहा, अलीगंज रोड चौराहा आदि प्रमुख चौराहों पर इनका होना बेहद जरूरी है।

यातायात विशेषज्ञों की मदद से प्रमुख तिराहे-चौराहों को रीडिजाइन किया जाए, ताकि यातायात आधुनिक और बेहतर ढंग से व्यवस्थित हो सके। शहर के अंदर गोल चक्करों और सिग्नलिंग सिस्टम को लागू किया जाए। अत्यधिक भीड़ वाले तिराहे-चौराहों पर भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए फ्लाईओवर या अंडरपास के निर्माण को शामिल किया जाए। पैदल चलने वालों की सुरक्षा के लिए पर्याप्त फुटपाथ और जेब्रा क्रॉसिंग बनाए जाए। सड़क किनारे से अतिक्रमणों को सख्ती से हटाया जाए और उन्हें दोबारा होने से रोका जाए। सभी को निभानी होगी जिम्मेदारी, तभी बस सकेगे व्यवस्थित मार्ग:शहर के तिराहों और चौराहों की अव्यवस्था बेहद जटिल समस्या है। इसे व्यवस्थित करने में न केवल यातायात पुलिस या नगर पालिका ही नहीं बल्कि प्रशासन, योजनाकार, व्यापारी वर्ग और आम नागरिकों के काम करने की जरुरत है। यदि समय रहते तिराहों, चौराहों की समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह शहर के विकास में एक बड़ी बाधा बन सकती है। एक सुव्यवस्थित यातायात प्रणाली न केवल नागरिकों के जीवन को आसान बनाएगी, बल्कि शहर को एक बेहतर, सुरक्षित और अधिक रहने योग्य शहर भी बनाएगी। नागरिक अनुशासन की कमी:यातायात नियमों के प्रति जागरूकता का अभाव और उनका पालन न करने की लोगों में प्रवृत्ति भी समस्या को बढ़ा रही है। लोग जल्दबाजी में नियमों का उल्लंघन करते हैं। इससे समस्या फैल हुई है। खासकर पीक आवर्स में शहर के प्रमुख चौराहों जैसे घंटाघर, रोडवेज बस स्टैंड चौराहा, कचहरी रोड चौराहा पर लंबा जाम लगना आम बात है। सार्वजनिक परिवहन का विनियमन किया जाए ऑटो और ई-रिक्शा के लिए निर्धारित स्टॉपेज बनाए जाएं और उन्हें मनमाने ढंग से कहीं भी रुकने से रोका जाए। सार्वजनिक परिवहन के संचालन को अधिक व्यवस्थित किया जाए। यातायात नियमों के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए नियमित अभियान चलाए जाए। स्कूलों, कॉलेजों और सार्वजनिक स्थानों पर कार्यशालाएँ आयोजित की जाए। नागरिकों को जिम्मेदार व्यवहार और यातायात नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित किया जाए। शहर के विकास की एकीकृत योजना बनाई जाए। जिसमें यातायात प्रबंधन को विकास योजना में शामिल किया जाए। भविष्य के शहरीकरण और जनसंख्या वृद्धि को ध्यान में रखकर योजनाएं बनाई जाएं। तिराहों और चौराहों पर ट्रैफिक पुलिस की कमी शहर के तिराहों और चौराहों पर यातायात प्रबंधन का अभाव होने के साथ शहर की बढ़ती यातायात जरूरतों के हिसाब से ट्रैफिक पुलिस कर्मियों की संख्या बेहद कम है। जिससे प्रभावी नियंत्रण मुश्किल हो रहा है। इसके साथ ही ट्रैफिक पुलिस कर्मियों को आधुनिक यातायात प्रबंधन तकनीकों का पर्याप्त प्रशिक्षण नहीं है। उनके पास आवश्यक उपकरण जैसे सिग्नल, बैरिकेड्स भी कम हैं। नियमों का उल्लंघन एवं गलत दिशा में वाहन चलाना, ओवरटेकिंग करना तिराहों-चौराहों पर आम बात है। जिस पर पुलिस का कोई प्रभावी नियंत्रण नहीं है। यातायात को बढ़ता दबाव नहीं झेल पा रहे शहर के नन्नूमल एवं बली मोहम्मद चौराहा सहित कई तिराहे-चौराहे पुराने और संकरे मार्गों पर बने हैं, जो यातायात के बढ़ते दबाव के नहीं संभाल पा रहे हैं। इसके अलावा अधिकांश तिराहे-चौराहों का डिजाइन यातायात के अनुरूप नहीं है। गोल चक्कर या ट्रैफिक लाइटों का अभाव या समस्या को और अधिक बढ़ा रहा है। फुटपाथ और जेब्रा क्रॉसिंग का अभाव होने से पैदल चलने वालों के लिए मार्ग सुरक्षित नहीं है। जिससे