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बोले फिरोजाबाद: परिंदों को शिकायत है, कभी तो सुन मालिक

Firozabad News - सरकार ने दिव्यांगों के लिए कई योजनाएं चलाई हैं, लेकिन वे इनका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। कई दिव्यांगों के पास उच्च शिक्षा है, फिर भी उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा। दिव्यांगों की पेंशन में देरी और कम राशि...

Newswrap हिन्दुस्तान, फिरोजाबादSat, 15 Feb 2025 12:32 AM
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बोले फिरोजाबाद: परिंदों को शिकायत है, कभी तो सुन मालिक

सरकार ने नाम के आगे दिव्य जोड़ उन्हें दिव्यांग सम्मान दिया है। कई योजनाएं इन दिव्यांगों के लिए संचालित हो रही हैं, लेकिन बड़े पैमाने पर दिव्यांग इनका लाभ नहीं उठा पा रहे। डिग्री पाने के बाद भी नौकरियों में पिछड़ रहे हैं। दिव्यांगजन पेंशन पहले से काफी कम है तो उसके लिए भी महीनों का इंतजार करना पड़ रहा है। दिव्यांगजनों की मानें तो सरकार को पार्किंग व शौचालय संचालन जैसे कार्य दिव्यांगजनों के लिए आरक्षित कर देने चाहिए। पेंशन बढ़ाने के साथ दिव्यांगजनों को बिजली बिल में छूट हो। दिव्यांगजनों को औपचारिकताओं के लिए लंबी दौड़ से बचाने के लिए कोई टोल फ्री नंबर आवंटित किया जाए।

वह दिव्यांग हैं। कोई पैर से चलने से लाचार तो किसी का एक हाथ नहीं। दिव्यांगता जुदा-जुदा है, लेकिन इन्हें सिर्फ एक नाम से पहचाना जाता है दिव्यांग। सरकार ने दिव्यांगजनों की पीड़ा एवं दर्द को समझते हुए इन्हें इस नाम के साथ सम्मान से जिंदगी जीने का मौका दिया। इनके लिए लंबे वक्त से काफी योजनाएं भी चल रही हैं। दिव्यांग सहायक उपकरण के साथ अन्य योजनाओं का लाभ तो दिव्यांग भी उठा रहे हैं, लेकिन दिव्यांगजनों की मानें तो इन योजनाओं से ज्यादा जरूरत है दिव्यांगजनों को रोजगार से जोड़े जाने की। अगर दिव्यांगजनों के पास में रोजगार होगा तो वह कई समस्याओं से स्वयं ही निजात पा लेंगे।

हिन्दुस्तान ने बोले फिरोजाबाद के तहत दिव्यांगजनों से संवाद किया तो हर चेहरे पर झलकता हुआ दिखाई दिया दर्द। बेरोजगारी की पीड़ा। कईयों के पास तो अच्छी-खासी डिग्री भी है, लेकिन इसके बाद भी यह रोजगार नहीं पा सके हैं। प्राइवेट नौकरी भी नहीं मिल पा रही है। किसी तरह से अपने घर का खर्च चलाने वाले इन दिव्यांगजनों का कहना था कि सरकार दिव्यांगजनों के लिए धरातल पर कार्य करे। दिव्यांगजनों के लिए कई योजनाएं संचालित हैं, लेकिन इन योजनाओं का लाभ लेने के लिए दिव्यांगजनों को दौड़ाया जाता है।

कई दिव्यांग तो अकेले चलने-फिरने से भी लाचार हैं वो किसी की मदद लेकर किसी तरह से दफ्तरों तक पहुंचते हैं। इनके लिए सरकार ऑनलाइन पोर्टल शुरू करे, जिस पर इनके द्वारा अगर कोई शिकायत की जाती है तो उसका निस्तारण भी तत्काल किया जाए। दिव्यांगजनों की पेंशन बढ़ाने की मांग करते हुए इनका यह भी कहना था कि अभी भी पेंशन तीन-तीन महीने बाद में मिलती है, जिससे दिव्यांगजनों को परेशानी का सामना करना पड़ जाता है। पेंशन को हर महीने समय से दिलाया जाए, ताकि दिव्यांगजनों को इससे मदद मिल सके। वैसे भी हजार रुपये पेंशन में गुजारा करना मुश्किल होता है, इसके लिए दिव्यांगजनों को अन्य काम खोजने पड़ते हैं।

