Farmers in Meja Struggle with Poor Irrigation from Canals and Wells बोले प्रयागराज : नलकूप हैं फिर भी खेतों की नहीं बुझ पा रही प्यास, Gangapar Hindi News - Hindustan
Hindi NewsUttar-pradesh NewsGangapar NewsFarmers in Meja Struggle with Poor Irrigation from Canals and Wells

बोले प्रयागराज : नलकूप हैं फिर भी खेतों की नहीं बुझ पा रही प्यास

Gangapar News - तहसील मेजा के गांवों में नहरों और नलकूपों की खराब स्थिति के कारण किसानों को सिंचाई का पानी समय पर नहीं मिल रहा है। इससे फसलों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है और किसान आर्थिक मुश्किलों का सामना कर रहे...

Newswrap हिन्दुस्तान, गंगापारMon, 17 March 2025 04:12 PM
share Share
Follow Us on
बोले प्रयागराज : नलकूप हैं फिर भी खेतों की नहीं बुझ पा रही प्यास

तहसील मेजा के विभिन्न गांवों की खेती नहरों, नलकूपों के पानी से होती है। तीन दशक से नहरों और नलकूपों की हालत काफी खराब होती गई। जिससे किसानों को सिंचाई का पानी समय पर नहीं मिल पाता। फसलों के लिए समय पर पानी न मिलने से उत्पादन पर बुरा असर पड़ता है। किसानों को लागत निकालनी मुश्किल हो जाती है। केन्द्र व प्रदेश सरकार की सोच रही कि बेलन नहर को बाण सागर योजना से जोड़कर सदाबहार बनाने की, लेकिन करोड़ों खर्च के बाद भी अब पहले जैसा उतना सिंचाई का पानी भी नहीं मिल पा रहा है, जितना दो दशक पूर्व मिलता रहा। ऐसा प्राय: देखने को मिलता है, नहर में पानी तभी पहुंचता है, जब किसान की फसल बर्बाद हो चुकी होती है। नलकूपों का भी कुछ इसी तरह का हाल है। कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे, नलकूपों की देख देख सही ढंग से नहीं हो पा रही है। जिससे लाखों रुपये से निर्मित नलकूप भी दगा दे जाते हैं। हालत यह है कि किसान बेहाल हैं।

मेजा। तहसील क्षेत्र के विभिन्न गॉवों में सिंचाई सुविधा के नाम पर 214 नलकूप स्थापित हैं। इनमें 186 संचालित हैं, जबकि घूंघा, टिकुरी, उपड़ौरा, खानपुर, कंजौली, सोनाई, चोरबना, सहित विभिन्न गॉवों में स्थापित 16 नलकूप रिबोर के अभाव में खड़े हैं। इन नलकूपों के भरोसे की जाने वाली खेती ठीक ढंग से नहीं हो पा रही है। किसान सिंचाई का पानी लेने के चक्कर में निजी नलकूपों का चक्कर लगाता है। विभाग के जिलेदार केदारनाथ ने बताया कि रिबोर के लिए विभाग ने सूची भेजी जा चुकी है, लेकिन नलकूप स्थापित करने के लिए सरकारी जमीन नहीं मिल पा रही है। जहॉ नलकूप स्थापित होने हैं, वहां तक पहुंचने का रास्ता भी नहीं मिल पा रहा है। बताया कि कुछ नलकूप ऐसे भी हैं, जिनका सुधार किया जाना है।

माण्डा मेजा के 186 नलकूपों का संचालित करने के लिए 54 का स्टाफ है। जिसमें दो मिस्त्री तैनात हैं। कर्मचारियों की संख्या कम होने से नलकूपों की देख रेख व संचालन करने में बाधा आ रही है। सूत्रों की माने तो दो मिस्त्री 186 नलकूपों की यांत्रिक गड़बड़ियों को देखने में बराबर जुटे रहते हैं, लेकिन कार्य करने में दिक्कतें होती हैं।

कठौली स्थित वर्कशाप में उगी पड़ी हैं झाड़ियां

विकास खण्ड उरुवा के मिर्जापुर प्रयागराज मार्ग कठौली गॉव में स्थित नलकूप कार्यशाला है। वर्कशाप के आसपास झाड़िया उगी पड़ी हैं, सफाई का नामों निशान नहीं है। कार्यशाला में जिलेदार से लेकर अन्य कर्मचारी तो बैठते हैं, लेकिन वर्कशाप में पाइप की चूड़ी पेराई सहित अन्य कार्य शहर के नलकूप वर्कशाप में किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो दो दशक पूर्व वर्कशाप कठौली में पाइप की चूड़ी पेराई सहित अन्य कार्य किया जाता था, लेकिन वर्कशाप में चोरी हो जाने से लाखों का सामान गायब हो गया। चोरी का खुलासा नहीं हो सका। जिलेदार की माने तो जिस जगह पर वर्कशाप कठौली बनाया गया है, वह किसी काश्तकार का है। चकबंदी के दौरान काश्तकार को जमीन दी गई थी, लेकिन चकबंदी प्रक्रिया निरस्त हो जाने से किसान को वर्कशाप के बदले जमीन न मिल पाने से किसान ने एस डी एम की कोर्ट में जमीन पाने के लिए वाद दायर कर दिया, जिससे वर्कशाप का कार्य आगे नहीं बढ़ाया जा सका।