राहगीरों को जोखिम बना रहता है। दुकानों, ठेलों और अवैध पार्किंग के कारण सड़क का काफी अतिक्रमण से हिस्सा घिरा हुआ है। जिससे यातायात के लिए जगह बेहद कम बची है। शहर के किसी भी तिराहों-चौराहों पर ट्रैफिक व्यवस्था बेहतर करने के लिए ट्रैफिक सिग्नल नहीं लगाए गए हैं। सड़कों पर गड्ढे, टूटे हुए डिवाइडर और अव्यवस्थित बिजली के तार शहर की दृश्य को बिगाड़ रहे हैं। चौराहों के आसपास कूड़े-कचरे के ढेर, पान की पीक और धूल-मिट्टी जमा रहती है। -अभिषेक शर्मा शहर के सभी तिराहे-चौराहे के किनारे ठेले, रेहड़ी-पटरी वाले और अव्यवस्थित तरीके से पार्क किए गए वाहन सौंदर्य को और भी बिगाड़ते हैं। अतिक्रमण के कारण पैदल चलने वालों के लिए जगह नहीं बचती और यातायात भी बाधित होता है। कई चौराहों पर रात के समय पर्याप्त रोशनी नहीं होती, जिससे सुरक्षा की चिंता रहती हैं। -लक्ष्मी नारायण शर्मा शहर के अंदर राहगीरों के लिए व्यवस्थित फुटपाथ या कहीं बैठने की कोई जगह नहीं है, जिससे लोगों को परेशानी होती है। शहर के सौंदर्यीकरण को निचले पायदान पर रखा गया है। इसका कारण यह भी है कि सौंदर्यीकरण संबंधी परियोजनाओं के लिए या तो बजट का अभाव या फिर उपलब्ध निधियों का सही ढंग से उपयोग नही हो रहा है। -तरुण शर्मा तिराहों-चौराहों के लिए कोई सुनियोजित दीर्घकालिक सौंदर्यीकरण योजना नहीं है। इसके साथ ही स्थानीय स्तर पर सामुदायिक भागीदारी का अभाव है। शहर में हर तरफ अव्यवस्थाओं का आभाव है। विभिन्न विभाग जैसे पीडब्ल्यूडी, ट्रैफिक पुलिस, नगर पालिका के बीच प्रभावी समन्वय की कमी भी समस्या को बढ़ा रही है। -अमन सक्सेना अव्यस्थित तिराहों-चौराहों के कारण शहर की छवि पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। शहर में आने वाले पर्यटकों और आगंतुकों पर शहर की पहली छाप खराब पड़ रही है। एक साफ-सुथरा और सुंदर शहर पर्यटकों को आकर्षित करता है। अव्यवस्थित और गंदे चौराहे नागरिकों में शहर के प्रति हीन भावना पैदा कर रहे है। -अरुण कुमार शहर के तिराहों और चौराहों का सौंदर्यीकरण अब केवल एक विकल्प नहीं बल्कि एक आवश्यकता है। शहर के सभी प्रमुख तिराहों और चौराहों के लिए एक विस्तृत सौंदर्यीकरण योजना तैयार की जाए। इसमें हरियाली, आकर्षक लाइटें, कलात्मक संरचनाएं, साफ-सफाई और व्यवस्थित यातायात प्रबंधन को शामिल किया जाए। -शिव प्रताप सिंहब सौंदर्यीकरण परियोजनाओं के लिए पर्याप्त वित्तीय संसाधन आवंटित किए जाएं और उनका पारदर्शी ढंग से उपयोग किया जाए। स्थानीय व्यवसायों, और नागरिक संगठनों को गोद लेने और रखरखाव के लिए प्रोत्साहित किया जाए। चौराहों पर स्थानीय संस्कृति, इतिहास या प्रतीकात्मक महत्व को दर्शाने वाली कलाकृतियों या मूर्तियों को स्थापित हों। -सौरभ भारद्वाज शहर के तिराहों-चौराहों पर मौसमी फूलों और छोटे पेड़ों का उपयोग करके हरियाली को बढ़ावा दिया जाए। जो न केवल शहर के सौंदर्य बढ़ाएंगे बल्कि प्रदूषण को कम करने में भी मदद करेंगे। सौंदर्यीकरण के बाद नियमित रखरखाव और स्वच्छता ध्यान भी रखा जाए। इसके लिए टीमों का गठन किया जाए। प्रकाश व्यवस्था में सुधार किया जाए। -निशांत सिंह रात में चौराहों को पर्याप्त रूप से रोशन किया जाए, जिससे उनकी सुंदरता बढ़े और सुरक्षा भी सुनिश्चित हो सके। नागरिकों की भागीदारी और सुझाव देने और रखरखाव में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया जाए। चौराहों पर अतिक्रमण को सख्ती से हटाया जाए। अवैध पार्किंग के लिए वैकल्पिक स्थानों की व्यवस्था की जाए। -पवन दुबे

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