अंत्योदय कार्ड बनाकर दिलाएं योजनाओं का लाभ:

दिव्यांगजनों का कहना था कि सरकार अंत्योदय कार्ड धारकों को विशेष सुविधाएं दे रही है। इन सुविधाओं का लाभ दिव्यांगजनों को भी दिलाने का प्रयास किया जाना चाहिए। इसके लिए दिव्यांगजनों के प्राथमिकता के आधार पर अंत्योदय कार्ड बनाने चाहिए, ताकि दिव्यांगजन इस कार्ड के आधार पर इन योजनाओं का लाभ उठाएं एवं उन्हें जीवन यापन में मदद मिल सके।

शौचालय के संचालन से दिलाएं आजीविका

दिव्यांगजनों का कहना था कि नगर निगम द्वारा सार्वजनिक शौचालयों का संचालन किया जा रहा है। इन शौचालय की जिम्मेदारी दिव्यांगजनों को सौंपी जाए, ताकि इनके संचालन के रूप में मिलने वाली मानदेय राशि से दिव्यांगजन आर्थिक रूप से सशक्त होंगे तथा उन्हें अपने परिवार का भरण पोषण करने में भी मदद मिलेगी।

आसानी से नहीं मिलता है बैंकों से ऋण

दिव्यांगजनों का कहना था कि स्वरोजगार से जोड़ा जाए. बैंकों से आसानी से ऋण नहीं मिलता है। दिव्यांगजनों को बैंक ऋण के लिए बार-बार चक्कर भी लगवाती हैं, इसके बाद भी ऋण नहीं मिल पाता है। सरकार को इसके लिए विशेष प्रावधान करने की जरूरत है, ताकि दिव्यांगजनों को बैंक से ऋण भी आसानी से मिल सके तथा वह अपने पैर पर खड़े हो सकें। दिव्यांगजनों को सरकारी योजनाओं के तहत ऋण न देने वाली बैंकों पर कार्रवाई की जाए।

फिर संचालित हो आवासीय मूक-बधिर स्कूल

दिव्यांगजनों का कहना था कि मूक बधिर बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा से ही पारंगत करना होगा। पहले सिविल लाइन दबरई पर एक मूक बधिर स्कूल का संचालन किया जाता था, जहां पर बच्चों के रहने के लिए आवासीय व्यवस्था भी सरकार द्वारा की जा रही थी, लेकिन अब इस स्कूल को भी बंद कर दिया है। इससे मूक बधिर बच्चों को भी बेहतर शिक्षा नहीं मिल पा रही है। अगर मूक बधिर बच्चों को प्रारंभ से ही बेहतर शिक्षा मिलेगी तो वह आगे भी शिक्षा प्राप्त कर सकेंगे, लेकिन अभी इन्हें बेहतर शिक्षा नहीं मिल रही है।

पढ़े-लिखे दिव्यांगों को रोजगार की मिले गारंटी

दिव्यांगजनों में से कई ऐसे थे, जिनके पास डिग्रियां थी। कोई एमए पास था तो कोई एमए बीएड। इनका कहना था कि किसी तरह से संघर्ष के बीच में मेहनत करते हुए यह डिग्रियां प्राप्त की हैं, लेकिन इसके बाद भी नौकरी नहीं मिल पाती है। दिव्यांगजनों का कहना था कि सरकार को कम से कम पढ़े-लिखे दिव्यांगों को तो रोजगार का अवसर देना चाहिए, ताकि यह दिव्यांगजन आर्थिक रूप से सशक्त होने के साथ समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें।

