जगराते में सड़क बंद हो सकती है तो नमाज पर पाबंदी क्यों? पूर्व सपा सांसद ने उठाए सवाल
सपा के पूर्व सांसद डा. एसटी हसन ने यूपी सरकार पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि जगराते में सड़क ब्लॉक करके आयोजन हो सकता है तो सड़कों पर नमाज पर पाबंदी क्यों लगाई जाती है। यह भेदभाव आखिर क्यों हो रहा है।

जगराते में सड़क ब्लॉक करके आयोजन हो सकता है तो सड़कों पर नमाज पर पाबंदी क्यों लगाई जाती है। यह भेदभाव आखिर क्यों हो रहा है। सपा के पूर्व सांसद डा. एसटी हसन ने कुछ इस अंदाज में सवाल उठाए। यह भी आरोप लगाया कि सपा सांसद रामजी लाल सुमन के यहां हमला पुलिस की छत्रछाया में हुआ।
रविवार को पूर्व सपा सांसद डाक्टर एसटी हसन ने कहा कि सड़क पर माता की चौकी और जगराते से हमें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन हमें इस पर आपत्ति है कि ईद की नमाज़ के लिए सड़क पर इजाजत क्यों नहीं है। अब हम अपने घर की छतों पर भी नमाज़ नहीं पढ़ सकते। देश में मुसलमानों और दलितों के साथ भेदभाव हो रहा है। पूर्व सपा सांसद ने कहा कि अल्पख्यकों और दलितों पर हमले हो रहे हैं। इसको लेकर हम चिंतित हैं। जिस तरह के भेदभाव वाले आदेश जारी हो रहे हैं उस पर हम कुछ बोल भी नहीं सकते। आगरा में सपा सांसद राम जी लाल सुमन के यहां हुए हमले पर उन्होंने कहा कि हमला पुलिस की छत्रछाया में हुआ है और कोई बचाने वाला नहीं था। क्या दलित होना इस देश मे कोई अपराध है। अल्पसंख्यक और दलित इस देश पर राज करने वाली ताकतों के निशाने पर हैं।
ईद की नमाज सड़कों पर ना पढ़ें और काली पट्टी ना बांधे: मौलाना शाहबुद्दीन
उधर, ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा है कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने ईद के दिन हाथ पर काली पट्टी बांधने का ऐलान किया है, इस ऐलान पर मुसलमान अमल न करें, काली पट्टी न बांधें क्योंकि यह दिन खुशियों का दिन है, काली पट्टी बांधकर खुशी के दिन को गम में ना बदले। अपने देश और परिवार के लिए खुशहाली और तरक्की की दुआ करें।
मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने रविवार को जारी बयान में कहा , “ईद की तमाम तैयारियां जोर शोर से हो रही है, मैं तमाम ईदगाह के इमाम और मस्जिद के इमाम हजरात से अपील करूंगा कि ईद की नमाज का सौहार्द के साथ प्रबंध करें। और नमाज में इस बात का ध्यान रखें कि रोड पर नमाज ना हो, ईदगाह और तमाम मस्जिदों में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि अगर कहीं मस्जिद छोटी है, और नमाज़ी ज्यादा आ गए तो मस्जिद के अंदर समा नहीं पाते हैं। ऐसी सूरत ए हाल में उसका तरीका शरियत ने ये बताया है कि मस्जिद में इमाम बदलकर दूसरी जमात या तीसरी जमात की जा सकती है। फिर रोड पर जमात की कोई जरूरत पेश नहीं आएगी, इसकी वजह यह है कि जब रोड पर नमाज लोग पढ़ने लगते हैं तो एंबुलेंस ट्रैफिक और लोगों की आमद व रफ्त (आना जाना) बंद हो जाता है, तो लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। इस्लाम रवादारी और इंसानियत का मजहब है, किसी को तकलीफ़ पहुंचाने का नहीं।”