बेलन नहर के भरोसे नहीं हो पा रही खेती

मेजा। मेजा जलाशय से निकली बेलन नहर के भरोसे मेजा तहसील के अधिकांश गांवों के किसान खेती करते तो करते हैं, लेकिन पर्याप्त सिंचाई का पानी न मिलने से किसान ठीक ढंग से खेती नहीं कर पा रहा है। बरसैता गांव के किसान रमाशंकर निषाद ने बताया कि उनके गांव तक बेलन नहर का पानी कभी-कभार पहुंच पाता है। बकचून्दा गांव के किसान बालकृष्ण तिवारी, सिकटी गांव के किसान अभयराज सिंह ने बताया कि समय पर बेलन नहर में सिंचाई का पानी नहीं मिल पाता, यदि पानी किसी तरह पहुंचता है तो खेतों में पहुंचते ही नहर का संचालन बंद हो जाता है। किसान ने बताया कि उनके गांव के अधिकांश किसान नीजी नलकूप के भरोसे खेती करते हैं। सूत्रों की मानें तो बेलन नहर को मध्यप्रदेश के बाण सागर से पानी देने की योजना थी, योजना को मूर्त देने के नाम पर मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश सरकार ने करोड़ों रूपया खर्च कर रखा है, लेकिन बेलन नहर को सदाबहार नहीं बनाया जा सका।

पम्प नहर पकरी सेवार का नहीं हो सका विस्तारीकरण

मेजा। उरूवा विकास खण्ड के पकरी सेवार गॉव स्थित पम्प नहर के विस्तार हेतु करोड़ों रूपये तो खर्च किए गए, लेकिन किसानों को समय पर सिंचाई का पानी नहीं मिल पाता। पूर्व सिंचाई मंत्री कुंवर रेवतीरमण सिंह ने किसानों के नाम पर नहर विस्तार के नाम पर दो करोड़ रूपये की मंजूरी दे रखी थी। इस परियोजना को बनाने में लगे इंजीनियरों ने परियोजना के नाम पर धन खर्च कर सिंचाई के पानी को ओड़वा नाले के उस पार ले जाने के लिए पाइप लाइन तो विछा दी, लेकिन सिंचाई का पानी नहीं जा सका। लाखों की पाइप लाइन जंग खा रही है। 15 अगस्त को जल शक्तिमंत्री स्वतंत्र देव सिंह ने पम्प नहर का औचक निरीक्षण कर किसानों से जानकारी लेने के बाद लघु डाल नहर के इंजीनियरों से बात कर सिंचाई व्यवस्था को दुरूस्त किए जाने की बात की तो विभाग में हड़कम्प मच गया। विभाग के जो भी इंजीनियर जहॉ थे, वह आनन-फानन में पम्प नहर पकरी सेवार साइड पर पहुॅच गए। मंत्री के निर्देश पर कुछ दिन बाद प्रदेश के मुख्य सचिव पम्प नहर पहुॅच गए। अव्यवस्था देख एक कर्मचारी को तत्काल निलंबित कर दिया। कर्मचारी के निलंबन पर हड़कम्प की स्थिति हो गई।

बोले जिम्मेदार

नलकूप विभाग में पद के सापेक्ष कर्मचारियों के कई पद रिक्त हैं। खाली पदों को भरने के लिए उनकी ओर से शासन को पत्र भेजा जा चुका है।

- गौरव कुमार चतुर्वेदी, अधिशासी अभियंता, नलकूप

---

हमारी भी सुनें

कठौली गॉव स्थित नलकूप वर्कशाप जिस किसान की जमीन पर निर्मित है, उसे जमीन के बदले जमीन नहीं मिल सकी है। जिससे यह मामला न्यायालय में लंबित है। न्यायालय में वाद दायर होने की नलकूप कार्यशाला का कार्य ठप है।

-केदारनाथ जिलेदार नलकूप वर्कशाप कठौली

बेलन नहर का संचालन अनियमित होता है। जिससे किसानों को खेती करना काफी महंगा साबित हो रहा है।

-सत्यम शिवम तिवारी, सामाजिक कार्यकर्ता, धरावल

बेलन नहर के भरोसे पाठा के 90 फीसदी किसानों की खेती होती है, जब भी किसानों की खेती को सिंचाई के पानी की आश्यकता होती है, नहर का संचालन बंद हो जाता है।

-शिवदत्त पटेल, किसान नेता

बेलन नहर से खेती करने वाले टेल पर बसे किसानों को सिंचाई का पानी जब तक मिलता है, उनकी फसल की काफी क्षति हो चुकी होती है। ऐसा कई वर्षो से होता चला आ रहा है। इसमें सुधार की आवश्यकता है।

-राजेश पटेल, सामाजिक कार्यकर्ता, सिलौधीकला

नलकूपों की दशा काफी सोचनीय है। भूजल स्तर प्रतिवर्ष गिरता चला जा रहा है। जिससे सिंचाई का पर्याप्त पानी किसानों को नहीं मिल पा रहा है।

-कृष्णप्रकाश सिंह, विगहनी

ऊॅचडीह के सुमेरीकापुरा स्थित नलकूप की हालत बद से बदतर है। नलकूप वर्ष 1988 में स्थापित हुआ, यहॉ तक पहुॅचने का रास्ता सही नहीं है। रास्ता बनाया जाना चाहिए।

-वीरेन्द्र बहादुर सिंह, किसान सुमेरी का पुरा

सुमेरीकापुरा गॉव का नलकूप ठीक ढंग से सिंचाई का पानी नहीं दे रहा है। इसकी शिकायत कई बार की गई, लेकिन कुछ न हो सका।

-चैन सिंह, किसान सुमेरी का पुरा ऊॅचडीह

लेटेस्ट   Hindi News ,    बॉलीवुड न्यूज,   बिजनेस न्यूज,   टेक ,   ऑटो,   करियर , और   राशिफल, पढ़ने के लिए Live Hindustan App डाउनलोड करें।