दिप्व्यांगों का दर्द

दिव्यांगजनों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ने की जरूरत है। स्वरोजगार से जुड़ सकें, इसके लिए इन्हें कौशल विकास केंद्र के जरिए विशेष तौर पर प्रशिक्षित किया जाए। दिव्यांगजनों को रोजगार में आरक्षण की बात की जाती है, लेकिन दिव्यांगजनों का एक बड़ा वर्ग रोजगार से वंचित है।

-दिलीप कुमार

हम दिव्यांग हैं, इसके बाद भी काफी मेहनत करके हमने एमए बीएड किया हुआ है, लेकिन आज तक नौकरी नहीं मिल पाई है। दिव्यांगजनों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार को उनकी शिक्षा दीक्षा के साथ में नौकरी के लिए खासतौर पर व्यवस्था करनी चाहिए।

-मीना

दिव्यांगों के लिए सरकार इतनी योजनाएं चलाती है, लेकिन लाभ नहीं मिल पा रहा है। हमें आज तक किसी भी योजना का लाभ नहीं मिल सका है। सरकार को दिव्यांगों को काम दिलाने के लिए प्रयास करना चाहिए। उन्हें सरकारी योजनाओं से जोड़ा जाए।

-बबलू

हम दिव्यांग हैं, लेकिन हमारे पास कोई काम नहीं है। हमने ग्रेजुएशन किया है। सरकार को दिव्यांगों के लिए रोजगार का प्रावधान करना चाहिए। सरकारी भवनों में साइकिल स्टैंड जैसे ठेके भी इन्हें दिए जा सकते हैं, ताकि इनके परिवार का भरण पोषण होता है।

-इंद्रा कुमारी

सरकार को दिव्यांगजनों के लिए विशेष योजनाएं बनानी चाहिए। सरकार द्वारा संचालित सार्वजनिक शौचालय का संचालन भी दिव्यांगों को सौंप उन्हें रोजगार से जोड़ा जा सकता है। वहीं दिव्यांगजनों की पेंशन में भी बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए।

-नफीस

सरकार दिव्यांगजनों के लिए विशेष योजनाएं चलाए। अभी दिव्यांगजनों को पेंशन तो मिलती है, लेकिन तीन-तीन महीने के बाद में दिव्यांगजनों को पेंशन आती है। इस दौरान पेंशन पर ही निर्भर दिव्यांग अपना परिवार कैसे चलाते हैं, यह वही बेहतर जानते हैं।

-नरेश

दिव्यांगों के लिए सरकार इतनी योजनाएं चलाती है, लेकिन लाभ नहीं मिल पा रहा है। छह महीने से दिव्यांगजनों की पेंशन रुकी हुई है। दिव्यांगजनों की समस्याओं का हल कराने के लिए टोल फ्री नंबर होना चाहिए, ताकि दिव्यांगों की समस्याओं का घर बैठे ही निस्तारण किया जा सके।

-राहुल राठौर

पोस्ट ग्रेजुएशन किया हुआ है, लेकिन अभी तक दिव्यांग नहीं मिले हैं। पेंशन भी कभी समय से नहीं आती है। दिव्यांगजनों को परेशानी का भी सामना करना पड़ता है। दिव्यांगजनों के लिए सरकार को अन्य योजनाएं चलानी चाहिए, ताकि समाज की मुख्य धारा से जुड़ सकें।

-इमरान

दिव्यांगजनों के लिए सिर्फ बड़ी-बड़ी बातें होती हैं, लेकिन उनकी समस्याओं को ध्यान में रखने वाला कोई नहीं। छोटे-छोटे कामों के लिए हर दिव्यांग को कई-कई बार दबरई की दौड़ लगानी होती है। कम से कम दिव्यांगजनों को इस समस्या से निजात मिलनी चाहिए।

-पंकज

हमारा एक हाथ नहीं है। किसी तरह से कांच कारखाने में काम कर जैसे-तैसे परिवार का संचालन कर रहे हैं। दिव्यांगजनों को पेंशन वक्त पर मिलनी चाहिए तथा इस पेंशन में बढ़ोत्तरी की भी जरूरत है।

-ओमवीर

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