नवरात्र में देवी मंदिरों-घरों में बोए जौ
Gangapar News - गौहनिया, हिन्दुस्तान संवाद। चैत्र नवरात्र के पर्व पर देवी मंदिरों में विशेष रूप से जौ

चैत्र नवरात्र के पर्व पर देवी मंदिरों में विशेष रूप से जौ बोने की परपरा है। ये जवारे शुभ, समृद्धि व नई ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जौ बोना मां दुर्गा की कृपा प्राप्त करने का एक माध्यम है। वहीं इसका वैज्ञानिक और सेहत से जुड़ा महत्व भी है। यह कृषि और पर्यावरण से जुड़ी भी परंपरा है। नवरात्र में देवी मंदिरों सहित घरों के देवालयों में कलश के आसपास जवारे रखे जाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जौ को देवी अन्नपूर्णा का प्रतीक माना गया है। ऋषियों के लिए यह सभी धान्यों में सबसे अधिक प्रिय है, इसी कारण तर्पण के समय विशेष रूप से जौ का उपयोग किया जाता है। कृषि विशेषज्ञ शशि कांत तिवारी के मुताबिक नवरात्र में जवारा बोने की परंपरा केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह वैज्ञानिक, स्वास्थ्य और पर्यावरण से भी गहरे रूप से जुड़ी हुई है। कृषि और स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी इसका विशेष योगदान है। जवारे रोग प्रतिरोधक क्षमता तेजी से बढ़ती है। इससे कई बीमारियों को ठीक किया जा सकता है।
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