बोले फिरोजाबाद: कृष्णा विहार के साथ बेइमानी सड़क-बिजली है और न पानी
Firozabad News - कृष्णा विहार कॉलोनी के निवासियों को नगर निगम की अनदेखी के कारण गड्ढों और दलदली सड़कों का सामना करना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों ने कई बार समस्याओं को उठाया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। लोग कह रहे हैं कि...
हर रोज भूमि पूजन। विकास के बोर्ड। जनप्रतिनिधियों के विकास को लेकर दावे। यह सब देख-सुन कृष्णा विहार कॉलोनी में रह रहे लोगों तथा यहां पर स्थित फैक्ट्रियों में काम करने आने वाले मजदूरों को काफी दर्द होता है। इस दर्द के पीछे वजह है कि बनी हुई सड़कों पर आरसीसी डलवाते हुए निगम के पार्षदों को यह देखते हैं। जिन सड़कों में गड्ढे भी नहीं हैं, उन सड़कों को फिर से बना दिया गया है। दूसरी तरफ जहां पर लोगों को राह निकलने के लिए कच्ची सड़क भी नहीं। दलदल में ईंटें रख कर अपनी राह खुद बनानी पड़ रही है।
जेब से गिट्टी डलवानी पड़ रही है, निगम के जिम्मेदार अधिकारियों का उन क्षेत्रों की तरफ कोई ध्यान नहीं। वार्ड नंबर 20 का एक हिस्सा है कृष्णा विहार कॉलोनी। ककरऊ कोठी चौराहा से बस स्टैंड के बीच से होकर इस कॉलोनी का रास्ता जाता है तो मुख्य सड़क से भी एक रास्ता है, लेकिन दोनों ही रास्तों का हाल बेहाल है। ककरऊ कोठी चौराहा से बस स्टैंड होकर जाने पर फिर भी कुछ दूरी तक गिट्टी वाहन का साथ देती हुई दिखाई देती है, लेकिन ककरऊ कोठी से आगे चलने पर दायें हाथ पर इस कॉलोनी के लिए गली में मुड़ते ही बाइक को ब्रेक लग जाते हैं। पूरी गली में दलदल के रूप में मिट्टी बिखरी पड़ी है तो जगह-जगह गहरे गड्ढे। नया बाइक सवार तो यह स्थिति देख इस गली में घुसने की हिम्मत भी नहीं जुटा पाए।
हिन्दुस्तान के बोले फिरोजाबाद के तहत जब कृष्णा विहार कॉलोनी के वाशिंदों से संवाद किया तो हर किसी में निगम प्रशासन के खिलाफ गुस्सा दिखाई दिया। लोगों ने कहा निगम में यह क्षेत्र आता है, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हो रही है। क्षेत्रीय पार्षद कई बार समस्याओं को उठा चुके हैं, लेकिन इसके बाद भी नगर निगम का इस तरफ कोई भी ध्यान नहीं है। घरों के सामने दलदल की स्थिति को दिखाते हुए लोग कहते हैं कि घरों से निकलना मुश्किल है। बुजुर्ग तो यहां से निकल भी नहीं सकते। कई बार बुजुर्ग गिर चुके हैं तो उनके चोट भी लग गई है। क्षेत्रीयजनों ने कहा कि न जाने निगम का विकास का मानक क्या है।
जहां पर गलियां बनी हुई है, उनके तो ठेके उठा दिए जाते हैं, लेकिन जहां पर जनता का बगैर बरसात के चलना मुश्किल है, वहां पर निगम को कोई भी समस्या दिखाई नहीं देती है। नगर निगम को सड़कों का निर्माण जल्द से जल्द कराना चाहिए। रात के अंधेरे में दलदल के बीच से निकलना मुश्किल कृष्णा विहार कॉलोनी में विद्युत पोल तो लगे हुए हैं, लेकिन इन पोल पर स्ट्रीट लाइट नहीं है। इधर सड़क पर गलियों में पाइप लाइन लीकेज से जलभराव हो रहा है। इस स्थिति में रात में अंधेरे में दलदल के बीच में कई बार गड्ढों में बाइक फंस जाती है। बाहर से बड़ी संख्या में आने वाले मजदूरों को भी परेशानी का सामना करना पड़ता है। क्षेत्रीयजनों का कहना है कि कई बार स्ट्रीट लाइट की भी मांग उठाई है, लेकिन नगर निगम द्वारा अनसुनी कर दी जाती है।
इनकी बात
जब से कॉलोनी बनी है, तब से ही सड़क कच्ची पड़ी हैं। कुछ गिट्टियां थी, वो भी अब उखड़ती जा रही हैं। यहां पाइप लाइन तो पड़ी है, लेकिन जब तब लीकेज हो जाने से पानी भी नियमित रूप से नहीं मिल पाता है।
-गौरव अग्रवाल
हम तो जब से यहां पर रह रहे हैं, तब से इस सड़क का यही हाल है। सफाई का भी बुरा हाल है, कोई सफाई करने वाला नहीं आता है। दो बार निगम का बोर्ड हमारे सामने गठित हुआ, लेकिन इन गलियों के हालात नहीं बदल सके हैं।
-ईशू
मोहल्ले में कोई सफाई करने वाला कर्मचारी भी नहीं आता है। सामने पार्क की जमीन है, लेकिन उस पर पार्क भी नहीं बनाया गया है। हमने घर के आसपास पौधे लगाने का प्रयास किया, लेकिन जानवर क्षतिग्रस्त कर देते हैं। सड़क भी नहीं बनवाई है।
-स्नेहलता
सड़क के नाम पर मिट्टी का दलदल बना हुआ है। निकलना भी मुश्किल होता है, लेकिन इसके बाद भी निगम को टैक्स पूरा चाहिए। टैक्स के लिए भी लोगों का उत्पीड़न किया जाता है। नगर निगम को जनसुविधाओं की कतई चिंता नहीं है।
-मोहित वर्मा
पानी की निकासी के यहां पर कोई भी इंतजाम नहीं हैं। निगम न तो सफाई कराता है न ही यहां पर पानी नियमित रूप से आता है। फिर भी निगम के अधिकारी व कर्मचारी टैक्स को आ जाते हैं। निगम को जवाब देना चाहिए जिम्मेदारी किसकी है।
-विजय अग्रवाल
नगर निगम द्वारा हाउस टैक्स एवं वाटर टैक्स लिया जा रहा है, लेकिन न तो गलियां बनवाने की तरफ निगम का ध्यान है। न ही लोगों को साफ पानी पहुंचाने की जिम्मेदारी निगम उठा पा रहा है। आए दिन पानी की पाइप लाइन टूट जाती है।
-दीपक बंसल
सड़क न बनने से बहुत समस्या है। कई बार यहां पर आने वाले वाहन इस कीचड़ युक्त दलदल में फंस जाते हैं तो उन्हें निकालने के लिए भी जेसीबी को मंगाना पड़ता है। पैदल निकलते वक्त भी लोगों को गिरने का डर सताता रहता है।
-उमाशंकर
नगर निगम अगर अपने क्षेत्र का विस्तार कर रहा है तो उसकी व्यवस्थाओं पर भी ध्यान देना चाहिए। गलियों के नाम पर कच्ची गलियां हैं। लोगों ने खुद 15-20 हजार रुपये से गिट्टी डलवाई थी, लेकिन वो गिट्टी भी कहां तक चलती।
-मनीष अग्रवाल
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