पांच वर्षों से एक ही स्थान पर खड़े कबाड़ हो गए नए रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रक
Etah News - पाँच वर्ष पूर्व खरीदे गए रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रक नगर पालिका में अब तक एक बार भी उपयोग नहीं हुए हैं। इन ट्रकों को एआरटीओ में पंजीकरण नहीं कराया गया है और ये अब कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं। नगर...

शहरी क्षेत्र की सफाई व्यवस्था को बेहतर करने के लिए पांच वर्ष पूर्व खरीदे गए रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रक आज तक एक ही स्थान पर खड़े-खड़े पूरी तरह कबाड़ में तब्दील हो गए हैं। इन न्यू ब्रांड रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रकों को पांच के अंदर एक दिन भी शहर की सफाई कार्य में उपयोग नहीं किया गया है। यहां तक कि एआरटीओ में रजिस्ट्रेशन तक नहीं कराया गया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत वर्ष 2020 में नगर पालिका को सफाई कार्य में उपयोग होने वाले वाहनों को खरीदने के लिए शासन से अच्छा खासा बजट मिला था। पूर्व पालिकाध्यक्ष मीरा गांधाी के कार्यकाल में उस बजट से तत्कालीन ईओ डॉ. दीप कुमार वार्ष्णेय ने डलाव घरों से कूड़ा उठाने वाले तीन रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रक सहित मार्गों पर झाडू लगाने के लिए एक ऑटोमेटिक स्वीप मशीन, डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन के लिए 25 छोटा हाथी टेंपो, 10 ई-रिक्शा, पानी खीचने के लिए दो सैक्शन मशीन, एक जेसीबी मशीन, एक छोटी पॉकलेन मशीन सहित कई वाहन खरीदे थे।
इन सभी वाहनों में से नगर पालिका ने अब तक कुल 1.5 करोड़ की लागत से खरीदे गए रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रकों को उपयोग में नहीं लिया है। पांच वर्ष पूर्व पालिका में आए तीनों रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रक वाटर वर्क्स वाहन यार्ड में खड़े होकर धूल फांकने के साथ कबाड़ होने की कगार पर आ चुके हैं। बतादे कि रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रकों का पालिका ने अब तक उपयोग करना तो दूर एआरटीओ कार्यालय में पंजीकरण भी नहीं कराए है। पालिका की इस लापरवाही से लाखों रुपये से खरीदे गए तीनों रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रक कबाड़ हो रहे हैं। पालिका के पास नहीं रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रक ऑपरेटर एटा। नगर पालिका के पास रिफ्यूज गार्बेज कॉम्पैक्टर ट्रक को चलाने के लिए कोई ऑपरेटर नहीं है। उसकी बजह से 1.5 करोड़ की लागत से खरीदे गए तीनों कॉम्पैक्टर पांच वर्षों से नगर पालिका के यार्ड में जैसे के तैसे खड़े होकर कबाड़ में तब्दील हो गए है। इसके अलावा आर्थिक तंगी से जूझने वाली नगर पालिका के पास कंपेक्टरों को चलाने के लिए डीजल का बजट भी नहीं है। इन्हीं कारणों से कॉम्पैक्टर खड़े हुए हैं।
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